तहलका न्यूज,बीकानेर। एक तरफ आज के समय में जहां लोग अपना और अपने बच्चों का जन्मदिन होटल ,घरों व रेस्टोरेंटों में मनाकर पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने में पीछे नहीं है। वहीं दूसरी ओर बीकानेर जिले नापासर कस्बे की समाज सेविका सुमन मूंदड़ा ने शनिवार की सुबह बीकानेर शहर के पुगल रोड पर स्थित श्री गंगा जुबली पिंजरा पोल गौशाला में युवा संत छैल बिहारी जी और गौ सेवक देवकिशन चांडक “देवश्री” के सानिध्य में यहां पर दूसरी बार अपना जन्मदिन गोमाताओं के संग मनाकर एक बार फिर से अनूठी मिसाल कायम की है। अपने जन्मदिन के अवसर पर सुमन मुंदड़ा गौशाला पहुंची और बड़े चाव से गायों व बछड़ों की सेवा की। उन्हें महाप्रसादी के तौर पर लापसी खिलाकर अपना जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर यहां के कर्ताधर्ता गौ सेवक देवकिशन चांडक “देवश्री” ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ अब लोगों को भारतीय परम्परा का निर्वहन करना चाहिए। इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारे पूर्वज परंपरा में गाय को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और घर में पहली रोटी गाय की बनती है, हम सही मायने में देखें तो यहां बनने वाली लापसी में भी उतना ही खर्च आता है और सहयोग राशि के लिए लोग सामने तत्पर रहते हैं इसलिए हमें किसी भी तरह की कोई आर्थिक समस्या नहीं है लेकिन हमारा प्रयास था कि लोग साथ जुड़े और हमारी यह पिछले तीन सालों से मुहिम रंग ला रही है। घर के किसी सदस्य का जन्मदिन या फिर वैवाहिक वर्षगांठ और या अपने पूर्वज परिजन की पुण्यतिथि का मौका हो तो यहां आकर गौसेवा का पुण्य कमा सकते हैं, वे कहते हैं कि यहां सहयोग राशि का महत्व नहीं बल्कि खुद की मौजूदगी का महत्व है, यहां एक बार आने के बाद बार-बार आने का मन करेगा, यहां पर लोगों को उन संस्कारों से जोड़ने का प्रयास है जो हमने छोड़ दिए हैं जिनको हम भूलते जा रहे हैं, जिस व्यक्ति का जन्मदिन या वैवाहिक वर्षगांठ होती है उस दिन यहां सबकी मौजूदगी में उनका माल्यार्पण कर सम्मान भी किया जाता है, साथ ही गौसेवा के लिए आभार भी प्रकट किया जाता हैं। गौशाला में ₹100 से लेकर ₹11000 तक कोई भी व्यक्ति कितना भी सहयोग दे सकता है। उसके लिए कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन उस दिन गौमाता की बनने वाली महाप्रसादी लापसी भोजन उसी व्यक्ति के नाम से ही होता है। सब लोगों का सामूहिक रूप से जुड़ाव निश्चित रूप से इस मुहिम को आगे बढ़ा रहा है। इस गौशाला से जुड़े भाजपा नेता विजय उपाध्याय कहते हैं कि यह नवाचार केवल बीकानेर ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग प्रांतों में बैठे प्रवासी लोगों को भी लाया जा रहा है, हर रोज लोग यहां आकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक सहयोग भी करते हैं, मौका मिलने और बीकानेर आने पर इस आयोजन में भी शिरकत करते हैं। बीकानेर में पर्यावरण संरक्षण और गौ सेवा का संदेश प्रसारित करने वाले युवा बाल संत छैल बिहारी जी कहते हैं कि अपने संस्कारों से जुड़कर हम वापिस वहीं चले, जहां जिस पथ पर पूर्वज चलते थे, यहां गौशाला में जिस तरह का भक्तिमय वातावरण होता है वह गौसेवा के साथ प्रभु सेवा का भी अवसर देता है, यह अब महज एक गौशाला नहीं बल्कि साक्षात कृष्ण की गोकुल नगरी बन गई है। और दिपावली पर्व पर फिजूलखर्ची रोककर अनाथ बच्चों के साथ मिलकर मनायें।इस अवसर पर बीकानेर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष यशपाल गहलोत,कांग्रेस नेता नित्यानंद पारीक,सेवानिवृत्त पुलिस कर्मचारी मोती लाल प्रजापत,लूणाराम कुम्हार,चुन्नीलाल, सैय्यद अख्तर अली श्याम माहेश्वरी,लोकेश अरोड़ा,बिरजू लेगा,राजमोहन उपाध्याय,पृथ्वी पंवार,संदीप जोशी,रतन लाल बिहाणी,नंदकिशोर चांडक,नारायण सोनी,विनिता डागा,राधेश्याम राठी,दिपक गोस्वामी,अशोक पाइवाल, रमेश खत्री,रामलाल अग्रवाल, रेशमा,नवीन बिहाणी एवंगोशाला समिति के पदाधिकारी, सदस्यों सहित गौ भक्त उपस्थित थे।