




तहलका न्यूज,बीकानेर। अपने शैशव काल से अनियिमितताओं का दंश झेल रहे अभियांत्रिकी महाविद्यालय में भ्रष्टाचार रूकने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार आई और चली गई। लेकिन महाविद्यालय को गर्त में पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। जो इस बात का संकेत है कि सरकार बदलती है,व्यवस्थाएं नहीं। 2 जून को विश्वविद्यालयों के मुखिया,केन्द्र के कानून मंत्री और तकनीकी विभाग के मंत्री बीकानेर तक नीकी विवि में आ रहे है। क्या वे अभियांत्रिकी महाविद्यालय में अनियमितताओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कोई कदम उठाने की हिमाकत दिखाएंगे या फिर सबका साथ सबका विकास में भागीदारी निभाक र फर्जी तरीके से कॉलेज को चूना लगाने वालों की फाइल भोलाराम की जीव की तरह छोड़ देंगे। जबकि इनकी शिकायत पीएमओ तक हो चुकी है। उसके बाद भी न खाऊंगा और न खाने दूंगा की बात करने वाले भगवा दल के मंत्री व स्थानीय जनप्रतिनिधि इसको लेकर मौन बैठे है। ऐसे में अब 2 जून को इसी विभाग के मंत्री व प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सहित कुलाधिपति और केन्द्रीय कानून मंत्री से न्याय की उम्मीद शिकायतकर्ता लगाएं बैठे है। बताया जा रहा है कि तीन बार इसकी शिकायतें पीएमओ,सीएमओ तक जा चुकी है और न्यायालय ने भी नियुक्ति पाने वालों को सैलेरी लाभ मुख्य केस के बाद देने के आदेश दे रखे है और आज भी इनका वाद न्यायालय में चल रहा है। ऐसे में भगवाधारी दल की सरकार संविधान को परे रख फर्जी नियुक्ति पाने वालों को बचा रही है।
ये है मामला
अभियांत्रिकी महाविद्यालय में सन 2018 में 18 अशैक्षणिक कार्मिकों की भर्ती की गई थी। इस भर्ती को फर्जी बताते हुए यहीं के कार्मिक सुरेन्द्र कुमार जाखड़ ने इसकी शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर व बीकानेर को की थी। जिसके बाद तकनीकी शिक्षा विभाग ने भर्ती प्रक्रिया पर संज्ञान लेते हुए इसकी जांच के लिये एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया था। 2021 में जांच भी की गई। इस कमेटी ने शिकायतकर्ता द्वारा दिए गये तथ्यों को सही पाया और भर्ती को फर्जी मानते हुए मार्च 2022 में चयनित कार्मिकों की सेवा समाप्ति के आदेश प्रदान किये। जिसके आदेशों को महाविद्यालय ने मानते हुए कार्मिकों की सेवा समाप्त कर दी गई थी।
एसीबी ने भी माना भर्ती है फर्जी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी अपनी जांच पड़ताल में महाविद्यालय से उक्त भर्ती से संबंधित दस्तावेजों की जांच की तो विभाग द्वारा शिकायतकर्ता द्वारा लगाये गये आरोपों को सही माना। जिसके बाद तकनीकी शिक्षा विभाग ने जांच कर कार्रवाई की स्वीकृति प्रदान कर दी। परन्तु भाजपा की सरकार आते ही उक्त कार्मिकों ने अपने राजनीतिक पावर का उपयोग कर तकनीकी शिक्षा विभाग व महाविद्यालय के अधिकारियों पर दबाव बनाकर ना केवल अपना 7 वें वेतनमान के हिसाब से नियुक्ति में परिविक्षा काल को पूर्ण करने के आदेश करवा लिए और न्यायालय एवं एसीबी में चल रहे प्रकरण को अपने अनुसार तथ्य छिपाकर लाभ लेने के लिये तकनीकी शिक्षा विभाग में कुंजीलाल स्वामी ने विशेषाधिकारी के पद तथा लवेश गुप्ता को अन्य लाभ के पद पर नियुक्ति करवा लिया। जबकि पूर्व में महाविद्यालय में 2 करोड़ के गबन का भ्रष्टाचार का मामला न्यायालय में विचाराधीन है और उस मामले में संबंधित कर्मचारी को जेल तक जाना पड़ा था। फिर भी महाविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाकर इन भ्रष्ट कर्मचारियों ने अपनी नियुक्ति वित्त एवं प्रशासनिक विभाग में करवा ली।
सेवा समाप्ति वाले कार्मिकों ने दायर की थी याचिका
सेवा समाप्त होने वाले कार्मिकों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में वाद दायर किया। न्यायालय ने सेवा समाप्ति से पहले नोटिस न देने के कारण इन कार्मिकों को स्टे दे दिया। तकनीकी शिक्षा विभाग ने स्थगन आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय की डबल बैंच में स्थगन आदेश को खारिज करने के बाद वाद दायर किया लेकिन तकनीकी शिक्षा विभाग व अतिरिक्त महाधिवक्ता की न्यायालय में कमजोर पैरवी के कारण स्थगन आदेश जारी रखा गया।
इन कार्मिकों की हुई थी नियुक्ति
महाविद्यालय की ओर से 17 जुलाई 2018 को कुंजीलाल स्वामी,राजेश कु मार व्यास,अंगद विश्नोई,नवरत्न लदरेचा,तरूण एटे,लवेस गुप्ता,अमित कुमार ओझा,बलवंत भाटिया,नंद किशोर हर्ष,सुजीत कुमार भाटी,मनोज कूकना,क पिल व्यास,महेन्द्र सैनी,श्रीमति सुमन स्वामी,रवि रावत,निखिल पारीक, अजय सिंह व रामकुमार जोशी शामिल है। इसमें रामकुमार जोशी की मृत्यु हो चुकी है। शेष सभी अभी भी कार्यरत है।