तहलका न्यूज,बीकानेर। इंसान का जीवन धोखे में बीत जाता है। धोखा क्या है….?, संसार के सुख की चाह करना, उम्र के पड़ाव व्यक्ति सुख के चाह में बिता देता है, लेकिन उसे सुख मिलता है क्या..?, मीरा कहती है रोग लग जाए, प्रीत परमात्मा के चरणों में प्रेम का, जो मैं जानती प्रीत कर्या दु:ख होय, नगर ढि़ंढोरा पीटती, प्रीत ना करियो कोई। संसार में प्रेम और सुख कहां है, कैसे मिलता है और उसे पाने का क्या उपाय है…?, इन सबका उत्तर परमात्मा की भक्ति में छुपा है। यह उद्गार कथा वाचक श्याम सुंदर महाराज ने रविवार को सेठ बंशीलाल राठी की बगेची में महायोगी अवधूत संत पूर्णानन्द महाराज की ५८ वीं पुण्यतिथि पर चल रही पद्म पुराण कथा कथा के दौरान व्यक्त किए। महाराज ने बताया कि जिसे परमात्मा को पाने की प्यास होती है, तड़प होती है, व्याकुलता होती है, उसे दुख होता है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मन संसार में लगा हो और शरीर सत्संग में आ जाए, परमात्मा से प्रीत करो, सब संभव है, सरल है, कठिन कुछ भी नहीं है। जीवन में यदि विवेक है, ज्ञान है, सत्संग है तो इस संसार सागर से निकलना आसान है।कथाव्यास महाराज श्यामसुंदर ने कहा कि मंदिर में आप भक्तों की भीड़ देखते हैं, वह भक्तों की नहीं, भिखारियों की भीड़ है। मंदिर मे जाते सब हैं, मांगते क्या है..?, कोई मकान, कोई सुख-शांति, कोई धन, औलाद लेकिन भगवान को कोई नहीं मांगता। महाराज ने कहा कि संतो की सेवा ही सच्ची सेवा है। संतो को आप कभी ऐसा वैसा मत समझना, संत का मतलब जिसके हद्धय में किसी प्रकार की चाह नहीं होती। जैसे, बापजी महाराज थे, एकदम फक्कउ़ रहते थे। इसलिए संसार में रहो लेकिन प्रभु भक्ति करते हुए रहो।आयोजनकर्ता गौरीशंकर सारड़ा ने बताया कि रविवार को सुबह बापजी महाराज की पूजा अर्चना के बाद उनका पुण्य स्मरण किया गया। रात्रि में हुए भक्ति संगीत संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक गौरीशंकर सोनी ने बापजी के समधुर भजनों की प्रस्तुती दी। इससे पूर्व हरि कीर्तन किया गया।