तहलका न्यूज,बीकानेर। श्रीडूंगरगढ़ रेंज में लकड़ी से चारकोल बेचने के मामले की जांच की प्रगति के बारे में जानकारी नहीं देने से नाराज जीव रक्षा संस्था के पदाधिकारियों ने वन रक्ष कार्यालय में धरना देकर विरोध जताया। अध्यक्ष मोखराम धारणिया का आरोप है कि वे आज इस मामले की जांच में क्या प्रगति हुई है। इसकी जानकारी लेने के लिये जांच अधिकारी डीएफओ ई रंगास्वामी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने साफ तौर पर इंकार कर दिया कि वे आपको इस बारे में कोई जानकारी नहीं देंगे। जिससे नाराज होकर विरोध स्वरूप उन्होंने डीएफओ कार्यालय के अंदर धरना दे दिया। इस दौरान उन्होंने क हा कि जांच अधिकारी जांच के तथ्यों को छिपाकर अपने कार्मिकों को बचाने में लगे है और कोयला कांड को छिपाने के प्रयास कर रहे है। जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा एगा। गौरतलब रहे कि नोखा रेंज में 305 हेक्टेयर ग्राम भूमि वन ब्लॉक (जीएलआई) है जो एक संरक्षित वन क्षेत्र है। इसी वन प्रखंड में श्रीडूंगरगढ़ रेंज आता है, जहां वन विभाग के कार्यालय से करीब डेढ़ किमी की दूरी पर पेड़ों को काटकर लकड़ी से कोयला बनाने का धंधा महीनों से चल रहा था। मामला बड़ा होने के चलते वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने पहले वनपाल हरिकिशन बलवान और फिर रेंजर जितेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया. खास बात यह है कि निलंबित किए गए उसी रेंजर ने मौके से पकड़े गए मुख्य आरोपी महेंद्रनाथ के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया. आरोपी का रिमांड भी नहीं लिया गया।आरोपी को कोर्ट से जमानत मिल गई। अब मिलीभगत की आशंका को देखते हुए पूरे मामले की जांच डीएफओ बीकानेर ई रंगास्वामी को सौंपी गई है। दूसरी ओर जिस तरह से जंगल काटकर लकड़ी से कोयला बनाया जा रहा था उससे पता चलता है कि आरोपी इस काम में माहिर है। वह चूरू के रतनगढ़ का रहने वाला है और पिछले कुछ महीनों से अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ श्रीडूंगरगढ़ में अपना काम करने के लिए डेरा डाले हुए था। बड़ा सवाल यह है कि आरोपी को बीकानेर कौन लाया और इससे पहले वह वन क्षेत्र में लकड़ी काटकर कोयला बनाने का काम कहां करता था।