



तहलका न्यूज,बीकानेर। पीबीएम अस्पताल के औषध विभाग ने आज नेशनल डॉक्टर्स डे के अवसर पर एक विशेष समारोह का आयोजन किया,जिसमें वरिष्ठ डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। इस दौरान पीबीएम अधीक्षक डॉ.सुरेंद्र कुमार,डॉ.परमेंद्र सिरोही, डॉ. बी.के.गुप्ता,डॉ.वीर बहादुर सिंह, डॉ.संजय कोचर,डॉ.सुभाष गौड़,डॉ.विजय टुंडवाल,डॉ.बाबूलाल मीना को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।समारोह में डॉ.मनोज माली,डॉ.आत्माराम, डॉ.मनोज मीणा, डॉ.नरेंद्र गहलोत, डॉ.इमरान,डॉ.भामु,डॉ.विनोद मेघवाल सहित कई अन्य डॉक्टर भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सम्मानित डॉक्टरों को शॉल ओढाकर और साफा पहनाकर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर पीबीएम अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार ने सर्व समाज में डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उनके समर्पण पर जोर दिया । औषध विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. परमेंद्र सिरोही ने डॉक्टरों के निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच समन्वय बनाए रखने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की, जिसे उपस्थित चिकित्सकों ने सराहा। समारोह में कई वरिष्ठ डॉक्टर और चिकित्सा छात्र मौजूद रहे।कॉलेज सीएमई में आज डॉ. श्याम लाल ने डेंगू रोग पर एक विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें रोग के लक्षण, रोकथाम और उपचार पर प्रकाश डाला गया।
डॉ. विधान चंद्र राय की स्मृति में मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर डे
डॉ. विधान चंद्र राय की स्मृति में मनाए जाने वाले नेशनल डॉक्टर्स डे के अवसर पर पीबीएम अधीक्षक डॉ.सुरेंद्र कुमार ने बताया कि डॉ राय एक प्रसिद्ध भारतीय चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 1948 से अपनी मृत्यु तक 14 वर्षों तक इस पद पर कार्य किया। उनका जन्म बिहार के पटना में हुआ और उन्होंने कोलकाता मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में एमआरसीपी और एफआरसीएस की डिग्रियां हासिल कीं।डॉ. राय ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया,बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वे महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक और मित्र थे। उन्होंने कई चिकित्सा संस्थानों जैसे जादवपुर टीबी अस्पताल,चितरंजन सेवा सदन और चितरंजन कैंसर अस्पताल की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने दुरगापुर,कल्याणी और बिधाननगर जैसे शहरों की नींव रखी,जो आधुनिक बंगाल के विकास में मील का पत्थर साबित हुए।उनके समाज सेवा और स्वास्थ्य सुधारों के लिए 1961 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी स्मृति में हर साल 1 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है, जो उनके जन्म और मृत्यु की तारीख को दर्शाता है। डॉ.राय का जीवन समर्पण, नेतृत्व और मानवता की सेवा का प्रेरणादायक उदाहरण है।