तहलका न्यूज,बीकानेर। वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर का निधन रविवार रात जयपुर में हो गया। वे 72 वर्ष के थे। उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर छा गई। माथुर की पुत्री अंकिता ने बताया कि पिछले माह खाजूवाला में किसी कार्यवश गये हुए थे। जहां गिर गये और उनके कंधे में चोट आ गई। जिसका जयपुर में इलाज चल रहा था। रविवार देर रात उन्होंने जयपुर में अंतिम सांस ली। जिसके बाद आज दोपहर उनका पार्थिव शरीर बीकानेर लाया गया। देहदान से पहले लोकमत भवन में उनके पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया। जहां पूर्व गृह राज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल,भाजपा के युवा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत,एड जगदीश शर्मा,डॉ एस एन हर्ष,कॉ अविनाश व्यास,सीमा जैन,शांति प्रसाद बिस्सा सहित बड़ी संख्या में परिजनों,पत्रकार साथियों व प्रियजनों ने उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्वाजंलि दी। बाद में माथुर के पार्थिक शरीर को उनकी इच्छानुसार मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया। इस मौके पर श्री मानव कल्याण समिति के डॉ राकेश रावत,डॉ मोहन सिंह व डॉ एस एन हर्ष मौजूद रहे। माथुर प्रसिद्ध समाचार पत्र लोकमत के संपादक रहे। वे हमेशा पत्रकारिता के मूल्यों के प्रति समर्पित रहे। बीकानेर के अनेक पत्रकारों के उनके नेतृत्व में पत्रकारिता की शुरुआत की। निष्पक्ष पत्रकार के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। माथुर सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के जानकार और प्रखर वक्ता थे। उनकी अंतिम यात्रा में पत्रकार बाबू सिंह,नीरज जोशी,मोहन थानवी,जयनारायण बिस्सा,अनिल रावत,राकेश आचार्य,सुजान सिंह,अख्तर चूडीगर,कुशाल सिंह,उमाशंकर आचार्य,सुमित व्यास आदि शामिल रहे।
इन्होंने जताया शोक
स्वतंत्रता सेनानी स्व अंबालाल माथुर के पुत्र अशोक माथुर के निधन पर अनेक जनों ने शोक जताया है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक हरिशंकर आचार्य,भाग्यश्री गोदारा,निकिता भाटी,पूर्व जनसंपर्ककर्मी राजेन्द्र भार्गव,वरिष्ठ पत्रकार श्याम मारू,हनुमान चारण,संतोष जैन,लूणकरण छाजेड़,बृजमोहन आचार्य,अनुराग हर्ष,लोकेन्द्र सिंह,मनमोहन अग्रवाल,सुमित व्यास,शिव भादाणी,दिनेश जोशी,अलंकार गोस्वामी,मो अली पठान,रमजान मुगल,मुकेश पूनिया,महेन्द्र मेहरा,नौशाद अली,गुलाम रसूल,रोशन बाफना,मनीष पारीक,रवि विश्नोई,रौनक व्यास,अजीज भुट्टा,लक्ष्मण राघव,उमाशंकर आचार्य,गिरीश श्रीमाली,त्रिभुवन रंगा,राजेश छंगाणी,प्रमोद सिंह,जीतेन्द्र नांगल,जितेन्द्र व्यास,दिलीप सिंह,धीरज जोशी,रामस्वरूप भाटी,आर सी सिरोही,विवेक आहुजा,आनंद आचार्य,रोहित,सूरज पारीक,राजीव जोशी,रमेश बिस्सा,प्रमोद आचार्य,बी जी बिस्सा,नरेश मारू,नासिर जैदी,प्रदीप सिंह चौहान,रवि पुगलिया,के कुमार,ताराचंद ने भी शोक जताया।
पत्रकारों ने जताया शोक
लोकमत समाचार पत्र के संपादक श्री अशोक माथुर साब का अचानक छोड़ कर चले जाना पत्रकार जगत के लिए दुखद घटना है। वे बहुत ही संजीदा पत्रकार थे। उनकी लेखनी तलवार की धार जैसी थी। देश,दुनिया और लोकल मुद्दों को बखूबी उठाया करते थे। उनका अखबार पत्रकार तैयार करने की कार्यशाला कहा जा सकता है। वे यारबाज इंसान थे। उनके सबसे करीबी मित्रों में से एक थे। उनके निधन से पत्रकार जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनकी कमी हमेशा खलेगी।
नवीन शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
मुक्ताकाश मन के स्वामी वरिष्ठ पत्रकार,राजनीतिक विश्लेषक अशोक माथुर ने अपनी कलम सदैव अन्याय के विरुद्ध चलाई। ग्रामीण क्षेत्र के किसान अशोक माथुर की चलाई कलम की बदौलत अपने संघर्ष को विजय की ओर बहुत सी बार ले गए हैं । यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। अशोक माथुर राजनीति में विशेष रुचि होने के कारण विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। लोकमत नवलेखक,नव-पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है। उनकी लेखनी के लिये वे सदैव याद रखे जाएंगे। मोहन थानवी
एक ऐसा पत्रकार जो प्रेस कांफ्रेंस में जाने से पहले सवालों पर होमवर्क करे। खबर लेकर आए तो पहले चर्चा करे और हर हाल में खबर को महत्व दे न कि व्यक्ति को। इस प्रकार के विचारों के धनी थे अशोक माथुर। आज एक युग का अंत हो गया। जिसकी भरपाई संभव नहीं।
हरीश बी शर्मा
वह कलमकार जो झुका नहीं ‘अंधों के शहर में आइना बेचता रहा। ऐसे व्यक्तित्व के धनी अशोक जी की लेखनी ने कई पत्रकारों को तैयार किया है। उनको समस्याओं का आईना दिखाने की ताकत प्रदान की है। धीरेन्द्र आचार्य
अशोक माथुर ऐसे व्यक्ति थे। जिन्होंने हमेशा नवोदित पत्रकारों को नई दिशा दिखाई। वे हमेशा चकाचौध की जिन्दगी से दूर रहे और हर वर्ग के लोगों के लिये संघर्ष करने वाले थे। राजेन्द्र सेन
अशोक जी पत्रकारों की चलती फिरती पाठशाला थे। आयोजन कोई भी हो,कुछ नया सीखाकर ही जाते। नवोदित से लेकर वरिष्ठ साथियों के साथ सदा एक जैसा व्यवहार रखते थे।
जयनारायण बिस्सा
माथुर साहब ने हमेशा पत्रकारिता को जीवित रखने का मार्ग दिखाया। न कभी झूके और न झूकने की सीख दी। वे कहा करते अपनी लेखनी में इतनी मजबूती रखो कि पढऩे वाला स्वयं मजबूत हो जाएं।
भवानी जोशी