जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। शहर की सरकार का दस दिनों बाद कार्यकाल समाप्त हो जा एगा। ऐसे में आगामी चुनावों तक प्रशासकों की नियुक्ति कर काम चलाऊ मुखिया बैठाया जाएगा। लेकिन पिछले पांच सालों में जनता द्वारा जीतकर आएं 80 वार्डों के प्रतिनिधि इन पांच सालों में बतौर पार्षद शहर में अपनी पहचान नहीं बना पाएं। हालात यह है कि निगम की साधारण सभा में भी कभी भी पूरे 80 पार्षद नहीं पहुंचे। जिसके अपने वार्डों में विकास कार्य करवाने के लिये जनता अन्य जनप्रतिनिधियों के भरोसे ही रही। बीकानेर तहलका न्यूज की टीम ने जब शहर के अनेक लोगों से 80 वार्डों के पार्षदों के नाम पूछे तो किसी को भी पूरे नाम की जानकारी नहीं थी। इतना ही नहीं कई व्यक्ति तो पार्षद प्रतिनिधि को अपना पार्षद बताते नजर आएं। मंजर यह रहा कि कई लोग तो ऐसे रहे जो पूर्व पार्षदों को बतौर पार्षद घोषित करते दिखे। जब न्यूज पोर्टल क ी टीम ने पार्षदों के कामकाज की चर्चा की तो अधिकांश पार्षदों से आमजन की नाराजगी ही दिखी।

चालीस प्रतिशत पार्षद शहर में नहीं बना पाएं अपनी पहचान
हालात यह है कि 80 वार्डों में जीते दोनों ही दलों व निर्दलिय पार्षदों में से 40 प्रतिशत पार्षद अपनी पहचान न तो पार्टी स्तर पर और न ही शहर में बना पाएं। इनको व्यक्तिगत रूप से आज भी लोग नहीं जानते है। हां इनके प्रतिनिधियों की वजह से थोड़ा बहुत इनकी पहचान बनी हुई है। तहलका न्यूज टीम ने जब इनके नामों की लिस्ट आमजन के सामने रख चर्चा की तो सामने आया कि पार्षद सरोज देवी,हरिओम कड़ेला,श्रीमति ज्योति,मुजाहिद हुसैन,माणकलाल,कविता ,शांति देवी,वसीम खिलजी,मंजू देवी सोनी,खुशबू पंवार,कमल कंवर,लक्ष्मी कंवर,मजीदन चौहान,लक्ष्मी देवी,परमेश्वरी देवी,विजय सिंह,दर्शना चांवरिया,अनिता शर्मा,रफीक,नुसरत आरा,महजबीन,मनोहरी देवी,मेहनाज बानो,अनामिका शर्मा,गोपीचंद सोनी,जुलेखा बानो,मनोज कुमार,अशोक कुमार माली,सज्जाद खांन,संजय गुप्ता,माणकलाल,चारू शर्मा,झमनलाल गजरा जैसे सरीखे नाम से लोगों ने अनभिज्ञता जताई। ऐसे में शहरवासी अपने पार्षदों तक को न जानना बड़ा अजीब संयोग है।

2019 में बढ़ा था शहर का दायरा,वार्ड संख्या में हुई बढ़ोत्तरी
पिछले निगम चुनाव से पहले 60 वार्ड थे। विगत चुनाव में परिसीमन के बाद शहर में वार्डों की संख्या बढ़कर 80 हो गई। ऐसे में जब अब परिसीमन होगा तो यह संख्या बढ़कर 100 के करीब पहुंच सकते है। विडम्बना यह रहेगी कि अगर छोटे से शहर में ही वार्ड पार्षद अपनी पहचान नहीं बना पा रहे है तो शहर के बढ़ते दायरे में यह समस्या ओर विकट होती जाएगी।

27 को हो रहा है निगम का कार्यकाल खत्म
शहरी सरकार यानी नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल इस महीने की 26 तारीख के अगले दिन समाप्त हो जाएगा। जबकि इस बार राज्य सरकार ने वन स्टेट-वन इलेक्शन की मंशा के मद्देनजर प्रदेश के 49 शहरी निकायों के चुनाव नहीं करवाए हैं। इन 49 निकायों में नगर निगम बीकानेर भी शामिल है। जानकारों की मानें तो इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि 26 नवम्बर के बाद बोर्ड के अस्तित्व में नहीं होने से सरकार प्रशासक नियुक्त कर काम चलवाएगी। जानकारों के अनुसार वर्ष 1994 के दिसम्बर के बाद करीब 28 साल बाद होगा। गौरतलब है कि संविधान में पंचायतीराज व्यवस्था के अंतर्गत संशोधन होने के बाद 1994 से प्रत्यक्ष चुनाव नए सिरे से करवाए गए थे। तब से नगर परिषद् और 2009 से नगर निगम के चुनाव बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई जाती रही है। ऐसे में एक के बाद सभापति या महापौर के नेतृत्व में नया बोर्ड मोर्चा संभालता रहा है। लेकिन इस बार हालात एकदम से नए बन गए हैं। राजस्थान में करीब 190 स्थानीय निकाय हैं और इनमें 49 निकायों का कार्यकाल 26 नवम्बर को खत्म हो रहा है।