



तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो राज्स सरकार भामाशाहों की मदद से स्कूलों की कायाकल्प करने की बात करती है। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूल की जमीन पर ही कब्जे की शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग कछुआ चाल में कार्रवाई कर कब्जाधारियों के हौसले बुलंद कर रहा है। ऐसा ही एक मामला रानीबाजार स्थित राजकीय उमा बालिका विद्यालय गुरूद्वारा में सामने आया है। जिसमें स्कूल परिसर में कुछ जमीन का पट्टा बनाकर उसे अन्य व्यक्ति को बेच दिया गया है। इस जमीन को खरीदने वाले व्यक्ति ने उस हिस्से को तोड़कर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। मजे की बात तो यह है कि जब स्कूल के स्टाफ ने जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी सूचना दी तो डीईओ ने अभियंताओं को भेजकर इस बात की प्रमाणिकता भी करवा ली। अभियंताओं ने अपनी रिपोर्ट में स्कूल परिसर निर्माण कार्य होने की बात भी कही है। जिसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से निर्माण कार्य भी नहीं रोका जा सका है।
डूंगरशाही पट्टा होने की बात
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस स्कूल को गुरूद्वारा कमेटी की ओर से दान दिया गया है। जिसका डूंगरशाही पट्टा भी है। लेकिन इस परिसर के एक छोर पर निवास कर रहे रणजीत सिंह नामक शख्स ने अपने नाम से पट्टा बनवाकर विगत दिनों गौरव नामक व्यक्ति को बेच दिया। जब गौरव ने निर्माण कार्य शुरू किया तो विभागीय अधिकारियों ने कागजात दिखाने के बाद भी काम नहीं रोका। लेकिन गौरव ने पट्टेशुदा जमीन को खरीदने की बात कहते हुए विरोध को दरकिनार कर दिया।इस पर कार्यवाहक प्रिसिंपल ने इसको जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी सूचना भी दे दी।
डूंगरशाही पट्टे के बाद भी बीडीए ने बना दिया पट्टा
अब चर्चा इस बात की है कि डूंगरशाही पट्टा होने के बाद भी बीकानेर विकास प्राधिकरण ने नया पट्टा कैसे जारी कर दिया। जबकि स्कूल परिसर का एकल पट्टा बना हुआ है। ऐसे में स्कूल के एक हिस्से का अलग से पट्टा बनना सवालों के घेरे में आता है।
शिक्षा मंत्री ने कब्जे हटाने के दिए थे निर्देश
मजे की बात तो यह है कि विगत महीनों में इस स्कूल में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर आएं थे और उन्होंने स्कूल में हुए कब्जों को हटाने के दिशा निर्देश दिए थे। लेकिन जिला प्रशासन ने मंत्री के दिशा निर्देशों की भी अनदेखी करते हुए खानापूर्ति की। जिससे कब्जाधारी के हौसले बुलंद हो गये।
सीबीआई जांच हो तो खुले पोल
इस प्रकार स्कूलों में कब्जों को लेकर बने पट्टों की अगर सीबीआई जांच हो तो पोल खुल सकती है और बीडीए की इस प्रकार की कारगुजारी का भी पटाक्षेप हो सकता है।