तहलका न्यूज,बीकानेर। वीर सपूतों की मूर्ति स्थल के नीचे पट्टिका में जीवित व्यक्तियों के नाम लिखना अपराध की श्रेणी है। इन जीवित लोगों का इस प्रकार की गतिविधियों में ऐसे लोगों को कोई योगदान नहीं है। ये बात शहीद सम्मान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल देव आनंद ने रेजांगला युद्व में वीर हुए शहीदों के श्रद्वाजंलि कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में कही। साथ ही उन्होंने शहीद की याद में नामकरण हुई स्कूलों में शहीदों की मूर्तियों भी लगाने का आग्रह सरकार से किया है। कर्नल ने जिले के शेष रहे शहीद परिवारों को मुरब्बा आवंटन की पैरवी भी की है। कर्नल देव आनंद ने सरकार से ये भी आग्रह किया कि वीर पुत्र की मूर्ति के नीचे पट्टिकाओं पर जीवित लोगों का नाम न खोदें। उन्होंने वीर सपूतों का सम्मान करने की बात कहते हुए पट्टिकाओं में केवल शहीद का नाम व उनके कार्यकलापों को जगह देने के लिये कहा। इससे पहले कैप्टन चन्द्र चौधरी स्मारक पर आयोजित श्रद्वाजंलि कार्यक्रम में रेजांगला युद्ध में शहीद हुए 114 जवानों को पुष्प अर्पित कर दो मिनट का मौन रखा गया। इस मौके पर अपने विचार रखते हुए कर्नल देव आनंद ने कहा कि 1962 में लद्दाख में 18 हजार फीट की पहाड़ी पर भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया। सिर्फ 120 सैनिकों ने चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।भारतीय सैनिक संख्या में काफी कम थे लेकिन साहस में चीनी सेना से बहुत आगे थे। भारत के एक सैनिक ने कई चीनी सैनिकों को मारा। कुछ सैनिकों की गोली खत्म हो गईं तो उन्होंने दुश्मनों को अपने जूतों से मारना शुरू कर दिया।भारतीय सैनिक लड़ते हुए शहीद हो गए लेकिन चीन के सामने सरेंडर नहीं किया। रेजांगला वॉर में भारत के 114 सैनिक शहीद हो गए और 6 सैनिकों को चीन ने पकड़ लिया। बाद में ये 6 सैनिक चीन के चंगुल से भाग निकले। इस मौके पर समिति के प्रदेश सचिव सीताराम चौधरी,पूर्व पार्षद पप्पू गुर्जर सहित अनेक जने मौजूद रहे।