तहलका न्यूज़,जयपुर।  नामांकन  प्रक्रिया 6 नवंबर को पूरी होने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने विधानसभा क्षेत्र में नामांकन दाखिल कर दिए हैं। अब 9 को नाम वापसी के बाद स्थिति और भी साफ हो जाएगी। लेकिन उससे पहले ही जालोर और सांचौर सीट भाजपा और कांगे्रस के लिए बड़ा सिरदर्द का कारण बनी हुई है। दोनों ही दलों में भाजपा और कांग्रेस के नेता बागी हुए हैं। यदि ये प्रत्याशी नाम वापसी नहीं करते हैं तो वोट बैंक पर इसका खासा प्रभाव पडऩे वाला है।इस स्थिति से निपटने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की ओर से संगठन स्तर पर प्रयास चल रहा है, लेकिन अब तक ये प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। इस कदर विरोध के स्वर जालोर जिले में चुनावी माहौल में पहली बार देखने को मिले हैं। जिससे संगठन पदाधिकारी चिंतित है और डेमेज कंट्रोल को लेकर रणनीति बना रहे हैं, लेकिन अब तक इस प्रयास में दोनों ही दल के नेता और पदाधिकारी सफल नहीं हो पाए हैं। दूसरी तरफ आहोर में निर्दलीयों की भरमार इस बार भी देखने को मिल रही है।

जालोर: भाजपा-कांग्रेस में विरोध
जालोर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में में रमिला मेघवाल को टिकट मिलने के बाद पूर्व विधायक और कांग्रेस के कद्दावर नेता रामलाल मेघवाल ने निर्दलीय ताल ठोकी। रामलाल मेघवाल 8वीं बार चुनावी मैदान में है। इससे पूर्व रामलाल मेघवाल ने 1977, 1990, 2003, 2008 और 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और 2008 में जीत दर्ज की। वहीं 1993 में कांगे्रस का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय और 1998 में आरजेवीपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। इधर, भाजपा ने बागी हुई पवनी मेघवाल ने भी मोर्चा खोलते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। इसी तरह संगठन में सक्रिय कार्यकर्ता रहे ओम प्रकाश चौहान ने भी बागी होने के बाद बहुजन समाज पार्टी से नामांकन दाखिल किया है। बता दें नामांकन प्रक्रिया के दौरान बगावत के सुर सुनाई देने के बाद इन्हें मनाने के लिए प्रयास हुए, लेकिन महापंचायत के बाद हुए निर्णय में इन्होंने नामांकन दाखिल किए।

सांचौर: निर्दलीय के रूप में जीत चुके जीवाराम
सांचौर विधानसभा सीट इस बार फिर से चर्चा में है और यहां चतुष्कोणीय मुकाबला होना तय है। यहां भाजपा प्रत्याशी के रूप में देवजी को चुनावी मैदान में उतारने के साथ विरोध जारी रहा। महापंचायत में हुए निर्णय के बाद भाजपा से बागी होकर जीवाराम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया। 2003 में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में जीवाराम जीत दर्ज कर चुके है। वहीं 2008 में टिकट कटने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी। इसी तरह 2013 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में और 2018 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार सांचौर सीट पर कांग्रेस की चिंताएं भी अपने ही सक्रिय कार्यकर्ता शमशेर अली के बागी होने पर बढ़ी है। पूर्व प्रधान शमशेर अली ने बागी होने के बाद बहुजन समाज पार्टी से नामांकन दाखिल किया है।

यहां सीधा मुकाबला: प्रत्याशियों की साख दांव पर
भीनमाल: भाजपा और कांगे्रस में सीधा मुकाबला
भाजपा से पूराराम चौधरी लगातार सातवीं बार चुनावी मैदान में है। दूसरी तरफ कांग्रेस से डॉ. समरजीतसिंह 5वीं बार चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है।

 

रानीवाड़ा: पुराने प्रतिद्वंद्वी फिर से चुनावी मैदान में
भाजपा से लगातार चौथी बार प्रत्याशी के रूप में नारायणसिंह देवल मैदान में है। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 5वीं बार रतन देवासी चुनावी मैदान में है। यहां पर भी सीधी टक्कर होने से मुकाबला रोचक होगा।

आहोर: फिर से निर्दलीयों की भरमार
आहोर में भाजपा प्रत्याशी छगनसिंह राजपुरोहित लगातार दूसरी बार चुनावी मैदान में है। जबकि कांग्रेस ने यहां पर नए चेहरे के रूप में सरोज चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर कुल 15 से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी है। निर्दलीय प्रत्याशियों का चुनावी गणित पर काफी असर संभव है।