तहलका न्यूज,बीकानेर।एक मई को देवगुरु बृहस्पति अपने मित्र मंगल की मेष राशि को छोड़कर शत्रु राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे। 1 मई को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर प्रवेश कर यहां पर लगभग 13 माह रहेंगे। फिर 14 मई 2025 को मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इस मध्य 9 अक्टूबर को दोपहर 12.35 बजे वृषभ राशि में वक्रीय होंगे और 4 फरवरी 2025 को दोपहर 3.11 बजे वृषभ राशि में मार्गीय हो जाएंगे। इससे पहले 7 मई को दोपहर 01.51 बजे बृहस्पति अस्त होंगे एवं 31 मई को रात 02.51 बजे उदय होंगे। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में सभी 9 ग्रहों का विशेष महत्व होता है, लेकिन देवताओं के गुरु बृहस्पति खास प्रभाव रखते हैं। ज्योतिर्विद बताते हैं कि ज्ञान, विज्ञान व शिक्षा के कारक देव गुरु बृहस्पति वृषभ राशि में जाने से शत्रु क्षेत्रीय रहेगा। इस 13 माह की अवधि में गुुरु 31 जुलाई से 21 सितम्बर तक व 26 अक्टूबर से 23 दिसम्बर तक गुरु अपनी स्व, मित्र व उच्च नवमांस में रहेगा। शुभता से बचने के लिए एवं शुभ फल प्राप्ति के लिए गुरुवार को व्रत एवं कथा करें। चने की दाल व गुड गाय को अपने हाथों से खिलाएं। गोविंद, विष्णु, राम, कृष्ण आदि मंदिरों के दर्शन नित्य करें। उन्हें श्रेष्ठ फल प्राप्ति के लिए व्रत व विष्णु शहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा के पाठ करने चाहिए। विद्यार्थियों को धार्मिक पुस्तकें दान करें। मेष: धन लाभ होगा, कुटुंब से प्रेम स्नेह और मनोबल प्राप्त होगा। बुद्धि चातुर्य से धन लाभ बढ़ेगा और धन संग्रह की प्रवृत्ति बनेगी। वृषभ: स्वास्थ्य में सुधार होने के साथ ही शारीरिक व मानसिक संताप दूर होगा। मनोबल बढ़ेगा और धार्मिक कार्यों में रूचि होगी। मिथुन: धन का अपव्यय होगा। व्यवसाय एवं धन खर्च में सावधानी बरतें। किसी मोटे विवाद व खर्चे से बचकर रहे। अच्छे लोगों के साथ रहे। कर्क: आय स्रोत बढ़ेंगे। नवीन कार्य का शुभारंभ होने की संभावना बनेगी। बिजनेस व नौकरी में सफलता मिलने की पूर्ण संभावना बनेगी। सिंह: इच्छित स्थान पर स्थानांतरण व पदस्थापित होने से मन खुश रहेगा। व्यापार कारोबार में प्रगति होगी। साथ ही कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के आमूलचूल परिवर्तन के योग बनेंगे। कन्या: भाग्य से शुभ अवसर प्राप्त होंगे। धर्म के प्रति रूचि बढेगी। घर में मांगलिक व धार्मिक उत्सव संपन्न होंगे। तुला: स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। मानसिक तनाव व असफलता से मनोबल कमजोर रहेगा। व्यवसाय से लाभ की अपेक्षा खर्च बढेंगे। वृश्चिक: इस राशि के जातकों को बृहस्पति की कृपा का अद्भुत लाभ होगा। साझा व्यापार से धन लाभ व दांपत्य सुख की प्राप्ति होगी। धनु: छठे भाव से बृहस्पति का भ्रमण रोग व गुप्त शत्रु से सावधानी बरतने का संकेत दे रहे हैं। इस समय ऋण लेने से बचें। मकर: विद्या जनित यश प्राप्त होगा। दिनचर्या व्यवस्थित होकर विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होने की प्रबल संभावना रहेगी। परिजनों का सहयोग मनोबल को बढ़ाएगा। कुंभ: इस राशि के जातकों को चौथे गुरू अशुभता देने वाले हैं। अत: वाहन चलाने में सावधानी बरते। पारिवारिक कलह से बचे । मीन: इस राशि के जातकों के पराक्रम में अद्भूत वृद्धि होगी। भाइयों व विश्वास पात्रों के सहयोग से उन्नति एवं सुख में वृद्धि आएगी। बताते हैं कि गुरु ग्रह की भूमिका शिक्षा के क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिर्विद बताते है की विद्या अध्ययन प्रारंभ करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। शिक्षण, परीक्षा आदि के कार्य गुरु ग्रह से प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं गुरु को भाग्य, धन, वैभव, विवाह और धर्म का कारक ग्रह माना गया है। धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं और कर्क राशि में उच्च स्थान पर और मकर में नीच स्थान पर होते है। वहीं धनु राशि बृहस्पति की मूल त्रिकोण राशि होती है। गुरु किसी एक राशि में करीब 13 माह वास करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ ग्रह बृहस्पति राशि परिवर्तन में तकरीबन एक साल का समय लेते हैं। इसीलिए बृहस्पति के राशि चक्र की 12 राशियों के भ्रमण चक्र को पूरा करने में 12 साल का समय लगता है। इसलिए किसी राशि में दोबारा आने के लिए गुरु को 12 साल का समय लगता है।