तहलका न्यूज,बीकानेर।मनुष्य के कर्मों के अनुसार उसकी आदतें और पाप-पुण्य बनते हैं तथा इन्हीं से उसकी दिशा और दशा निर्धारित होती है इसलिए हमें अच्छी आदतों – कार्यों को करने के साथ साथ गलत आदतों- कार्यों से बचना चाहिये। आर्ष न्यास के ट्रस्टी आदित्य स्वामी ने जानकारी देते हुए बताया की आर्ष न्यास और पर्यावरण पोषण यज्ञ समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित फैकेल्टी डेवलपमेंट,राम कथा एवं प्रवचन के चतुर्थ दिन आज आचार्य रवि शंकर जी ने उपस्थित दर्शकों के समक्ष उपरोक्त विचार रखें। अचार्य प्रदुम्न जी ने कहा कि कर्तव्य पालन का नाम धर्म है,जिसको योग कहते हैं वह धर्म है। धर्म जोड़ना सीखाता है तोड़ना नहीं। पक्षपात रहित व्यवहार धर्म का उदाहरण है। आचार्य कुलदीप ने संगीतमय रामायण प्रस्तुत करते हुए कहा कि बच्चों को मानव बनाना पड़ता है। इसके लिए तीन गुरु माता-पिता तथा शिक्षक को उसे शिक्षित करने के साथ संस्कारित करना पड़ता है, उसमें सद्भाव उत्पन्न करने पड़ते हैं। बालक मन एक वीडियो कैमरे के समान होता है वह अच्छे तथा बुरे सभी को अपने मस्तिष्क में रिकॉर्ड कर लेता है अतः अभिभावकों को बालक के समक्ष व्यवहार करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए डॉ वीणा ने शिक्षा नीति के विशेष बिंदुओं पर प्रकाश डाला तथा इसके महत्व को उपस्थित श्रोताओं में स्पष्ट किया।