तहलका न्यूज,बीकानेर। बीकानेर में भूमाफियाओं द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जे के तो अनेक मामले सामने आएं है। लेकिन सरकारी जमीनों पर कब्जों में सरकारी अधिकारी व उनके कार्मिकों की मिलीभगती के मामले प्रकाश में आने के बाद भी सरकार की अनदेखी चिंता का विषय है। जिसके चलते अपने ही नियमों का धता बताकर सरकारी महकमें धन्ना सेठों के मददगार बनते जा रहे है। ऐसा ही एक मामला उजागर हुआ है। जिसमें राजस्व नक्शे को दरकिनार कर उपनिवेशन के नक्शे के आधार पर सरकारी भूमि की बंदरबांट का खेल खेल जा रहा है।हालात यह है कि इस कमशकश में सरकार को लाखों रूपये के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। मामला बीकानेर विकास प्राधिकरण से जुड़ा है। जिसके अधिकारियों व कार्मिकों ने धन्ना सेठों को लाभ पहुंचाने के लिये नियम कायदों को ही ताक पर रख दिया और न केवल सरकार को बल्कि सूचनाकर्ताओं को ही गलत जानकारियां उपलब्ध करवा रहा है। इतना ही नहीं बीडीए इन धन्नासेठों को लाभ पहुंचाने के लिये विभागीय साइट पर भी गलत एंट्री कर भ्रम के हालात पैदा कर दिए। ताकि किसी प्रकार की आपत्ति न हो सके और आसानी से इन धन्नासेठों को औने पौने दामों में सरकारी भूमि उपलब्ध करवाई जा सके।
ये है मामला

दो बार निकाली आपति सूचना,एक बैक डेट में
मंजर यह है कि बीकानेर विकास प्राधिकरण की ओर से प्राधिकृत अधिकारी के नाम से दो अलग अलग लोक सूचना समाचार पत्र में साया की गई।इसमें से एक 20 फरवरी 2025 को क्रमांक एलयू 2012/बीआईके/2023-24/100534 प्रकाशित करवाई गई।जिसमें बीकाजी ग्रुप के युवराज दीपक अग्रवाल व अनिरूद्ध प्रतीक गोयल द्वारा नैनो का बास में खसरा संख्या 174/151/40 क्षेत्रफल 9760.20 वर्गमीटर,खसरा संख्या 175/1521/40 क्षेत्रफल 11258.07 वर्गमीटर,खसरा संख्या 135/112/40 क्षेत्रफल 10050.94 वर्गमीटर,खसरा संख्या 185/157/40 क्षेत्रफल 6424.64 वर्गमीटर भूमि को संस्थानिक प्रयोजन के उपयोग के लिये आवेदन होने की बात कही और सात दिवस में एसएसओ आईडी द्वारा प्रार्थी को दस्तावेज सहित किसी प्रकार की आपति होने पर विभागीय साइट पर अपलोड करने के दिशा निर्देश दिए।वहीं दूसरी लोक सूचना 3.12.24 को न्यास/डीटीपी/2024-25/16084-85 में भी खसरा संख्या 174/151/40,खसरा संख्या 175/1521/40,खसरा संख्या 135/112/40,खसरा संख्या 185/157/40 के आवेदक दीपक अग्रवाल व अनिरूद्ध प्रतीक गोयल ने भू उपयोग परिवर्तन चाहा।परन्तु इस दफा उपयोग का प्रयोजन संस्थानिक नहीं अपितु शैक्षणिक उपयोग के लिये चाहा गया था।मजे की बात तो यह है कि इन दोनों आपति लोक सूचनाओं में कार्यालय आदेश क्रमांक व भू उपयोग में अन्तर देखा गया। जब इनकी आपति लगी तो आपति कर्ता को अभी तक सन्तुष्टिपूर्ण जबाब तक नहीं दिया गया है।

साइट पर डाली गलत सूचना
बीकानेर विकास प्राधिकरण के कार्मिकों ने अधिकारियों की शह पर यूडीएच मंत्रालय की साइट पर गलत सूचना डाली गई ताकि एसएसओ आईडी द्वारा आपति दर्ज करवाने पर आवेदक को परेशानी हो।बीडीए की ओर से समाचार पत्र में प्रकाशित आवेदन संख्या में(एलयू 2012/बीआईके/2023-24/100534)के स्थान पर  (एलयू 2012/बीआईके/2024-25/100534)कर दिया गया। इससे जब आपति दर्ज करने वाले आवेदक ने ये साइट खोलकर अपनी आपति दर्ज करवानी चाहि तो नो रिकार्ड फाउंड का मैसेज आया।जो साफ इंगित करता है कि बीडीए के अधिकारी इस प्रकरण में किसी प्रकार की आपति नहीं चाहते और बीकाजी ग्रुप के युवराज के लिये रास्ता साफ हो जाएं।

इन्होंने लगाई आपति,नहीं दे रहे कोई जबाब
हालात यह है कि इस फर्जीवाड़े को लेकर जब आरटीआई कार्यकर्ता रविन्द्र सारस्वत व एक अन्य जने ने आपति लगाई तो इन लोगों को किसी प्रकार का जबाब नहीं दिया जा रहा है।बल्कि इस प्रकरण को फुटबाल बनाकर अनुभागों में घुमाया जा रहा है।यही नहीं बीडीए की ओर से आरटीआई कार्यकर्ता को तो असामाजिक तत्व की संज्ञा देकर जबाब देने से इंकार कर दिया है।

राजस्व नक्शे की जगह उपनिवेशन मानचित्र का कर रहे प्रयोग
मास्टर प्लान को लेकर पहले ही अपनी छवि खराब कर चुका बीकानेर विकास प्राधिकरण इस प्रकरण सहित अनेक प्रकरणों में राजस्व नक्शे का प्रयोग न कर उपनिवेशन मानचित्र का प्रयोग कर रहा है।जिसके चलते अपने जमीनों को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो रखी है। बता दे कि 23/5/ 2010 में तत्कालीन जिला कलक्टर ने एक आदेश निकालकर राजस्व नक्शे को ही सत्यापित मानने के दिशा निर्देश नगर विकास न्यास को दिए थे। किन्तु उस आदेशों को हवा बताकर यहां के अधिकारी व कार्मिक मनमर्जी कर फर्जीवाड़ा करने से बाज नहीं आ रहे है।