तहलका न्यूज,बीकानेर। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार पर समीक्षा करने बैठे कांग्रेसी आपस में उलझ पड़े। जिसके चलते एक दूसरे पर आरोप प्रत्यरोप लगाएं गये। विवाद बढ़ता देख एक बारगी बैठक को कुछ देर के लिये स्थगित करना पड़ा। विश्नोई धर्मशाला में बीकानेर लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा बैठक के दौरान इस प्रकार के नजारे देखने को मिले। बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल जब अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि बूथ पर कार्यकर्ता ही नहीं बैठे। अगर बूथ पर कार्यकर्ता बैठतें तो निश्चित रूप से आज हमारा प्रत्याशी क्षेत्र की आवाज संसद में उठाता नजर आता। इस पर लूणकरणसर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे डॉ राजेन्द्र मूंड के समर्थक खड़े हो गये और बेनीवाल के इस बयान का विरोध करने लगे। इसको लेकर कई देर तक आरोप प्रत्यारोप का दौर चला। बाद में देहात जिलाध्यक्ष बिशनाराम सियाग सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने बीच बचाव करते हुए मामला शांत करवाने का प्रयास किया। लेकिन जब माहौल शांत नहीं हुआ तो एक बार बैठक को स्थगित कर समझाइश शुरू की गई। बाद में फिर से बैठक शुरू हुई और सभी नेताओं ने बारी बारी अपनी बात रखी।

केवल पद का मोह,चुनाव में दिखी निष्क्रियता
हालात यह है कि बैठक के दौरान यह कानफुसी होती रही कि पार्टी में पद चाहने वालों की संख्या अधिक है। लेकिन वे कभी भी पार्टी के प्रति वफादार होकर काम नहीं करते। समर्पण भाव भी ऐसे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में नहीं है। जिसके कारण पार्टी चुनावों में मात खा रही है। इस बैठक के बाद दोनों अध्यक्षों की जंबो कार्यकारिणी पर भी सवालिया निशान उठने लगे है। बताया जा रहा है कि सिर्फ पद बांटते हुए अध्यक्षों ने न तो विधानसभा चुनावों में और न ही लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में काम किया। दिखावें के रूप में जरूर प्रचार करते दिखे। लेकिन बूथ मैनेजमेंट फेल नजर आया। मंजर यह रहा कि पार्षद भी निष्क्रिय रहे और पार्टी की टिकट चाहने वाले अन्य विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करते रहे।