तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो प्रशासनिक अधिकारी एसी के कमरों में बैठकर मानसून से पूर्व जर्जर मकानों को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करते है। वहीं दूसरी ओर सरकारी आवासों में रह रहे अधिकारियों,न्यायाधीशों के जर्जर हालात में पड़े आवासों की ओर शिकायत के बाद भी गौर नहीं कर रहे। विभागों की लापरवाही की बानगी का जीता जागता उदारहण मंगलवार को सामने आया। जब पारिवारिक न्यायाधीश संख्या एक सुशील कुमार जैन के सरकारी आवास में रसोई की छत का प्लास्टर भरभरा कर गिर गया। इस समय न्यायाधिपति की पत्नि रसोई में काम कर रही थी। उनके हाथ व पांव में चोट आई है। इस दौरान सूचना मिलने पर स्थानीय पार्षद पुनीत शर्मा मौके पर पहुंचे। न्यायाधिपति जैन ने घटना पर रोष जताते हुए कहा कि पीडब्ल्यूडी को बार बार कहने के बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि इस बारे में अनेक बार लिखित व मौखिक रूप से पीडब्लूडी के अधिकारियों को कहा जा चुका है। जिसके बाद अभियंता ने मौका मुआयना भी किया था। परन्तु अभी तक इसको दुरूस्त नहीं करवाया। उन्होंने पीडब्लूडी के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लेटलतीफी के कारण यह हादसा हुआ। घटना के कुछ देर बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मरम्मत का तकमीना बनाने लगे। गौरतलब रहे कि इस इलाके में अनेक अधिकारियों सरकारी आवास है,जो जर्जर हालत में है। जहां कभी भी हादसा हो सकता है।

हो रही है चर्चाएं
इस घटना की खबरें सोशल मीडिया पर आने के बाद अब यह सवाल उठने लगे है जब पीड़ितों के साथ न्याय करने वालों की भी विभाग नहीं सुनता तो आमजन के क्या हालात है। उनकी सुनवाई आखिर कहा हो रही है।