



जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो प्रधानमंत्री न खाऊंगा और न खाने दूंगा का दावा करते है। वहीं दूसरी ओर सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जिसके चलते एसीबी की ओर से अनेक कार्रवाई होने के बाद भी विभागीय अधिकारियों को इस बात का डर नहीं है। ऐसा ही एक मामला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बीकानेर में भी सामने आया है। जिसमें फर्नीचर खरीद में लाखों रूपये के गबन की आशंका जताई गई है। बताया जा रहा है कि सीएमएचओ की ओर से एक ऐसी फर्म से फर्नीचर खरीद कर ली गई। जो पहले से ही ब्लैक लिस्टेड थी। मजे की बात तो यह है कि उस फर्म का जीएसटी नंबर भी बैन पड़ा है। उसके बाद भी आंखे बंद कर सीएमएचओ की ओर से जयपुर की फर्म से फर्नीचर खरीद कर ली। इसको लेकर विभाग में कोटा की फर्म गुडविल टिम्बर इंडस्ट्री की ओर से लगाई गई आरटीआई में इन सब बातों को स्वीकार भी किया है। बताया जा रहा है कि 28 फरवरी 2025 को सीएमएचओ विभाग की ओर से ई टेण्डर नंबर 08/डीएचएस बीकानेर/मेडी/451135 निकाली गई। जिसमें 25 फर्मों ने हिस्सेदारी ली। इसमें से जयपुर की फर्म मै एस आर के माडयूलर फर्नीचर कंपनी को 25 मार्च को फर्नीचर सप्लाई के आदेश दिए गये थे। जिसने अगले दिन ही उसकी सप्लाई भी कर दी। जो अपने आप में संदेह पैदा करता है। क्योंकि कार्यालय आदेश के अगले दिन ही फर्नीचर की सप्लाई करने से कही न कही इस बात की आशंक जताई जा सकती है कि ये सब पूर्व नियोजित था।
कार्यालय की ओर से बनाई गई नोटशीट में कंपनी पर एफआईआर का उल्लेख
गौर करने वाली बात तो यह है कि विभाग की ओर से बनाई गई कार्यवाही विवरण नोटशीट में 7 फर्मों के विरूद्व एसीबी में एफआईआर दर्ज होने का हवाला दिया गया है। जिसमें चिकित्सा विभाग की ओर से निविदा देने वाली फर्म मै एस आर के माडयूलर फर्नीचर कंपनी जयपुर का नाम भी शामिल है।
जीएसटी नंबर भी निलंबित
मजे की बात तो यह है कि जिस फर्म से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से फर्नीचर खरीद की है। उस फर्म मै एस आर के माडयूलर फर्नीचर कंपनी जयपुर का जीएसटी नंबर भी निलंबित है। इतना ही नहीं कंपनी की ओर से जो पता दिया गया है,वो भी जी एसटी पंजीयन प्रमाण पत्र में पंजीकृत नहीं है। 17 जुलाई 2025 को जारी दस्तावेज में साफ लिखा है कि भावना खण्डेलवाल की एस आर के माडयूलर फर्नीचर कंपनी का जीएसटी नंबर सस्पेडेड है। ऐसे में किसी भी सरकारी विभाग द्वारा निविदा के जरिये की गई खरीद में बिना जीएसटी नंबर वाले से कोई सामान खरीदा नहीं जा सकता। जबकि यह फर्म एमएसएमई में पंजीकृत है।
जांच से पहले ही हो गई डिलवरी
चिकित्सा विभाग की ओर से खरीद किये गये स्टील व लकड़ी के फर्नीचर की जांच के लिये आईटीआई की ओर से संस्थान के वरिष्ठ अनुदेशक मदन गोपाल सुथार व कनिष्ठ अनुदेशक अनवर अली को इसकी जांच के आदेश दिए थे। जिसका आईटीआई क ार्यालय आदेश 29 मार्च 25 को निकाला गया था। इससे पहले जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से आईटीआई को 21 मार्च को खरीद फर्नीचर की जांच का आग्रह किया था। लेकिन जब तक फर्नीचर की जांच होती। उससे पहले की फर्म की ओर से सामान की डिलवरी कर दी गई।
इनकी हुई थी खरीद
जिला स्वास्थ्य समिति-एनआरएचएम के क्रय आदेश में फर्म को दस आइटम की सप्लाई के निर्देश दिए गये थे। जिनकी कुल लागत करीब 23 लाख 27 हजार 668 थी। जिनका भुगतान बिल खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीडूंगरगढ़ व यूपीएचसी नं 7 और यूपीएचसी नं 2 को भेजने के आदेश दिए गये। इनमें दो आईटम ऐसे थे जो कोरोना काल से निर्मित ही नहीं हो रहे है। ऐसे में इन दो आईटमों की सप्लाई हुई है या नहीं यहीं संदेह के घेरे में है।
संभागीय आयुक्त व कलक्टर को भी करवाया अवगत
बताया जा रहा है कि आरटीआई लगाने वाली फर्म की ओर से संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर कार्यालय में इसको लेकर 23 जुलाई को दस्तावेजों के साथ पत्र भी लिखा गया है। किन्तु एक सप्ताह के बाद भी अभी तक किसी प्रकार की जांच पड़ताल व कार्रवाई तक नहीं की गई है।