जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। अगले महीने होने वाली प्रदेश के विधानसभा चुनाव की जंग जीतने के लिये दोनों प्रमुख राजनीतिक दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। जिसको लेकर भाजपा-कांग्रेस ने जीताउ और टिकाउ उम्मीदवारों को टिकट देने में लगे हुए है। हालांकि दोनों ही दलों की ओर से सर्वे जैसे फंडे भी किये गये। वहीं बाहरी पर्यवेक्षकों को भेजकर कार्यकर्ताओं की नब्ज भी टटोली गई। इतना ही नहीं भाजपा ने तो प्रवासी विधायकों के जरिये आमजन,प्रबुद्धजनों तथा अन्य लोगों से फीडबैक भी लिया। लेकिन ऐसा लगता है कि ये सब धरे के धरे रह गये। आखिर दोनों की पार्टियों अपनी पुराने पेटर्न पर आ गई। भाजपा की पहली सूची के बाद उपजे विरोध ने दोनों ही दलों की रणनीति को ही हिला दिया। मानो भाजपा ने ऐसा माना कि उनका शीर्ष नेतृत्व जैसा चाहेगा वैसा करेगा और उनके कार्यकर्ता और नेता मोदी के आदेश को मान लेगें। भाजपा की यह नीति उल्टी पड़ी। पहली सूची के विरोध की चिंगारी आग का रूप न ले ले उससे पहले भाजपा ने संभलना ही उचित समझा। और दूसरी सूची जारी करने से पहले एक बार फिर चुनावी गणित के लिये गुणा भाग लगाना शुरू किया। जिसके चलते आज या कल जारी होने वाली दूसरी सूची से पहले सभी पहलुओं पर मंथन किया जा रहा है। इस मंथन के बीच अब राजनीति गलियारों के बीच कयासों के घोड़े भी तेज दौड़ने लगे है। और सोशल मीडिया सहित लोगों में संभावनाओं के ताने बाने भी बुने जाने लगे है। तहलका न्यूज बीकानेर ने जिले की विधानसभा सीटों पर चल रही संभावनाओं पर भी राजनीतिक जानकारों से चर्चा की तो सामने आया है कि अब भी बहुत कुछ परिवर्तन देखने को मिल सकता है। राजनीति संभावनाओं के बीच कई बदलाव हो सकते है।
बीकानेर पूर्व में फंसा है यह पेच
जब से बीकानेर पूर्व विधानसभा बनी है तब से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा है। ऐसे में भाजपा इस सीट को गंवाना नहीं चाहती। पिछले तीन चुनावों में लगातार घट रहे जीत के अंतर ने भाजपा रणनीतिकारों को सोचने को मजबूर कर दिया। ऐसे में वर्तमान विधायक सिद्धिकुमारी की टिकट पर संकट आ गया। बताया जा रहा है कि पार्टी के लिये यहां शीर्ष नेतृत्व का दूत बनकर आएं नेताओं को वर्तमान विधायक की कार्यकर्ताओं से दूरी और संगठनात्मक आयोजनों में हिस्सेदारी नहीं लेने की शिकायतों ने कही न कही पार्टी द्वारा बदलाव की सोच को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं यहां से टिकट मांग रहे पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका की लोकप्रियता,आमजन में छवि तथा केन्द्रीय स्तर पर मजबूती से पैरवी के एक विकल्प दिखने पर भी पार्टी ने बदलाव का मानस भी बनाया। लेकिन कही न कही पहली सूची के बाद उपजे विरोध के बाद पार्टी नेतृत्व बीकानेर पूर्व में भी बगावत के हालात न हो। इसके लिये टिकट कटने से नाराज नरपत सिंह राजवी को यहां से टिकट देने की बात भी चली। पार्टी के कई नेताओं ने पैराशूटी उम्मीदवार को सहन नहीं करने की बात वरिष्ठ नेताओं को पहुंचा दी।
अब यह बन रही है संभावनाएं
भाजपा के लिये ए श्रेणी की यह सीट अब गलफांस सी बनी हुई है। ऐसी जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि अब कोलायत सीट के साथ इसका भाग्य जुड़ रहा है। अगर पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी को उम्रदराज श्रेणी में रखकर टिकट नहीं दिया जाता और पूनम कंवर कोलायतं से चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताती अथवा बीाकानेर पूर्व से वर्तमान विधायक सिद्धिकुमारी का किसी कारणवश टिकट काटा जाता है तो पूनमकंवर को बीकानेर पूर्व से उम्मीदवार बनाकर कोलायत से किसी मूल ओबीसी का चेहरा उतारा जा सकता है। ताकि भाजपा को राजपूत के विरोध से बच सके। वहीं देवीसिंह भाटी के बीकानेर पूर्व सीट से आने से अन्य दावेदारों में विरोध का स्वर भी देखने को न मिले।
बीकानेर पश्चिम में संभावनाएं
बीकानेर पश्चिम में भी भाजपा के लिये डॉ बी डी कल्ला का विकल्प तलाशना टेढ़ी खीर हो गया है। हालांकि भाजपा आरएसएस के हिन्दुवादी नीति को अपनाते हुए इस सीट पर जेठानंद व्यास को चुनाव लड़ाने का मानस बना चुकी है। परन्तु उनका मकसद इससे हल होता नजर नहीं आ रहा है। इस वजह से एक ओर संभावनाआंे को भाजपा टटोलने लगी है। जिसमें भाजपा अब कांग्रेस उम्मीदवार के पारिवारिक वोट बैंक में किसी तरह से सैंंधमारी हो इसकी तैयारी में जुट गई है। इसके लिये जेठानंद के अलावा गोकुल जोशी व विजय आचार्य को यदि प्रत्याशी बनाया जाता है तो किसी प्रकार का चुनावी गणित रहेगा। इस पर फोकस किया जा रहा है।