तहलका न्यूज,बीकानेर। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान द्वारा सुदीर्घ साहित्यिक सेवाओं के लिए गीतकार राजाराम स्वर्णकार का नागरिक अभिनंदन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि कथाकार राजेंद्र जोशी थे। उन्होंने कहा कि स्वर्णकार,साहित्य फलक के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से नई पहचान बनाई है। इनके गीतों में भक्ति,श्रृंगार और वीर रस की त्रिवेणी प्रवाहमान होती है। उन्होंने कहा कि राजाराम स्वर्णकार ने साहित्य की अन्य विधाओं में भी अपनी कलम चलाई है।डॉ.अजय जोशी ने कहा कि बीकानेर की साहित्यिक परम्परा के संवाहक के रूप में स्वर्णकार ने साहित्य का सतत सृजन किया है।इन्होंने सामाजिक विद्रूपताओं के खिलाफ कलम चलाई है,तो समाज के उजले पक्ष को बेहतरीन तरीके से समाज के समक्ष रखा है।सखा संगम के अध्यक्ष एनडी रंगा ने कहा कि राजाराम स्वर्णकार के गीत सहज,सरल लेकिन गूढ़ अर्थ लिए होते हैं।यह पाठक को आसानी से समझ आ जाते हैं।उन्होंने कहा कि आज के दौर में लयबद्ध लिखना एक बड़ी चुनौती है,पर स्वर्णकार इस पर खरे उतरे हैं।डॉ.हरि शंकर आचार्य ने बीकानेर की साहित्यिक परम्परा पर अपनी बात रखी और कहा कि स्वर्णकार ने साहित्य सृजन में नए आयाम स्थापित किए हैं,जो कि युवाओं के लिए अनुकरणीय हैं।सम्मान से अभिभूत राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि उन्होंने परिवेश से जो देखा और समझा,उसे लेखन के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया और कर रहा हूं।उन्होंने अपने चुनिंदा राजस्थानी रचनाओं ‘काळ घटा छाई दुनिया में, जग नै लियो लपट्टा में’,रचो तो काळजयी कविता,के पड़ियो हंसी ठट्ठां में’,जद सूं आ पिछमी हवा चाली है,धन गैला मुलक कदैयी हथियारां रै तो कदैई टैरिफ रै बळ माथै,केई देसां नै अणूता डरावै,अर आखै संसार नै बापोती मान’र धणियाप जतावै’,सावचेत! आ राफड़लीला घणा दिन नीं चालै,जद भी केई देस आपस में एकट कर’और ‘सामी छाती ऊभा हुय जावैला तो थांरौ धणियाप धूड़ री ढिगली दांई बिखर जावैला’ प्रस्तुत कर श्रोताओं की तालियां बटोरी।इससे पहले अतिथियों ने स्वर्णकार का माला,साफा,शॉल,श्रीफल,स्मृति चिह्न और अभिनन्दन पत्र भेंट कर सम्मान किया। डॉ.गौरी शंकर प्रजापत ने स्वर्णकार के साहित्यिक अवदान और प्रेरणा प्रतिष्ठान के प्रेम नारायण व्यास ने उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर बात रखी।वरिष्ठ संगीतज्ञ ज्ञानेश्वर सोनी और युवा गीतकार गौरी शंकर सोनी ने स्वर्णकार के गीतों को सस्वर प्रस्तुत किया। इस दौरान अशफाक कादरी ने स्वर्णकार के बारे में कहा कि ये कर्तव्यपरायण बहुमुखी प्रतिभा है। स्वर्णकार जिस काम को हाथ में लेते हैं उसे निष्ठापूर्वक पूरा करते हैं। कार्यक्रम में कवि कैलाश टाक,ताराचंद सोनी,सौरभ,अरुण सोनी ने भी विचार व्यक्त किए कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि बाबू लाल छंगाणी ने किया।