तहलका न्यूज,बीकानेर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर जहां सभी पार्टियों अब उम्मीदवारों की तलाश में जुटी है और अन्दरूनी सर्वे करवाकर जीताउ व टिकाउ प्रत्याशियों की तलाश कर रही है। वहीं प्रदेश में सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा उहापोह की स्थिति में है। पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी भाजपा को बीकानेर शहर की नई टीम बनाने में पसीने छूट रहे है। बताया जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से संगठन की जिम्मेदारी संभालने वालों को टिकट नहीं देने के कायदे कही न कही आड़े आ रहे है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान अध्यक्ष ने प्रदेश नेतृत्व को चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर चुके है। ऐसे में अगर वे अध्यक्ष रहते है तो पद पर रहते चुनाव न लड़ने के नये नियम आड़े आते है। तो पार्टी के पास नया विकल्प खोजने का समय भी अब कम रह जाता है। जिसके चलते पिछले आठ महिनों से शहर की नई कार्यकारिणी का गठन भी नहीं हो पाया है। जबकि देहात की कार्यकारिणी बन चुकी है। इतना ही नहीं कुछ मंडल अध्यक्षों के बदलाव को लेकर भी पार्टी स्तर पर मंथन चल रहा है। पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और प्रत्याशी चयन की माथापच्ची के कारण प्रदेश नेतृत्व असमंजस हालात में है। हालांकि इसको लेकर पार्टी के नेता खुलकर कुछ कह पाने में असमर्थता दर्शा रहे है। किन्तु हकीकत यह है कि जनवरी में मिले नये अध्यक्ष की नई टीम को लेकर पार्टी स्तर पर उथल पुथल जरूर मची हुई है।
ज्यादा दावेदार भी बने है सिरदर्द
सूत्र बताते है कि केन्द्रीय नेतृत्व के कठोर निर्णयों के बीच शहर की दोनों विधानसभा सीटों के लिये दावेदारों की बढ़ती फेरिहस्त भी पार्टी के लिये सिरदर्द बनी हुई है। बताया जा रहा है कि पूर्व विधानसभा सीट पर छः से सात दावेदार है तो पश्चिम में आठ से नौ दावेदारों ने पार्टी को सोचने के लिये मजबूर कर दिया है। हालांकि सभी दावेदारों का टिकट मांगने का अपना अपना तर्क है। परन्तु पार्टी को उनके द्वारा दिए जा रहे तर्क हजम नहीं हो रहे है। ऐसे में पार्टी के तीन अन्दुरूनी सर्वे भी अलग अलग परिणाम दर्शा रहे है।