बीकानेर सहकारी होलसेल भंडार के चुनाव में संचालक मंडल के दस सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन तय

तहलका न्यूज,बीकानेर। लगभग एक दशक बाद होने जा रहे बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार लिमिटेड के चुनाव में संचालक मंडल के अधिकांश पदों पर सहमति बन गयी है। हालांकि, पदाधिकारियों के चुनाव के समय कांटे का मुकाबला देखने का मिल सकता है। सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने एवं नामांकन पत्रों की जांच का कार्य सम्पन्न होने के पश्चात, सर्वसम्मति बनाने के प्रयास शुरू हो गये, जिसके चलते चार उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र वापिस लेने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया है।मिली जानकारी के अनुसार भंडार के 12 सदस्यीय संचालक मंडल के चुनाव के लिए सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने का कार्य आरम्भ हुआ। ग्राम सेवा सहकारी समिति वर्ग से संचालक मंडल के तीन सदस्यों के निर्वाचन के लिए तीन ही नामांकन पत्र दाखिल किये गये। तीनों ही नामांकन जांच के दौरान वैध पाये गये। इनमें लूनखा सोसाइटी से चैनसिंह भाटी, 860 आरडी सोसाइटी से हेतराम खीचड़ और मोडायत सोसाइटी से शिल्पा खीचड़ शामिल हैं। प्राथमिक भंडार वर्ग से संचालक मंडल के तीन सदस्यों के निर्वाचन के लिए चार नामांकन पत्र दाखिल किये गये। नामांकन दाखिल करने वालों में खेमसिंह, सुरेंद्र सिंह राठौड़, नगेंद्र पाल सिंह शेखावत और कुलदीप सिंह राठौड़ शामिल रहे। जांच के दौरान चारों नामांकन सही पाये गये। इनमें से कुलदीप सिंह राठौड़ ने नामवापसी के लिए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश कर दिया है।

व्यक्तिगत सदस्यों में चार सदस्यों का निर्विरोध चुना जाना तय

संचालक मंडल के शेष 6 सदस्यों का चुनाव व्यक्तिगत सदस्यों के वर्ग में किया जाना है। इसमें आरक्षण का भी प्रावधान है। कुल 754 सदस्यों में से सामान्य वर्ग से दो, महिला वर्ग से दो तथा एससी व एसटी वर्ग से एक-एक संचालक का चुनाव किया जाएगा। व्यक्तिगत सदस्य वर्ग में कुल 16 सदस्यों ने उम्मीदवारी जतायी है। एसटी वर्ग से एक मात्र नामांकन पत्र धर्मवीर मीणा द्वारा दाखिल किया गया। एससी वर्ग से रामचंद्र और राहुल ने नामांकन पत्र दाखिल किये। दोनों जांच में सही पाये गये। जांच के पश्चात रामचंद्र ने अपना नामांकन पत्र वापिस लेने के लिए अर्जी प्रस्तुत कर दी है। इसी प्रकार, महिला वर्ग से पांच नामांकन पत्र दाखिल किये गये, जिसमें से इन्द्रा बिश्नोई का नामांकन खारिज कर दिया गया। उसने समर्थक के रूप में जिस सदस्य का नाम अंकित किया था, उसका मतदाता सूची में नाम ही नहीं है। दो अन्य उम्मीदवारों – भुवनेश्वरी शेखावत और नेहा कटारिया ने नामांकन पत्र वापिस लेने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिये हैं। इससे कुसुम शर्मा और बबीता शर्मा के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया है। यही स्थिति एससी और एसटी वर्ग में है। यानी व्यक्तिगत सदस्यों से चुनकर आने वाले 6 में से 4 सदस्य निर्विरोध चुन लिये जाएंगे।

सामान्य वर्ग में कड़ी टक्कर की सम्भावना
व्यक्तिगत सदस्यों में सामान्य वर्ग के दो संचालकों के चुनाव के लिए सात सदस्यों ने नामांकन दाखिल किये। जिनमें से संजय बिश्नोई का नाम भंडार की मतदाता सूची में नहीं होने के कारण नामांकन रद्द कर दिया गया। मैदान में अब विक्रमजीत सिंह राठौड़, सेवानिवृत्त सहकारी अधिकारी विनोद चोबदार, दलीप सेवग, साक्षु कटारिया, डॉ. बी.डी. शर्मा और बीकानेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से सेवानिवृत्त शिवसिंह राठौड़ डटे हुए हैं। इनमें से भी एक से अधिक उम्मीदवारों द्वारा नाम वापिस लिये जाने की सम्भावना है।
राजपुताना फाइनल देखने को मिल सकता है

विक्रमजीत सिंह राठौड़ और नगेंद्र पाल सिंह शेखावत
फिलहाल बीकानेर सहकारी भंडार के अध्यक्ष पद के दावेदारों में दो बड़े नाम चर्चा में हैं। इनमें पहला नाम विक्रमजीत सिंह राठौड़ का है, जो भंडार के दो बार अध्यक्ष रहे एडवोकेट विजय सिंह राठौड़ के ज्येष्ठ पुत्र हैं। विजय सिंह के नाम पर ही भंडार के प्रधान कार्यालय भवन का नाम विजय सहकार भवन रखा हुआ है। यहां परिसर में उनकी प्रतिमा भी स्थापित है। दूसरी ओर नगेंद्रपाल सिंह शेखावत हैं, जो निवर्तमान बोर्ड के संचालक मंडल सदस्य हैं और भंडार के दो बार अध्यक्ष रहे करणपाल सिंह शेखावत से सुपुत्र हैं। अतीत में विजय सिंह और करणपाल सिंह एक ही गुट से चुनाव लड़ते रहे हैं। करणपाल सिंह के प्रस्ताव पर ही विजय सहकार भवन नाम रखा गया। अब देखना दिलचस्प होगा कि दो दिग्गजों की नई पीढ़ी के राजपूताना फाइनल में बाजी कौन मारता है।

हजारों से सैकड़ों में सिमटे मतदाता
जानकारी मिली है कि जिस भंडार संचालक मंडल में हजारों मतदाता हुआ करते थे। अब वे महज सैकड़ों में सिमट गये। इसके पीछे की वजह एक वर्ग का दबदबा इस पर कायम रहना बताया जा रहा है। हालांकि इस चुनाव को लेकर स्थानीय अधिकारियों से लेकर प्रदेश सरकार के मुखिया तक को शिकायती पत्र और ज्ञापन दिए गये। किन्तु सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने किसी की एक न मानी और शिकायतों को दरकिनार कर चुनावी प्रक्रिया को सम्पादित करने में जुट गये। अंदरखाने की बात तो यह भी है कि स्थानीय प्रभावी मंत्री और उनके समर्थक भी इस चुनाव में रूचि नहीं दिखा रहे है। जिसकी वजह से भी एक दशक पूर्व जो मतदाता थे। उनको अंदर ही अंदर हटा दिया और किसी को भनक तक नहीं लगी। हालांकि सरकारी पत्रावलियां भी इसको लेकर चली। परन्तु सहकारिता से जुड़े अधिकारियों ने उन पत्रावलियों को भोलाराम का जीव बनाकर छोड़ दिया। जिससे अनेक मतदाता अपने अधिकार से वंचित हो गये।

प्रभावी मंत्री से नाराजगी
ऐसी भी बात सामने आ रही है कि चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं बनने वाले सक्रिय सदस्य अब जिले के प्रभावी मंत्री से नाराज नजर आ रहे है। बताया जा रहा है कि मतदाता सूची में बिना वजह नाम कटने और तानाशाहीपूर्ण तरीके से चुनावी प्रक्रिया निपटाने की शिकायत के बाद भी उच्चाधिकारियों और सहकारिता मंत्री तक सही ढंग से पैरवी नहीं करने पर मंत्री से नाराज हो गये है। जिसका कही न कही प्रभाव आगामी चुनाव में देखने को मिल भी सकता है।

अध्यक्ष का चुनाव 3 मार्च को
मंगलवार को नाम वापसी के साथ ही स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर होलसेल भंडार का संचालक मंडल कौन होगा। उसके बाद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न होगी।