तहलका न्यूज,बीकानेर।भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड ने कहा- देश का सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली के तिलक नगर में बसा है। ऐसे में ये सुप्रीम कोर्ट ऑफ तिलक नगर नहीं है, ये सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया है तो फिर भारत के हर घर तक पहुंचना चाहिए। राजस्थान हाईकोर्ट भी सिर्फ जयपुर या जोधपुर का नहीं है, पूरे राजस्थान का है। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी कोर्ट में स्थानीय भाषा में फैसला होना चाहिए। ये उद्गार उन्होंने बीकानेर प्रवास के दौरान आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। समारोह में चीफ जस्टिस ऑफ़ राजस्थान मनिंदर मोहन श्रीवास्तव, राजस्थान सरकार के कानून मंत्री जोगाराम और विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित अतिथि के रूप में मौजूद रहे। सबसे पहले बटन दबाकर डॉ चंद्रचूड़ और कानून मंत्री मेघवाल ने अभियान का आगाज किया। कार्यक्रम में जिला मजिस्ट्रेट देवेंद्र शर्मा समेत तमाम न्यायिक अधिकारी और जिलेभर के अधिवक्ता समारोह में शामिल हुए है।
ई-कोर्ट फेज थ्री सरत हजार करोड़ का बजट
बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में न्याय मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में चंद्रचूड ने कहा कि ई-कोर्ट फेज थ्री में भारत सरकार ने सात हजार करोड़ रुपए का बजट दिया है। इसके माध्यम से बीकानेर में वीडियो कांफ्रेसिंग में सुविधा मिलेगी।बीकानेर में बसे हुए वकील भी हाईकोर्ट में अपनी बहस कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया है तो हर गांव-शहर तक पहुंचना चाहिए। हाईकोर्ट ऑफ जयपुर और हाईकोर्ट ऑफ जोधपुर सिर्फ जयपुर और जोधपुर का नहीं है, बल्कि पूरे राज्य का है।
स्थानीय भाषा में हो फैसले
सीजेआई ने कहा कि देश के किसी भी कोर्ट में स्थानीय भाषा में फैसला होना चाहिए। अगर मैं दिल्ली में बैठकर कोई निर्णय वकील के लिए, जज के लिए दे रहा हूं तो वो कठिन भाषा में हो सकता है लेकिन अगर मैं आम आदमी के लिए निर्णय कर रहा हूं तो निश्चित रूप से सरल भाषा में होना चाहिए। देश के जिला स्तर के कोर्ट की बिल्डिंग में सुधार होना चाहिए। ये बिल्डिंग आधुनिक स्तर की होनी चाहिए।
संविधान निर्माण में बीकानेर का योगदान
सीजेआई ने कहा कि भारत के संविधान निर्माण में बीकानेर का बड़ा योगदान रहा है। संविधान सभा के 284 सदस्यों में एक बीकानेर के जसवंत सिंह थे। इसके अलावा बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह प्रिंसेस चौम्बर के चांसलर रहे। भारत का संविधान बहुत नजदीक से बीकानेर से जुड़ा हुआ है। इससे पहले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जहां शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बैठते थे, वहीं पर महाराजा गंगा सिंह प्रिंसेस चौंबर के चांसलर के रूप में बैठते थे।
सिर्फ वकीलों ने नहीं बनाया संविधान
भारतीय संविधान को सिर्फ वकीलों ने बनाया, ये कहना गलत होगा। इस संविधान को बनाने में कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों का योगदान था। संविधान का निर्माण सभी वर्गों को ध्यान में रखा गया था। संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है। इसकी आत्मा कई युगों की भावना है।
लड़ेंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे
सीजेआई ने कहा कि अगर लोग एक-दूसरे के साथ लड़ेंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा। हम देश में बंधुता और भाईचारे को भी बढ़ावा दें। इन भावनाओं को अपने निजी जीवन में आत्मसात करें। देश का संविधान जहां आपको अधिकार देता है, वहीं ये उम्मीद भी करता है कि आप अपने दायित्व का पालन करेंगे। संविधान का सम्मान करना भी एक दायित्व है।
जूनियर को भी सम्मान दें
सीजेआई ने कहा कि अक्सर मैं देखता हूं कि लोग अपने से जूनियर को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। अपने ड्राइवर से ढंग से बात नहीं करते। लोग सोचते हैं कि ड्राइवर छोटा काम करता है। सफाई करने वाले को हीन भावना से देखते हैं। कोई भी व्यक्ति पद में छोटा हो सकता है लेकिन उस व्यक्ति की भी उतनी ही गरीमा है, जितनी कि हमारी है। सर्वाेच्च न्यायालय में एक पोस्ट है- जिसका 1950 से जमादार कहते थे। 75 साल से इन्हें जमादार कहा जा रहा था, अब इनका नाम बदल दिया है।
लोकतंत्र और संविधान में संबंध
सीजेआई ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के बीच संबंध है। संविधान की समझ, लोकतंत्र की समझ को भी विकसित और पोषित करती है। हर शख्स को संविधान की बात पहुंचाने की जरूरत है। संविधान की भावना को हर नागरिक तक पहुंचाना होगा।
महाराजा गंगा सिंह का सुप्रीम कोर्ट से जुड़ाव
इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सुप्रीम कोर्ट और महाराजा गंगा सिंह के जुड़ाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जहां सीजेआई बैठते थे, वहां कभी महाराजा गंगा सिंह बैठा करते थे। उन्होंने जसवंत सिंह का भी जिक्र किया, जो संविधान सभा का हिस्सा थे।