तहलका न्यूज,बीकानेर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जयपुर ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के तहत निदेशक मा.शिक्षा बीकानेर आशीष मोदी के खिलाफ 10000/-रूपये का मुचलके पर जमानती वारंट 12 जून को जारी कर आशीष मोदी निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को न्यायलय में तलब किया गया है। मामले के अनुसार जयपुर निवासी शिवराम सिंह यादव ने 13 अप्रेल 23 को इंडियन एविडेंस के तहत एक प्रार्थना पत्र भेज निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर से इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की धारा 72 के तहत जांच रिपोर्ट सहित कुछ दस्तावेज चाहे गए थे, लेकिन शिक्षा निदेशालय पर उक्त आवेदन का कोई जबाब नहीं देने से परिवादी शिवराम सिंह ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जयपुर में परिवाद पेश किया तथा आयोग के द्वारा उक्त परिवाद के सम्बन्ध में निदेशक माध्य.शिक्षा को नोटिस जारी कर तलब किया गया था,लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से इस केस में कोई जबाब नहीं दिया गया और अंतत आयोग ने इस मामले में एक्स पार्टी निर्णय कर 28 मई 24 को निर्णय घोषित किया। जिसके अनुसार परिवादी को समस्त दस्तावेज उपलब्ध करवाने के आदेश किये गए तथा परिवादी को मानसिक संताप के लिए 50000/-रु तथा परिवाद व्यय के रूप में 21000/-रूपये के भुगतान के लिए निदेशक माध्यमिक शिक्षा को आदेशित किया गया।उपभोक्ता आयोग के उक्त वर्णित निर्णय 28 मई 24 की प्रति निदेशालय को भी प्रेषित की गयी। लेकिन निदेशालय स्थित विधिक अनुभाग ने उक्त निर्णय की पालना अथवा इस निर्णय को उच्च स्तर पर चुनौती देने के बारे में कुछ नहीं किया यानि उक्त निर्णय को विधिक अनुभाग द्वारा दबा लिया गया। आखिरकार लम्बे समय के बाद परिवादी शिवराम सिंह ने उक्त निर्णय की पालना के लिए पुन: आयोग में अवमानना याचिका प्रस्तुत कर निर्णय की पालना की गुहार लगाई। उक्त याचिका से सम्बन्धित नोटिस और रिट की प्रति आयोग द्वारा निदेशालय को भेजा गया,लेकिन निदेशालय स्तर से इस मामले की कोइ पैरवी नहीं की गयी और लगातार चार सुनवाइयों में निदेशालय से कोई ज़बाब नहीं देने से और निदेशक की तरफ से आयोग में अवमानना के प्रकरण की किसी तरह से पैरवी नहीं करने के कारण आखिरकार जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग जयपुर ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 72 के तहत 12 जून 25 को निदेशक मा.शिक्षा बीकानेर आशीष मोदी के खिलाफ 10000/-रूपये का मुचलके पर जमानती वारंट जारी कर आशीष मोदी निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को न्यायलय में तलब किया। निदेशक माध्यमिक शिक्षा आशीष मोदी के खिलाफ उक्त जमानती वारंट जारी होने के उपरांत निदेशालय की लीगल अनुभाग की नींद उड़ी और आयोग में इस बाबात पैरवी की और इस निर्णय के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील संधारित करवाई गयी।
लेकिन मूल प्रश्न यह उठता है कि आखिर लीगल अनुभाग ने अदालत में परिवाद की पैरवी क्यों नहीं की,जिस कारण इस मामले में एक्स पार्टी निर्णय जारी किया गया। इसके उपरांत भी जिला उपभोक्ता मंच जयपुर के निर्णय 28 मई 24 की पालना क्यों नहीं की गई अथवा उक्त निर्णय के विरुद्ध राज्य फोरम में अपील क्यों नहीं की गयी। परिवादी द्वारा इस निर्णय की पालना नहीं होने के फलस्वरूप दायर अवमानना याचिका पर जारी नोटिस पर भी निदेशालय स्तिथ विधिक अनुभाग ने आयोग में निदेशक की तरफ से पैरवी क्यों नहीं की गयी। इस पुरे प्रकरण को विधिक अनुभाग ने तब तक दबाये रखा जब तक कि निदेशक आशीष मोदी के खिलाफ जमानती वारंट जारी नहीं किये गए,आखिर विधिक अनुभाग क्यों सो रहा था। निदेशक के विरुद्ध वारंट जारी होने के बाद निदेशालय की लीगल सेल की आंखे खुली और आयोग में निदेशालय की तरफ से अधिवक्ता खड़ा किया और स्टेट फोरम में इस निर्णय के खिलाफ अपील दायर की गई।
निदेशालय के विधिक अनुभाग द्वारा कारित भारी लापरवाही माध्यमिक शिक्षा विभाग के मुखिया यानी डायरेक्टर आशीष मोदी के खिलाफ आए फैसले के संबंध में बरती गई है,सामान्य नागरिकों/कार्मिको से सम्बन्धित मामलों में विधिक अनुभाग द्वारा क्या किया जाता रहा होगा,यह सोचने का विषय है। निदेशालय में स्तिथ लीगल अनुभाग के अनुभाग अधिकारी सहित दर्जनों कार्मिक की आखिर कोई जबाबदेही क्यों तय नहीं की गयी। इस प्रकरण में आज तक किसी तरह की कार्यवाही तो दूर की बात है,कोई जांच तक नहीं की गयी है।