जयपुर। कर्नाटक चुनाव में हार के बाद अब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान पर पूरा फोकस कर दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी की सभाएं हर जिले में करवाने पर मंथन चल रहा है।इसे लेकर केन्द्रीय नेतृत्व ने हर जिले से सूचनाएं मंगवाना भी शुरू कर दिया है। संभवत: पार्टी देश में ऐसा पहली बार प्रयोग करने जा रही है जब किसी चुनावी राज्य के हर जिले में नरेंद्र मोदी सभा करेंगे।इससे साफ है कि बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लडऩे जा रही है। इसके पीछे प्रदेश भाजपा में जारी गुटबाजी को भी माना जा रहा है।बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व जानता है कि अगर पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाता है तो प्रदेश के नेताओं में चल रही गुटबाजी का असर चुनावों पर नहीं पड़ेगा।वहीं, बीजेपी की नजर विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान की 25 में से 25 लोकसभा सीटें जीती थी। इसी परफॉर्मेंस को वो साल 2024 के चुनाव में भी दोहराना चाहती है।
हर जिले से मांगी गई हार-जीत की रिपोर्ट
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी की सभाओं को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व ने सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है। इसमें स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ जिले के राजनीतिक समीकरणों की भी जानकारी भी मांगी गई है।
इन सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही…
किस जिले में पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने कितनी सीटें जीती, उम्मीदवार का जीत-हार का अंतर क्या रहा।
बीजेपी की हार के प्रमुख कारण क्या रहे थे।
इसके साथ ही जिले के जातीय समीकरण क्या कहते हैं।
जिले की विधानसभा सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार कौन-कौन हैं।
33 में से 7 जिले जहां नहीं खुला था बीजेपी का खाता
पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश के 33 में से 7 जिलों में बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। इन सात जिलों में बीजेपी ने एक भी सीट नहीं जीती थी। इनमें से 4 जिले पूर्वी राजस्थान के हैं। माना जाता है कि यहां सचिन पालयट के प्रभाव के चलते बीजेपी पिछड़ी थी। वहीं, कांग्रेस को यहां से अप्रत्याशित बढ़त मिली थी। इसके अलावा शेखावाटी अंचल में भी बीजेपी फिसड्डी साबित हुई थी। मेवाड़ व पश्चिमी राजस्थान का एक-एक जिला ऐसा है। जहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था।
4 जिले ऐसे जहां बीजेपी 70 से 80 प्रतिशत तक सीटें हार गई
इसके अलावा 4 जिले ऐसे हैं, जहां बीजेपी 70 से 80 प्रतिशत तक सीटें हार गई थी। इनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला जोधपुर भी शामिल है। यहां बीजेपी को 10 में से 2 सीटें ही मिली थी। बाकी 8 सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, नागौर जिले में भी बीजेपी का यही हाल हुआ। नागौर में बीजेपी 10 में से केवल 2 सीटें ही जीत पाई थी। अलवर जिले की 11 में से भी 9 सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। अलवर से बीजेपी के केवल दो विधायक हैं। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के गृह जिले चुरू में भी पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी 6 में से 2 सीटें ही जीत पाई थी। इसके अलावा जयपुर जिले की 19 में से 6 सीटें ही बीजेपी के खाते में गई थी।
अजमेर जिले से होगी शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिलों में सभाओं की शुरुआत 31 मई को अजमेर जिले से करेंगे। एनडीए की सरकार के 9 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सभा हो रही है।अजमेर बीजेपी का गढ़ माना जाता है। ऐसे में पीएम की सभा के लिए सबसे पहले अजमेर जिले को चुना गया है। पिछले विधानसभा चुनावों में अजमेर जिले की 8 में से 5 सीटें बीजेपी ने जीती थी।अजमेर संभाग की 29 में से 13 सीटों पर ही बीजेपी चुनाव जीत पाई थी। बाकी सीटों में से 13 पर कांग्रेस, 2 आरएलपी और 1 सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता था।ऐसे में इस बार बीजेपी पहले उन जिलों में पीएम मोदी की सभाएं करवा सकती है। जहां बीजेपी मजबूत है। वहीं, विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर उन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभाएं होंगी, जहां बीजेपी कमजोर स्थिति में है।
9 महीने में छठी बार राजस्थान आ रहे पीएम मोदी
पिछले 9 महीने में पीएम मोदी 5 बार राजस्थान आ चुके हैं। इसकी शुरुआत 30 सितंबर 2022 को हुई थी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अम्बा माता के दर्शन करने आए थे।उस समय वह सिरोही जिले के आबू रोड भी आए थे। दूसरी बार पीएम मोदी 1 नवंबर 2022 को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में आए। तीसरी बार 8 जनवरी 2023 को मोदी भीलवाड़ा दौरे पर आए और गुर्जर समाज के आराध्य देव देवनारायण भगवान की जयंती समारोह में शामिल हुए।चौथी बार 12 फरवरी, 2023 को मोदी दौसा जिले में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के उद्घाटन के मौके पर आए। पांचवी बार 10 मई, 2023 को पीएम मोदी ने नाथद्वारा और आबूरोड में बड़ी सभाओं को संबोधित किया। अब छठी बार 31 मई, 2023 को मोदी अजमेर आ रहे हैं।
गुटबाजी के बीच मोदी संभालेंगे कमान
पीएम मोदी के हर जिले में दौरों को लेकर हो रही तैयारियों से यह बात साबित हो रही है कि इस बार का चुनाव मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।इसकी कमान भी प्रदेश भाजपा के नेताओं के हाथ में कम बल्कि केन्द्रीय नेतृत्व के हाथ में ज्यादा रहने वाली है। इसकी बड़ी वजह पिछले दिनों प्रदेश में खुल कर सामने आई गुटबाजी को माना जा रहा है।इस बार आलाकमान स्थानीय नेताओं के भरोसे चुनाव नहीं लडऩा चाहता है। राजस्थान में मोदी की सभाओं का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।वहीं, मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत केंद्रीय नेताओं के दौरों की तैयारी भी की जा रही है।जयपुर शहर से सांसद रामचरण बोहरा ने बताया- पीएम मोदी की सभाओं को लेकर हमसे जानकारी मांगी गई थी।इसमें पिछले 9 साल में केन्द्र सरकार द्वारा करवाए गए कामों की जानकारी भी शामिल है, ताकि जब पीएम आएं तो शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रम करवाए जा सकें। यह जानकारी हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को भिजवाई है।