तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो बरसाती मौसम से लोगों की जान पर बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर जर्जर हालात में बने मकान से आसपास रहने वालों की सांसे अटकी हुई है। उन्हें दिन रात इस बात का डर लगा रहता है कि बीकानेर में लगातार हो रही बारिश के चलते कही यह मकान न ढह जाएं। इसको लेकर उनकी सुनवाई न होना भी प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। जानकारी के मुताबिक आचार्य चौक स्थित पोलसा की गली में एक मकान लंबे समय से जर्जर हालात में पड़ा हुआ है। कई बार बारिश के चलते मकान का कुछ हिस्सा भी गली में आकर गिरा और अनेक बार हादसे भी टले है। इसको लेकर नगर निगम में दो माह पहले पड़ौसियों की ओर से शिकायत भी की गई। परन्तु उस शिकायत का न तो निस्तारण हुआ और न मकान मालिक को इसको लेकर निगम की ओर से कोई नोटिस जारी किया गया है। जिससे ऐसा लगता है कि निगम के अधिकारी व प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहे है। पड़ौसी सुमित आचार्य जब हमारे संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह भी मकान का कुछ हिस्सा गिरा था। इस घटना से कुछ समय पहले ही यहां से कुछ बच्चे निकले थे। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि मकान के मालिक आशीष कोचर व सुशीला कोचर को कई बार आग्रह भी किया जा चुका है। पर वे भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हे। राहुल अग्रवाल बताते है कि शहर की घनी आबादी के बीच वर्षों पुरानी खड़ी ऐसी जर्जर इमारतें हर समय हादसों को न्यौता दे रही है। शहर के मध्य एक नहीं बल्कि दर्जनों इमारते हैं,जिनकी कई वर्षों से कोई सुध नहीं लेने से जर्जर हालत हो गई। यह ढहने के कगार पर पहुंच गई है। शहर में जर्जर इमारतों को लेकर निगम नोटिस जारी कर इतिश्री कर लेती है। मजे की बात तो यह है कि आज तक न तो इस जर्जर इमारत का सर्वे किया गया और न ही इसके मालिकों को नोटिस जारी कर इसे गिराने की हिदायत दी गई। स्थानीय निवासी हितेन्द्र आचार्य व अशोक आचार्य बताते है कि मुख्य रास्ते पर खंडहरनुमा इमारतें झूक जाने से हर समय मुख्य रास्ते में नीचे गिरने की आशंका बनी हुई है। दिनभर मोहल्लेवासियों द्वारा गुजरते वक्त हर समय भय बना हुआ रहता है।

समय पर नहीं गिराया तो हो सकता है बड़ा हादसा
शहर के कई मोहल्लों में जर्जर इमारतों को समय पर गिराने की कार्यवाही नहीं की तो शहर में बड़ा हादसा घटित हो सकता है। शहर की घनी आबादी के बीच बनी इन इमारतों से हर समय उसके आसपास रहने वाले परिवार भय के साये में दिन गुजारते हैं। निगम प्रशासन द्वारा समय पर जर्जर इमारतों को गिराने की कार्यवाही नहीं की तो बड़ा हादसा घटित हो सकता है।

पूर्व में हो चुके है कई हादसे
अगर बात करें तो पिछले वर्ष में शहर में जर्जर मकान ढहने से एक वृद्ध की मौत हो चुकी थी। वहीं एक महिला व बालिका घायल भी हुई थी। इस हादसे के बाद प्रशासन चेता था। लेकिन इस दफा तो न तो जर्जर मकानों का सर्वे करवाया गया और न ही निगम ने ऐसे मकानों को गिराने या उनके मालिकों को नोटिस जारी किये। इतना ही नहीं इस वर्ष भी एक दो जगहों पर मकान के मलबे का हिस्सा गिर चुका है। फिर भी प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।