





तहलका न्यूज,बीकानेर। शादी-ब्याह के मौसम में सोने-चांदी के दामों में तेजी देखने को मिल रही है। इस साल सोने-चांदी के दाम जिस तेजी से बढ़े हैं,यह चिंता की बात है। सोना हमेशा से भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। लोग इसे न सिर्फ गहनों के रूप में पहनते हैं,बल्कि निवेश के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में भी देखते हैं। सोने-चांदी की कीमतों का अर्थव्यवस्था पर असर साफ दिखता है। जैसे-जैसे कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे महंगाई बढऩे की रफ्तार भी तेज होती है। लगातार बढ़ती कीमतों के बीच मिलावटी सोने-चांदी में मिलावट के खबरें में भी सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो त्योहारी सीजन में मिलावटी सामान ज्यादा बेचा जाता है। शहर के कई दुकानदार हॉलमार्क लगे ज्वेलर्स बेच जरूर रहे है, मगर उस ज्वेलरी की प्योरिटी व हॉलमार्क निशान पर लगातार सवाल उठ रहे है। वहीं कई दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ज्यादा मिलावट कर रहे है।
सोने में बढ़ी मिलावट और तस्करी
त्योहारी सीजन व शादी-ब्याह के मौके पर सोना व चांदी खरीदने के लिए भीड़ इसीलिए देखी जाती है। लेकिन इनकी कीमतें जिस तरह से आसमान छू रही है उससे खरीद तो मुश्किल हो ही गई है। साथ ही सोने-चांदी में मिलावट और तस्करी भी बढ़ रही है। मांग और कीमत बढऩे से मिलावटी सोने-चांदी का बाजार भी बढ़ रहा है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अहितकर है। ऐसे में सरकार और तमाम एजंसियों को कई बिंदुओं पर विचार करने,उपभोक्ताओं के हित में सख्त कदम उठाने और कड़ी निगरानी की जरूरत है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो आम दिनों में सर्राफा बाजार में लौंग जैसे सोने-चांदी के आइटम सबसे ज्यादा बिकते हैं। सोने के सामान में 60 फीसदी तक ही सोना मिला है। जबकि इनको 22 कैरेट यानी 91.6 प्रतिशत सोने का बताकर बेचा जाता है। ये दो ग्राम से कम वजनी होते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने दो ग्राम से कम वजन के सोने के गहनों के लिए हॉलमार्क अनिवार्य नहीं किया है। ऐसे में इन्हीं गहनों में तय मात्रा से कम सोना मिलने की शिकायत है। वहीं चांदी के भी यहीं हाल है। मिलावटी होने के कारण कुछ समय बाद यह काली पडऩे लगती है। यानि इसमें चांदी की मात्रा कम होती है।
इनमें मिलावट के खिलाफ नहीं चलता है अभियान
मजे की बात तो यह है कि खाद्य वस्तुओं व दाल दलहनों में मिलावट को लेकर तो त्योहारी सीजन में राज्य सरकार की ओर से शुद्ध के लिये युद्ध अभियान चलाया जाता है। लेकिन सोने-चांदी में मिलावट के मापदंड को मापने के लिये किसी प्रकार को कोई अभियान नहीं चलाया जाता। जिसके चलते उपभोक्ता के साथ किसी प्रकार की ठगी होने पर कोई सुध लेने वाला नहीं है।पता चला है कि मार्केट में कहीं 50 तो कहीं 60 प्रतिशत की शुद्धता वाली ज्वेलरी उपलब्ध है। चंद नामचीन ज्वेलर्स ही अपनी साख को बचाये हुए हैं। ज्वेलरी की प्योरिटी की जांच एक मात्र विश्वसनीय तरीका उस पर अंकित हॉलमार्क का निशान होता है, लेकिन अब इसमें भी घालमेल हो रहा है। खुद कई हॉलमार्क एजेंसियां भी संदेह के घेरे में हैं।
बीकानेर में भी बड़े पैमाने पर तस्करी की आशंका
सूत्र बताते है कि बीकानेर में भी बड़े पैमाने पर सोने-चांदी की तस्करी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली सहित अन्य राज्यों से चोरी छिपे सोने-चांदी के सामान की तस्करी होती है।