तहलका न्यूज,बीकानेर। भाजपा की पहली सूची क्या आई प्रदेशभर में बगावत की आग लग गई है। जिसका डर कांग्रेस को भी सताने लगा है और अब दोनों ही पार्टियां अपनी जारी होने वाली सूचियों को लेकर फूंक फूंककर कदम रखने लगी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा में उठी बगावत की चिंगारी को शांत करने के लिये नई रणनीति पर मंथन शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश की अनेक सीटों पर चेहरे बदलने के साथ साथ वसुन्धरा गुट को भी तरजीह देने पर चर्चा होने लगी है। हालांकि भाजपा की पहली सूची के बाद उपजे विद्रोह को शांत करने के लिये भाजपा के आला पदाधिकारी व मंत्री अपने स्तर पर जुट गए है। किन्तु नाराज वसुन्धरा गुट के उन नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड ़ने का ऐलान कर दिया है,जिन्हें अपनी टिकट न मिलने का आभास हो गया है। ऐसे में भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व के सामने अपनी रणनीति को बदलने के अलावा कुछ ओर उपाय सूझ नहीं रहा है। जिसके चलते अब वरिष्ठ नेता भी मीडिया के सवालों पर बोलने से कतराने लगे है।

जिले में बदलेगा समीकरण
41 टिकटों के वितरण के साथ शुरू हुए बगावत के सुर के बाद बीकानेर की शेष छःसीटों पर भी समीकरण बदल सकते है। सूत्र बता रहे है कि बीकानेर पूर्व व कोलायत सीट पर तय प्रत्याशियों को लेकर एक बार फिर से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। बीकानेर पूर्व में राजपूत समाज के एक बड़े नेता नरपत सिंह राजवी का नाम अब सुर्खियों में आ गया है। ऐसी खबरें आ रही है कि इस सीट से अब राजपूत समाज की नाराजगी को दूर करने के लिये नरपत सिंह को लड़ाया जाएं। उधर कुछ भाजपा के नेताओं ने नाम न छापने की शर्ते पर पार्टी के इस निर्णय का अंदर ही अंदर विरोध करना भी शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि तीन बार की विधायक रही सिद्धिकुमारी का टिकट काटकर बाहरी उम्मीदवार उतारना पार्टी के लिये घातक निर्णय साबित हो सकता है। वहीं इस सीट पर पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका का दावा भी मजबूत होने से पार्टी के सामने संकट के हालात हो गये है। राजनीतिक जानकार मान रहे है कि पार्टी इस गुत्थी को सुलझाने में लगी है कि सिद्धि का टिकट काटकर राजवी को टिकट दिया जावें या नये चेहरे के रूप में रांका पर दाव खेला जाएं। अन्दरखाने की बात यह है कि इन सब परिस्थितियों में कही न कही रांका को मजबूत आधार के तौर पर भी देखा जा रहा है। जिसको लेकर पार्टी अब पश्चिम से भी इनके नाम की चर्चा चलाकर टोह लेने में लगी हुई है।

मूल ओबीसी भी बने है गलफांस
जानकारी यह भी मिल रही है कि भाजपा के लिये मूल ओबीसी वर्ग की लगातार टिकट की मांग के बाद भी जिले की किसी भी सीट से टिकट नहीं मिलने से कही ओबीसी वर्ग भी भाजपा से न छिटक जाएं। इसको लेकर अब फिर से कोलायत व बीकानेर पश्चिम में पार्टी ने सरसरी रूप से चर्चा शुरू की है। बताया जा रहा है कि मूल ओबीसी के कई नेता अब भी जयपुर में डेरा डाले हुए है। जो पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं पर दबाव बना रहे है। कोलायत से पूर्व मंत्री देवीसिंह भी टिकट के लिये मजबूती से अपना पक्ष पार्टी के सामने रख दिया है। किन्तु वसुन्धरा राजे से नजदीकियों के चलते एक बार फिर उनके टिकट को लेकर उहापोह के हालात बन गये है।

यहां भी विरोध की आशंका
बताया जा रहा है कि बीकानेर में भी टिकट के दावेदार विरोध कर सकते है। ऐसी जानकारी दोनों ही पार्टियों को मिलने से पहले से ही पार्टी इसके डेमेज कंटाल में लग गयी है।