




तहलका न्यूज,बीकानेर। कहने को तो बीकानेर में चार विवि है। लेकिन इन विवि के हालात किसी से छिपे हुए नहीं है। इसे जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कहे या राजनीतिक शून्यता। पर विश्वविद्यालयों की स्थिति ऐसी है कि ये अतिरिक्तों के भरोसे चल रहे है। मंजर यह है कि महाराजा गंगासिंह विवि के कुलगुरू के पास वेटरनरी विवि के कुलगुरू का अतिरिक्त चार्ज है। तो एमजीएसयू के वित्त नियंत्रक अरविन्द विश्नोई को वेटरनरी विवि के वित्त नियंत्रक का अतिरिक्त कामकाज देखना पड़ रहा है। हालात यह है कि पिछले दस माह से कुलगुरू और करीब आठ माह से वित्त नियंत्रक के पद पर पदस्थापन नहीं हो रहा है। इसी तरह वेटरनरी विवि के रजिस्ट्रार पद को भी अतिरिक्त प्रभार वाले संभाल रहे है। यहां भी आरएएस को लगाया जाना है। किन्तु यह पद भी अप्रेल से रिक्त चल रहा है। स्थिति यह है कि वेटरनरी विवि में तो अनेक पदों को एक से ज्यादा अधिष्ठाता संभाल रहे है। ऐसे में काम के बोझ से प्रभावित अधिकारी भी अब नये पद का अतिरिक्त प्रभार लेने से इंकार कर रहे है। कुछ ऐसा ही एमजीएसयू में देखने को मिला। जब कु लसचिव के पद का अतिरिक्त प्रभार लेने से अरविन्द विश्नोई ने इंकार कर दिया। इसकी बड़ी वजह काम की अधिकता को बताया गया। हालात यह है कि परीक्षा नियंत्रक को कुलसचिव का अतिरिक्त चार्ज देना पड़ा।
खाली पड़े पदों से हो रहा कामकाज प्रभावित
लंबे समय से खाली पड़ पदों से कामकाज तो हो ही रहा है। लंबे समय से पद खाली सरकार के उन दावों को भी खोखला साबित कर रहे है। जिनके वे उच्च शिक्षा के विकास की बात करते है। स्थितियां यह है कि अनेक बार तो वित्तिय स्वीकृतियां भी अटक जाती है। किसी प्रकार के फैसलों में भी अनेक बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लंबे समय से संघर्ष कर बीकानेर में इन विवि को स्थापित करने वाले भी पदों की रिक्तियों को लेकर मौन धारण किये बैठे है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार महज अपनी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर ही ध्यान केन्द्रित किये हुए है। न कि इन रिक्त पड़े पदों को भरने में।