जयनारायण बिस्सा

तहलका न्यूज,बीकानेर। नशे के काले कारोबार और नशे की दुनिया में डूब रही जवानी के लिए अब तक पंजाब ही बदनाम था लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि छोटी काशी के नाम से पूरे देश में ख्यातनाम भुजिया पापड़,रसगुल्ले का शहर बीकानेर अब नशे का शिकार हो रहा है। जिसकी अगली पीढ़ी बर्बाद हो रही है। मजे की बात तो यह है कि नशा मुक्त बीक ानेर बनाने के लिये स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से दिखावा खूब हुआ। लेकिन स्थिति आज भी वहीं ढाक के तीन पात वाली बनी हुई है। होली पर न केवल नशा परवान पर नजर आ रहा है। बल्कि भांग व उससे बने उत्पाद की खुली बिक्री ने तो नशा मुक्त बीकानेर के अभियान पर ही पानी फेर दिया। हालात यह रहे कि भांग का सेवन करने में हर आयु वर्ग के लोग शामिल रहे। हालांकि इसे परम्परा का नाम देकर ढकने का काम भी किया गया। परन्तु नशे की पहली सीढ़ी के रूप में भांग से बने उत्पादों की रिकार्ड तौर बिक्री ने प्रशासन अक्षमता को भी उजागर कर दिया।

स्वास्थ्य विभाग नजर आया बौना
मंजर यह रहा कि त्योहारी सीजन में मिलावट के नाम पर स्वास्थ्य महकमे ने खूब थोथी वाही वाही लूटी। कार्रवाही के नाम पर अप्रत्यक्ष वसूली भी की। खाद्य पदार्थों की इस जांच पड़ताल में कभी भी भांग से बने उत्पादों के नमूने नहीं लिए। विभाग ने कभी यह जानने का प्रयास तक नहीं किया कि आखिर भांग उत्पादों में मिलाई गई भांग की मात्रा व उसकी क्वालिटी कैसी है। बस चंद दुकानों व कारखानों पर कार्रवाईयां कर इतिश्री कर ली।

मजाक बना नशा मुक्त बीकानेर अभियान
बीकानेर को नशा मुक्त बनाने के लिये स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से अभियान चलाएं गये। किन्तु ये अभियान जल्द ही ठंडे बस्ते में नजर आएं। जिसके चलते धड़ल्ले से होली पर जमकर शराब,भांग,नशे की गोलियों और अन्य नशे के उत्पाद बिके तथा इनका उपयोग सर्वोधिक युवा पीढ़ी ने किया। हालात यह रहे कि नशा मुक्ति की पैरवी करने वाले नेताओं के साथ साथ पुलिस व प्रशासन भी मूक दर्शक बना रहा।

क्या कहता है आमजन
युवा अपने कैरियर व पारिवारिक जिम्मेदारी से पूरी तरह से बेखबर नजर आ रहे हैं। यह कहना कतई गलत न होगा कि युवा पीढ़ी पथ भ्रमित नजर आ रही है। हालत यह है कि जिले में नशा करने वालों की संख्या बढ़ी है। इसमें 13 साल से लेकर 20 वर्ष तक की आयु के ही युवा ज्यादा चिह्नित किये जा रहे हैं। नशे के दलदल में फंसने वालों में अच्छे-अच्छे परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं,जो पढऩे लिखने की उम्र मेें नशे के आदी होते जा रहे हैं।
प्रहलाद सिंह मार्शल

जांच को और तेज करने की जरूरत

हालांकि पुलिस नशे का कारोबार करने वाले लोगों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं,लेकिन जांच को और तेज करने की जरूरत है, ताकि जिला नशा मुक्त हो। पुलिस ने चरस,हेरोइन और अन्य नशों के साथ काफी संख्या में लोगों को सलाखों के पीछे धकेला है। जिसमें युवा पीढ़ी ज्यादा संलिप्त पाई गई है।
मनोज विश्नोई,पूर्व पार्षद

संगत का रहे ध्यान
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था में खास ध्यान दिया जाना चाहिए। उनकी संगत पर निगाह रखी जाएं। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं।
अभिषेक जोशी,काउंसलर,संजीवनी द लाइफ बियोड कैंसर

नशा गंभीर समस्या बन चुका
नशा समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। इसके कारण बहुत से युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा हैं। आज का युवा नशे के जाल में फंसता जा रहा है। इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर भी हो रहा है।
गिरिराज पुरोहित,युवा