जयपुर। राजस्थान के भरतपुर के अटारी गांव में जन्मे भजनलाल शर्मा की पहचान मंगलवार शाम 4 बजे से पहले, पहली बार जीते भाजपा विधायक की थी। विधायक दल की बैठक में जैसे ही उन्हें CM बनाए जाने की घोषणा हुई तो सब चौंक गए।27 साल की उम्र में अटारी गांव में सरपंच का चुनाव जीतकर भजनलाल राजनीति में आए थे। सांगानेर (जयपुर) से पहले भी 2003 में नदबई (भरतपुर) विधानसभा सीट से उन्होंने सामाजिक न्याय मंच पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के सामने उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

भाजपा युवा मोर्चा से हुई एंट्री
भजनलाल शर्मा 34 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 10वीं क्लास 1984 और 12वीं क्लास 1986 में नदबई के गगवाना हाईस्कूल से पास की थी। इसके बाद बीए 1989 में एमएसजे कॉलेज भरतपुर से किया था। 1993 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से नॉन कॉलेज स्टूडेंट के तौर पर राजनीति शास्त्र से एमए किया था।युवा मोर्चा के नदबई मंडल के अध्यक्ष बनकर भजनलाल की बीजेपी में एंट्री हुई थी। नदबई में वे ABVP के अध्यक्ष और प्रमुख रहे, फिर भरतपुर जिले के सह संयोजक और कॉलेज इकाई प्रमुख व जिला सह प्रमुख बने थे।इसके बाद वे पार्टी में ही तरक्की करते गए। युवा मोर्चा भरतपुर के जिला मंत्री, जिला उपाध्यक्ष, जिला महामंत्री और 3 बार जिला अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद भाजपा में जिला मंत्री, जिला महामंत्री और जिला अध्यक्ष भी रहे।1992 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं। 1990 में ABVP के कश्मीर मार्च में भी सक्रिय रूप से जुड़े और उधमपुर तक का मार्च किया था। इस दौरान उन्होंने गिरफ्तारी भी दी थी।

बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ लड़ा था चुनाव
शर्मा ने भरतपुर की नदबई सीट से 2003 में राजस्थान सामाजिक न्याय मंच से भाजपा के बागी के रूप में चुनाव लड़ा। तब उन्हें 5,969 वोट मिले थे। इस सीट से कृष्णेंद्र कौर दीपा भी कांग्रेस और भाजपा के सामने निर्दलीय के रूप में चुनौती दे रही थीं। दीपा को 27,299 वोट मिले थे और वे जीत गई थीं। कांग्रेस के यशवंत सिंह रामू और भाजपा के जितेंद्र सिंह हार गए थे।

गोवर्धन परिक्रमा में आए नड्डा के करीब
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भजनलाल के पुराने संबंध हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले जेपी नड्डा गोवर्धन परिक्रमा के लिए भरतपुर आते थे, तब भजनलाल भरतपुर के भाजपा जिला अध्यक्ष थे। उस समय से ही उनके करीबी बने हुए हैं।साथ ही निंबाराम जब आरएसएस के सह प्रांत प्रचारक थे, तब उनका केंद्र भरतपुर था। उस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष होने के नाते भजनलाल की निम्बाराम से भी नजदीकियां बढ़ गई थीं। ऐसे में पूर्व में एबीवीपी से जुड़ाव और संघ का साथ मिलने से संगठन में उन्हें जल्द आगे बढ़ने के मौके मिले।

2021 में शाह के सीधे संपर्क में आए
अमित शाह ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की कमान संभाली थी। उस वक्त भजनलाल उनके सहयोगी के रूप में वहां गए थे। तब से ही भजनलाल अमित शाह की कोर टीम में शामिल हो गए। शाह के ही निर्देश पर भजनलाल को सेफ सीट से टिकट दिया गया। सांगानेर से टिकट मांगने वालों ने इस पर आपत्ति भी जताई, लेकिन संगठन ने साफ कहा कि शाह के निर्देश पर भजनलाल को टिकट दिया गया है। इसके बाद उनका विरोध थम गया था।भजनलाल को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक परनामी, मदन लाल सैनी, सतीश पूनिया और वर्तमान अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ महामंत्री के रूप में काम करने का अनुभव भी हैं। भजनलाल प्रदेश महामंत्री के रूप में अपने तीन-तीन साल के दो कार्यकाल पूरे करने के बाद लगातार तीसरी बार भी महामंत्री बने रहे। इससे पहले वे प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं।संघ के बैकग्राउंड के कारण महामंत्री रहते भजनलाल के अच्छे संबंध संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से भी बन गए थे। ये भी एक कारण है कि भाजपा ने इस बार के चुनाव में भजनलाल को सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी का टिकट काटकर वहां से उन्हें मौका दिया।

माता-पिता रहते हैं गांव में
56 साल के भजनलाल शर्मा का पैतृक गांव भरतपुर के नदबई कस्बे का अटारी है। पिता किशन स्वरूप शर्मा और मां गोमती देवी हैं। दोनों अभी अटारी गांव में ही रहते हैं। भजनलाल खेती और खनिज उपकरण की सप्लाई के काम से जुड़े हैं। ये उनका निजी व्यवसाय है। फिलहाल वे जयपुर के मालवीय नगर में रह रहे हैं।भजनलाल की पत्नी गीता भी पंचायत समिति सदस्य रह चुकी हैं। बड़ा बेटा आशीष प्रतियोगी परीक्षा (RAS) की तैयारी कर रहा है, वहीं छोटा बेटा कुणाल डॉक्टर है।