तहलका न्यूज,बीकानेर। क्लीन स्पोट्र्स क्लब द्वारा राजस्थान के क्रीड़ा संघों मे दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा आदेश की अनुपालना में नेशनल स्पोट्र्स डवलपमेन्ट कोड (राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता) 2011 को अनिवार्यता से लागू करने की मांग की गई है।क्लीन स्पोट्र्स के सचिव शैलेष गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि आज गम्भीर चिन्तन का विषय है कि खेल संघों पर कुछ विशेष लोगों द्वारा दशकों से कब्जा किया हुए है और उसका दुरूपयोग करते चले आ रहे है। देश के सभी प्रभुत्व नागरिक इस गम्भीर समस्या से परेशान थे लेकिन उनके उंचे रसूख को देखते हुए कुछ भी नही कर पा रहे थे। इसी को देखते हुए न्यायपालिका ने आगे बढ कर कदम उठाया और माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने रिट याचिका संख्या 195/2010 में दिये गये आदेश दिनांक 16.08.2022 एवं 2024 में दिये गये आदेशों में यह स्पष्ट आदेश जारीया है कि राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 केन्द्र सरकार की कानूनी व्यवस्था है और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा स्पोर्ट्स कोड को देश के सभी राज्य एवं जिला संघों को लागू करने की अनिवार्यता का आदेश दिया है।आज गुप्ता ने बताया कि आज क्लीन स्पोर्टस क्लब की आवश्यक बैठक कर उन्होने राज्य सरकार के राज्य क्रीड़ा परिषद् के अध्यक्ष एवं सचिव खेल मंत्रालय को अभ्यावेदन भेजकर मांग की कि माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की पालना सुनिश्चित कराई जाकर राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 के अनुसार 10-20 वर्षो से जिला एवं राज्य संघों पर कब्जा किये पदाधिकारियों को तुरन्त प्रभाव से हटाया जावें। गुप्ता ने आगे कहा राजस्थान में क्रीड़ा अधिनियम 2005 प्रचलन में है जिसमें कार्यकाल की सीमा निर्धारित नहीं है लेकिन अब चुंकि न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 के अनुसार यह व्यवस्था कर दी है तो उसके अनुसार सभी संघों में जमे हुए रसूखदार लोगों की छुटटी की जाये राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 की पालना की जाये। राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 के अनुसार निम्न प्रावधान किये गये है।
1. राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 के अनुसार मुख्य रूप से किसी भी जिला एवं राज्य संघ में चुने हुए पदाधिकारी लगातार दो कार्यकाल अथवा आठ वर्षो से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते।
2. राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 के अनुसार 70 वर्ष की आयु के पश्चात् कोई भी व्यक्ति किसी भी क्रीड़ा संघ मंे पद धारण नहीं कर सकता और यदि वह वर्तमान में पदधारित किये हुए है तो उसे तुरन्त प्रभाव से हटाने की जिम्मेदारी सरकार की है।
3. राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता के अनुसार प्रत्येक चुनाव में पूर्व पदाधिकारी का लगातार दुसरी बार चुनाव में भाग लेता है तो उसे कुल मतदान का 2/3 मत प्राप्त करने पर ही विजेता मान्य होगा।
आज क्लीन स्पोर्टस क्लब के पदाधिकारीयों ने चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि राजस्थान में कई राज्य संघ एवं जिला संघों में पदाधिकारी 10-20 वर्षो से कब्जा जमाये बैठे है इनका मुख्य संघ के माध्यम से व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना होता है और खेल संघ को कागजों में दर्शातें है एवं चुनाव भी कागजों में ही होता है। क्रीड़ा संघों में सुशासन व्यवस्था जरूरी है ताकि खेल संघों में पारदर्शिता – जवाबदेही एवं संवेदनशीलता को प्राथमिकता से लागू किया जा सके।
गुप्ता ने बताया कि राज्य में खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्वयं खिलाड़ी और केन्द्रीय मंत्री भी रहे है उन्हे खेलों की हो रही दुर्दशा और खेल संघों में रसूखदारों की पकड की पुरी जानकारी है। अतः हमें आशा है कि वे राष्ट्रीय क्रीड़ा विकास संहिता 2011 को लागू करवा कर खेल प्रशासन में स्वच्छ व्यवस्था को बढ़ावा देंगे।