बीकानेर। दादा गुरुदेव व यति परम्परा के गच्छाधिपति श्रीपूज्यजी जिन चन्द्र सूरि के पाटोत्सव के तहत सोमवार को गंगाशहर की रेल दादाबाड़ी से ’’आलोक यात्रा शुरू हुई। आलोक यात्रा में शामिल यतिवर्य अमृत सुंदरजी, मुमुक्षु विकास चैपड़ा, इंदिरा नाहर व अंजली राखेचा के नेतृृत्व में श्रावक-श्राविकाओं का दल राजस्थान, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश के अनेक शहरी व ग्रामीण इलाकों में जाकर श्रीपूज्यों, यति-यतिनियों के गणित उपकारों व सत्य साधना के बारे में अवगत करवाएंगे।
रेलदादाबाड़ी से सोमवार को आलोक यात्रा के पीले ध्वज को फहराकर, दादा गुरुदेव व श्रीपूज्यजी के जयकारों के साथ यतिवर्य अमृत सुन्दरजी रांगड़ी चैक के बड़ा उपासरा ट्रस्ट के ट्रस्टी विपिन मुसरफ, वरिष्ठ श्रावक अनिल खजांची, नरेन्द्र मनु मुसरफ, श्रीपाल नाहटा, पवन पारख, मोहित सुराणा, सोनम सुराणा व शैलेश चैपड़ा  ने रवाना किया। आलोक यात्रा के लिए विशेष वाहन तैयार किया गया जिसमें संदेश दिया गया है कि ’’अंधकार से प्रकाश की ओर चले, अब तो स्व का दीप जले’’ । आलोक यात्रा के विशेष लाभार्थी मंजू देवी पत्नी स्वर्गीय नेमचंद नाहटा व शुभम नाहटा परिवार है। आलोक यात्रा के दौरान मुमुक्षु विभिन्न स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं को 23 से 27 मार्च तक उज्जैन, इंदौर व महिदपुर में होने वाली यति-यतनियों की दीक्षा में भागीदारी का भी निमंत्रण देंगे।
यतिवर्य अमृत सुन्दरजी ने यात्रा अवसर पर बताया कि  अणहिलपुर पाटण में श्रीपूज्य श्री जिनेश्वर सूरि ने गुरुगद्दी पाट की स्थापनाकी। कालांतर में यहगुरु गद्दी का पाट जैसलमेरे व उसके बाद बीकानेर के रांगड़ी चैक स्थित बड़ा उपासर में चैथे दादा गुरुदेव श्रीपूज्य जिनचन्द्र सूरि ने गुरु गद्दी पाट के मूल चार पायों पर गुरु गद्दी स्थापित की। बड़ा उपासरा में चैथे दादा गुरुदेव का भी पाटोत्सव हुआ। उनके बाद श्रीपूज्यजी का पाटोत्सव मनाया गया। बीकानेर के बड़ा उपासरा की गद्दी पर प्रतिष्ठित रहे श्रीपूज्यों, आचार्यों ने श्रीसंघ के मंगल कल्याण में अहर्निश योगदान दिया। श्रीपूज्यों व आचार्यों के साधना, आराधना व देव, गुरु व धर्म के प्रति समर्पण के कारण देश में विधर्मी सामाज्य रहने पर भी जैन धर्म, तीर्थ, ग्रंथ व मंदिर सुरक्षित रहे। उन्होंने बताया कि सत्य साधना स्व दर्शन है। जो साधक की भीतर के अंतःकरण को जागृत कर भय,चिंता, भ्रांतियों,कषाय, वासना, विकार को दूर कर समता को परिपुष्ट करता है। सोमवार को आलोक यात्रा का पड़ाव ब्यावर में रहेगा।