तहलका न्यूज,बीकानेर। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा महेंद्रगढ़ पैलेस में श्री हरि कथा के अंतिम दिवस में साध्वी सुश्री ज्योत्सना भारती ने श्री कृष्ण एवं रुक्मणि विवाह प्रसंग में पर व्याख्यान देते हुए बताया कि रुक्मणि ्राह्मण देवता को पत्र देकर संदेश भेजती है तो श्री कृष्ण विद्राव देश आते है तो रुक्मणि को संग लेकर द्वारिका चले जाते है और विधिपूर्वक विवाह संपन्न होता है। साध्वीश्री ने बताया की श्री कृष्ण एवं रुकमणी का विवाह ब्राह्मण देवता के द्वारा पूर्ण हुआ। ब्राह्मण देवता गुरु की भूमिका निभाते है रुक्मणि आत्मा का प्रतीक है।आत्मा परमात्मा से तभी मिलन कर पाती है जब जीवात्मा गुरु के सपर्क में जाति है और यह ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हम भगवान को मिलने आए है। शास्त्रों में वर्णन है की कहा नारी की पूजा होती है वह देवी देवताओं का वास होता इसलिए हम नवरात्रि में हम नारी के नो रूपों की पूजा करते है जो की प्रतीक है नारी के शक्ति का। इसलिए नारी अपने भीतर छुपी हुए शक्ति को तभी जागृत कर पाएगी जब वो किसी पूर्ण गुरु की शरण में जा कर ब्रह्म ज्ञान के द्वारा अपना आत्मिक दर्शन को करेगी।आत्मिक जागरूक होने पर ही नारी समाज एवं परिवार को सही मार्गदर्शन दे पाएगी। कथा के शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि फल एवं सब्जी मंडी के अध्यक्ष अरविंद मिढ़ा एवं पार्षद सुनील गेदर ने प्रभु के समक्ष ज्योति प्रज्वलित की।