तहलका न्यूज,बीकानेर। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक वरिष्ठ अधिवक्ता ओम आचार्य नहीं रहे। वे 85 वर्ष के थे। उन्होंने गुरूवार शाम को पीबीएम के हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को चौखूंटी स्थित पैतृक के श्मशान घाट पर किया जाएगा। आचार्य ने 1980 में पहली बार भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और डॉ बी डी कल्ला से हार गये। 1989 में वे लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे। सामाजिक समरसता के प्रखकर समर्थक आचार्य अच्छे वक्ता के साथ श्रेष्ठ लेखक भी थी। उन्होंने लगभग 35 साल पहले तक डा.आंबेडकर के व्यक्तित्व-कृतित्व पर पुस्तक लिखी। आज भी ‘महामानव डा.भीमराव आंबेडकर किताब को संदर्भ ग्रंथों के रूप में उपयोग किया जाता है। आचार्य की रूचि पत्रकारिता में भी रही और उन्होंने अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी स्व.दाऊदयाल आचार्य की ओर से प्रकाशित किये जाने वाले अखबार ‘कड़वा सच को लंबे समय तक निकाला। संघ कीे पृष्ठभूमि से आने वाले नेताओं में शुमार आचार्य ने संघकार्य के लिए अपना घर-बार छोड़ा था और बतौर प्रचारक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर पर एक लंबा समय दिया। आपातकाल के दौरान उन्होंने आंदोलन की अलख जगाई और जेल में रहे।आचार्य अपने पीछे दो पुत्र,चार पुत्रियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके बड़े पुत्र जगदीश आचार्य एडवोकेट हैं एवं छोटे पुत्र एकनाथ आचार्य खुद का कारोबार  हैं।