*बाल मुकुंद जोशी*
तहलका न्यूज,बीकानेर।किसी भी सियासी दल के सत्ता की चौखट पर चढ़ते ही उसके कार्यकर्ता और पदाधिकारी में एक अलग उत्साह दिखाई देने लगता है लेकिन राजस्थान में 9 महीने गुजर जाने के बाद भी सत्ता में आई भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं में घोर निराशा है।राज्य की राजधानी जयपुर सहित समूचे प्रांत में ‘कमल’ का फूल पूरी तरह मुरझाए हुए हैं। इस सबब पार्टी के वरिष्ठ नेता पूरी तरीके से शून्यता की अवस्था में आ चुके हैं.जिस प्रकार का वातावरण पार्टी का बना हुआ है उसके वर्कर तो संज्ञा सून है ही.प्रदेश में मुख्यमंत्री,मंत्री और कुछ अधिकारी जरूर बदले हैं लेकिन जड़ तक अभी तक कोई ऐसा परिवर्तन नहीं हुआ। जिससे भाजपाइयों को अपना राज कायम होने का अहसास तक नहीं हुआ है।अब तक सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद प्रदेश भर में निचले स्तर के अधिकारी बदले न जाने से भाजपाइयों की दुकानें नहीं चल रही है।
दिल्ली की पर्ची से बने मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट का स्वरूप देखकर सियासी गलियारों में उस वक्त ही यह चर्चा आम हो गई कि राज ढुलमुल ही चलेगा और ऐसा हो भी रहा है.भाजपा के शासन में आने के बाद आमतौर पर देखने में आया है कि मंत्रियों और विधायकों की न के बराबर चल रही है जबकि अधिकारियों का दबदबा बना हुआ है। जब शासन ही ढीला है तो संगठन तो “बेचारा” बना हुआ है।दिल्ली ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत प्रदेश के अधिकतर वरिष्ठ नेताओं को कोने में तो बैठा दिया लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अभी कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए बल्कि दिन-प्रतिदिन पार्टी की स्थिति डांवाडोल होती नजर आ रही है.आने वाले उपचुनाव में भाजपा को एक कड़ी परीक्षा देनी पड़ेगी इसमें राज्य सरकार और संगठन कोई करबत दिखा दे,ऐसे लक्षण तो परिलक्षित नहीं है।
राजस्थान में दिल्ली की दखल के बाद हर एक जिले के वरिष्ठ नेता भी नेपथ्य में चले गए हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौरे भी कार्यकर्ताओं में जान नहीं फूंक पा रहे।दरअसल मिनिस्टर जिलों में जाकर स्वागत सत्कार तो जरूर करवा लेते हैं लेकिन कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार नहीं कर पा रहे है।सामंजस्य और समन्वय के अभाव से सूबे के अधिकतर जिलों में भाजपा बिखराव की ओर चली गई है.यदि यह दौर लंबा चला तो कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भविष्य में राजस्थान में भी हरियाणा की वर्तमान जैसी राजनीति स्थिति बन जायेगी।
कुल मिलाकर शासन में आने कुछ महिनों में ही बीजेपी राज के हालात बिगड़ने से अब कांग्रेस भी हमलावर हुई है।प्रदेश की कानून व्यवस्था और सरकारी योजनाओं के ठप्प होने के मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही है।