तहलका न्यूज,बीकानेर।राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय द्वारा रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सूरसागर बीकानेर में रानी अबक्का बाई महिला विचार गोष्ठी,संवाद कार्यक्रम तथा संगठनात्मक चर्चा तीन सत्रों में आयोजित की गई।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय कोटा की कुलगुरु श्रीमती विमला ठुकवाल ने कहा कि रानी अब्बक्का का जीवन न केवल हमें यह बताता है कि उन्होंने युद्ध में किस तरह विदेशियों को पराजित किया बल्कि हमें यह भी बताता है कि स्वतंत्रता केवल हमारा अधिकार नहीं है, हमारे संस्कारों और हमारे अस्तित्व की रक्षा हमारी स्वयं की जिम्मेदारी भी है।उनके संघर्ष और बलिदान ने यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी राज्य की स्वतंत्रता और समृद्धि तभी सुरक्षित रह सकती है जब हम उसकी संस्कृति,समाज और समानता की रक्षा के लिए कृतसंकल्पित हों।कुलगुरु ठुकवाल ने कहा कि स्वतंत्रता का इतिहास सदैव रानी का ऋणी रहेगा। शताब्दियों तक भारतीय रानी अब्बवका बाई समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी और संदेश देती रहेगी कि सच्ची स्वतंत्रता सिर्फ सत्ता प्राप्ति का नाम नहीं है बल्कि यह समर्पण और कर्तव्य का प्रतीक है।अध्यक्षता करते हुए श्रीमती मीरा वर्मा जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि रानी का जीवन भारत के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है जो हमें साहस और स्वाभिमान का सन्देश देता है।यही कारण है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने उल्लाल की रानी अब्बक्का को कक्षा 8 के इतिहास विषय का हिस्सा बनाया है। उनके संघर्ष की गाथा भारतीय समाज के लिए अनमोल धरोहर है।दूसरे सत्र की मुख्य वक्ता श्रीमती ममता शर्मा विभागाध्यक्ष तकनीकी विश्वविद्यालय ने कहा किशिक्षक अध्यापन के दौरान समय-समय पर विद्यार्थियों को महापुरुष तथा अपने गौरवशाली इतिहास आदि के विषय पर चर्चा करते रहना चाहिए ताकि विद्यार्थियों में उनके जैसा प्रबल बनने की भावना प्रबल हो और उनसे प्रेरणा मिले।सत्र की अध्यक्षता करते हुए रचना गुप्ता प्राचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पवनपुरी दक्षिण विस्तार बीकानेर ने कहा किराष्ट्रीय हित में होने वाले इस शैक्षिक उत्थान एवं श्रेष्ठ जीवन चरित्र निर्माण पर मंथन रूपी आज के महायज्ञ में जो आहुति शिक्षिकाओं ने दी है वह निश्चित रूप से भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी एवं एक दिन का समर्पण छात्र हित में एक अच्छा कदम साबित होगा।तीसरे सत्र के मुख्य वक्ता श्रीमती अभिलाषा आला विभागाध्यक्ष महारानी सुदर्शना कॉलेज ने कहा किशिक्षित और सक्षम नागरिक राष्ट्र की प्रगति के आधार है हमैं अपने आप को विद्यार्थियों के समक्ष एक आदर्श शिक्षक के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए ताकि उनका अनुसरण करते हुए देश के सच्चे कर्तव्यनिष्ठ,अनुशासित और अच्छे नागरिक बन सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक का दायित्व मां के समान होता है मां केवल एक बच्चे को जन्म देती है जबकि शिक्षक विद्यालय के सभी छात्रों को सुसभ्य नागरिक बना कर उन्हें नया जन्म देता है हमें समाज की रक्षा करते हुए शिक्षक के सम्मान की रक्षा भी करनी है जिसमें हम महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हैअध्यक्षता करते हुए श्रीमती मोनिका गौड प्रांत उपाध्यक्ष साहित्य परिषद राजस्थान ने संगठन के क्रियाकलापो, संगठन की महता के साथ साथ संगठनात्मक गतिविधियों एवं रीति नीति पर अपने विचार रखते हुए विद्यार्थी का हित सर्वोपरि रखने पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया तथा साथ ही कर्तव्य बोध को संतुलित रूप से निभाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।मोनिका गौड ने कहा कि शिक्षकों के माध्यम से आज जैसे विचारों से संपोषित बाल की पौध तैयार करेंगे वैसा ही फलदार वृक्ष समाज भविष्य में प्राप्त करेगा ।महिलाओं के द्वारा बालक की कोमल मन में रोपित संस्कार और विचार भविष्य में कई गुणीत होकर समाज के सम्मुख आते है,इसलिए समय समय पर महापुरुषों के स्मरण से उनके अंदर निहित गुणों का आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है यही व्यक्तित्व निर्माण और समाज निर्माण है।श्रीमती संतोष कौर संधू ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में से निकल कर महिला शिक्षिकाओं ने संगठन में सहभाग करना यह दर्शाता है कि संगठन के आगे सभी गौण है।संचालन श्रीमती चंद्रकला आचार्य महिला जिला मंत्री एवं श्रीमती बबीता वर्मा महिला उपाध्यक्ष ने किया।