तहलका न्यूज़, इंडिया । भारत और पाकिस्तान के बीच मोदी सरकार ने डिजिटल दुनिया में एक कड़े कदम उठाते हुए पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं और हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ताला जड़ दिया। यह ‘डिजिटल स्ट्राइक’ पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की कठोर प्रतिक्रिया का हिस्सा है, जिसने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गहरा कर दिया।

2 मई 2025 को भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के यूट्यूब चैनल को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई केंद्र सरकार द्वारा कई पाकिस्तानी नेताओं और मशहूर हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा थी। इस डिजिटल हमले का दायरा केवल शहबाज़ तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी, पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरयम नवाज़, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी, और कई अन्य मंत्रियों के इंस्टाग्राम अकाउंट्स भी भारत में प्रतिबंधित कर दिए गए। इसके अलावा, लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों जैसे माहिरा खान, हानिया आमिर, सनम सईद और अली ज़फर के इंस्टाग्राम पेज भी भारतीय यूजर्स के लिए ब्लॉक कर दिए गए।

भारतीय यूजर्स को दिख रहा ये मैसेज

जब भारतीय यूजर्स ने इन अकाउंट्स तक पहुंचने की कोशिश की, तो उनके सामने एक संदेश उभरा: “भारत में अकाउंट उपलब्ध नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमने इस सामग्री को प्रतिबंधित करने के कानूनी अनुरोध का अनुपालन किया है।” यह संदेश भारत सरकार के कड़े रुख और डिजिटल युद्ध के नए युग का प्रतीक बन गया।

इस कार्रवाई की जड़ में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की जान चली गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद भारत ने न केवल राजनयिक स्तर पर कड़े कदम उठाए, बल्कि डिजिटल स्पेस में भी आक्रामक रुख अपनाया। सरकार ने पहले 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक किया, जिनमें डॉन न्यूज़, समा टीवी, जियो न्यूज़ और एआरवाई न्यूज़ जैसे बड़े नाम शामिल थे। इन चैनलों पर “भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री” फैलाने का आरोप था।

भारत का कड़ा कदम

इस डिजिटल स्ट्राइक ने पाकिस्तानी नेताओं और हस्तियों को हक्का-बक्का कर दिया। सोशल मीडिया, जो पहले नेताओं के लिए जनता तक अपनी बात पहुंचाने का एक शक्तिशाली मंच था, अब भारत में उनके लिए बंद हो चुका है। यह कार्रवाई न केवल तकनीकी स्तर पर एक झटका है, बल्कि यह भारत के उस संदेश को भी रेखांकित करती है कि वह आतंकवाद और भड़काऊ प्रचार के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है।

सामाजिक और राजनीतिक हलकों में इस कदम की व्यापक चर्चा हो रही है। कुछ इसे भारत की डिजिटल संप्रभुता और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। एक्स पर कई यूजर्स ने इसे “मोदी सरकार की डिजिटल वार” कहकर सराहा, तो कुछ ने इसे तंज के साथ “टिकटॉक बैन की तरह बदला” करार दिया।
इस कार्रवाई की जड़ में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की जान चली गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद भारत ने न केवल राजनयिक स्तर पर कड़े कदम उठाए, बल्कि डिजिटल स्पेस में भी आक्रामक रुख अपनाया। सरकार ने पहले 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक किया, जिनमें डॉन न्यूज़, समा टीवी, जियो न्यूज़ और एआरवाई न्यूज़ जैसे बड़े नाम शामिल थे। इन चैनलों पर “भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री” फैलाने का आरोप था।

भारत का कड़ा कदम

इस डिजिटल स्ट्राइक ने पाकिस्तानी नेताओं और हस्तियों को हक्का-बक्का कर दिया। सोशल मीडिया, जो पहले नेताओं के लिए जनता तक अपनी बात पहुंचाने का एक शक्तिशाली मंच था, अब भारत में उनके लिए बंद हो चुका है। यह कार्रवाई न केवल तकनीकी स्तर पर एक झटका है, बल्कि यह भारत के उस संदेश को भी रेखांकित करती है कि वह आतंकवाद और भड़काऊ प्रचार के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है।

सामाजिक और राजनीतिक हलकों में इस कदम की व्यापक चर्चा हो रही है। कुछ इसे भारत की डिजिटल संप्रभुता और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं। एक्स पर कई यूजर्स ने इसे “मोदी सरकार की डिजिटल वार” कहकर सराहा, तो कुछ ने इसे तंज के साथ “टिकटॉक बैन की तरह बदला” करार दिया।