तहलका न्यूज,बीकानेर। राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की कार्यप्रणाली से खफा कर्मचारी संगठन ने आज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बोर्ड में हर महीने लाखों-करोड़ों रुपए की फिजूलखर्ची करने,घाटे में आवासीय योजनाओं में आवास आवंटित करने,सरकारी विभागों को बेशकीमती जमीनें फ्री में देने सहित अन्य कई मुद्दों पर राजस्थान आवासन बोर्ड कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने मुक्ता प्रसाद स्थित कार्यालय के बाहर धरना देकर विरोध जताया। प्रांतीय अध्यक्ष दशरथ कुमार ने बताया कि मंडल में सीधी भर्ती के लिए सरकार को लम्बे समय से प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही। एक तरफ सरकार बोर्ड को बंद होने से बचाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रही।इसके अलावा बोर्ड की बेशकीमती जमीनों को सरकारी विभागों को फ्री में आवंटित की जा रही है, लेकिन उसके बदले सरकार बोर्ड को दूसरी जगह जमीनें आवंटित नहीं कर रही। इससे बोर्ड का जो लैंड बैंक है वह धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। पिछले 2 साल में बोर्ड की कई आवासीय योजनाओं में आवासों का आवंटन घाटे में किया गया,जो बोर्ड हित में नहीं है। विकास कार्यों के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है, जिससे बोर्ड को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसी तरह उच्च स्तर पर अधिकारी आईटी सिस्टम विकसित करने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे है, वहीं टैक्सियों-टूर के नाम पर अधिकारी अनाप-शनाप पैसा खर्च रहे है। वहीं, बोर्ड के पैसों को निजी बैंकों में निवेश किया जा रहा है। बोर्ड का जब गठन हुआ था तब उसका उदेश्य सस्ती दरों पर गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को मकान उपलब्ध करवाना था। इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने जमीनें अवाप्त की और राज्य के 20 से ज्यादा शहरों में मकान बनाए। लेकिन पिछले एक दशक से बोर्ड को सरकार बंद करने की कोशिश कर रही है. मौजूदा कांग्रेस सरकार ने बोर्ड की स्थिति को देखते हुए इसे मजबूती देने की घोषणा की थी,लेकिन मजबूती देने के बजाए सरकार बोर्ड की जमीनों को खुर्द-बुर्द कर रही है, जिससे बोर्ड का अस्तित्व खतरे में आ गया है। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष दशरथ कुमार ने बताया कि सरकार के पास बोर्ड के कई जमीन अवाप्ति के प्रस्ताव लम्बित पड़े है, लेकिन उस पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। अब स्थिति ये हो गई है कि बोर्ड के पास आवासीय स्कीम बसाने के लिए राजस्थान में जमीन ही नहीं बची।जबकि सरकार ने मानसरोवर के सिटी पार्क की जमीन और आईपीडी टॉवर के बदले लिए पैसों की एवज में दूसरे शहरों में जमीन उपलब्ध करवाने का वादा किया था। जो अब तक पूरा नहीं हुआ। इसके अलावा 311 पदों पर भर्ती करने का प्रस्ताव पास किए 6 महीने बीत गए, लेकिन अब तक भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की। उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही सब चलता रहा तो जल्द बोर्ड के बंद हो ने की नौबत आ जाएगी।