तहलका न्यूज,बीकानेर। श्री विश्वकर्मा नाट्य संगीत कला संस्थान द्वारा शुक्रवार की शाम को स्थानीय टाउन हॉल में आयोजित “दिल ने फिर याद” गीत संगीत के कार्यक्रम में हिन्दुस्तानी सिनेमा के महान गायक रहे मुकेश और रफी के गीतों को स्थानीय गायक कलाकारों ने दिलो से फिर से गाकर याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सखा संगम अध्यक्ष एनडी रंगा ने की।कार्यक्रम आयोजक संस्था अध्यक्ष मेघराज नागल ने बताया कि दिल्ली से पधारी शहनाज़ सैय्यद के साथ डुएट सोंग्स में स्थानीय गायक कलाकार मेघराज नागल,नारायण बिहाणी,इंजिनियर कमल कांत सोनी,रामकिशोर यादव,राजेन्द्र बोथरा,दीपक खत्री,राधाकृष्णन सोनी,कैलाश खरखोदिया,इं अनुराग नागर,मास्टर दिव्यांशु अग्रवाल तथा एकल गायन में वीणा ओझा,राधेश्याम ओझा,पीके चढ्ढा,अनवर हुसैन,सुशील पारीक हरि नारायण सिंह,कैलाश खत्री,लक्ष्मीनारायण भाटी,यश एरन, रितू साध,संजय मिश्रा सहित सभी ने अपनी शानदार गायकी की प्रस्तुतियां दी।
इससे पहले मां सरस्वती के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना के साथ की।इस अवसर नागल ने बताया कि शुक्रवार की शाम बहुत शिद्दत से ऐसे गीतों को याद करने का सबब बनी जिसमें मो.रफी और मुकेश के गीतों की लड़ियां पिरोई गई। मेघराज नागल खुद भी देशभर में मुकेश की छाप वाले गीतों का बेजोड़ स्वर बन चुके हैं। उनके गायन में शब्दों की शुद्धता काबिले गौर होती है। जाने कहां गये वो दिन,चल अकेला चल अकेला,वो तेरे प्यार का गम,सजनवा बैरी हो गए हमार,संसार है एक नदिया,मैं तो एक ख्वाब हूं और भूली हुई यादों,मुझे इतना न सताओ जैसे क्लिष्ट गीतों को गाकर मेघराज नागल ने मुकेश की मधुर यादों को ताज़ा कर दिया।दूसरे कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियों में रफी अंदाज़ और अहसास को एक बार फिर जीवंत करते हुए पत्थर के सनम,सौ बार जनम लेंगे,ये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं,आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे और तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है जैसे गीतों की सुरीली पेशकश दी और श्रोताओं की दाद बटोरी। दिल्ली की गायिका शहनाज़ ने मेघराज नागल और कमल कांत सोनी के साथ बेहतरीन जुगलबंदी करते हुए युगल गीतों को अविस्मरणीय बना दिया। राजेन्द्र बोथरा ने फिर एक संभावनाशील गायक के रूप में प्रशंसा पाई।कार्यक्रम मंच संचालन कमलकांत सोनी ने किया।