तहलका न्यूज,बीकानेर।इंजीनियरिंग कॉलेज के नियमित अशैक्षणिक कार्मिकों को ज्वाइनिंग करवाने एवं ऑडिट में हुए घोटाले की जांच की मांग को लेकर पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के नेतृत्व में जिला कलक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू हुआ। अनशन पर 9 जने बैठे है। इनमें भाजपा नेता भगवान सिंह मेड़तिया,कुलदीप यादव,पवन मेहनोत,भाजयुमो नेता मनोज गहलोत,सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र व्यास,सामाजिक कार्यकर्ता मोहित बोथरा,पूर्व पार्षद नीलम जांगिड़,सामाजिक कार्यकर्ता सरला राजपुरोहित व धर्म जागरण मंच के टेकचंद यादव हंै। वहीं धरने को नोखा विधायक बिहारी लाल विश्नोई,देहात भाजपा अध्यक्ष जालमसिंह भाटी,पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह,ताराचंद सारस्वत सहित बड़ी संख्या में पार्टी के पदाधिकारी,पार्षद,पूर्व पार्षद व अनेक समाज से जुड़े लोग शामिल रहे। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं के दबाव में प्राचार्य कोर्ट के आदेशों की भी अवेहलना कर रहे है। इस न्याय की लड़ाई में शहर का आव आवाम ईसीबी के इन कार्मिकों के साथ है। महावीर रांका ने बताया कि सत्र 2018 में अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर में 18 अशैक्षणिक पदों पर नियमित नियुक्ति की गई थी। राजनैतिक दुर्भावनावश चार वर्ष की सेवा पूर्ण होने के उपरान्त भी उक्त कार्मिकों को नियमानुसार परिलाभ प्रदान नहीं किए गए तथा एक कार्मिक की असमय मृत्यु हो गई उसकी विधवा पत्नी को भी अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई। पूर्व चैयरमेन रांका ने बताया कि राजनैतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर ही उक्त कार्मिकों की मार्च-2022 को अचानक ही सेवाएं समाप्त कर कार्यमुक्त कर दिया गया। उक्त कार्मिकों द्वारा हाईकोर्ट में रिट याचिका संस्थित किए जाने पर महाविद्यालय ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ में एकलपीठ के स्थगन आदेश के विरुद्ध स्पेशल अपील दायर की। ईसीबी सहायक क ुलसचिव कुंजीलाल स्वामी ने बताया कि खंडपीठ में अपील संबंधित प्रक्रिया न्याय विभाग द्वारा विहित विभागीय स्तर पर स्वीकृति प्राप्त किए बिना अपील की गई। जिसे भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 24 जनवरी को निर्णित कर मैरिट के आधार पर खारिज कर दिया। स्वामी ने बताया कि दस माह से इन कार्मिकों को वेतन भुगतान भी रूका हुआ है एवं न्यायिक प्रक्रियाओं मं व्यय भी बढ़ रहा है। कार्मिकों का जीवन यापन परिवार का भरणपोषण दुभर हो गया है। रांका ने बताया कि ऑडिट विभाग द्वारा सत्र 2005 से 2014-15 के लेखों की जांच में रिकवरी योग्य राशि लगभग 10 करोड़ 62 लाख पाई है। जिसके संबंध में महाविद्यालय द्वारा कोई विस्तृत कार्यवाही नहीं की गई है। इन लेखों की सीबीआई जांच करवा कर वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया जाना बेहद आवश्यक है।