तहलका न्यूज,बीकानेर। धन की देवी लक्ष्मी का पर्व दीपावली शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। घर-घर, दुकानों,प्रतिष्ठानों में मां लक्ष्मी का पूजन कर आरती की जाएगी। घरों,दुकानों,प्रतिष्ठानों,मंदिरों में दीपदान होगा। पूरा शहर रंगीन रोशनी और दीयो की झिलमिलाहट से रोशन रहेगा। लक्ष्मी आगमन के स्वागत में आतिशबाजी होगी। दीपावली को लेकर पूरा शहर रंगीन रोशनी से जगमगा रहा है। बाजारों में खरीदारी का क्रम चल रहा है। घर-घर में लक्ष्मी पूजन की तैयारियां चल रही है। दीपावली पर विभिन्न शुभ मुहूर्तों में शहरवासी लक्ष्मी का पूजन करेंगे।
लक्ष्मी पूजन का समय
ज्योतिषाचार्य पंडित भैरवरतन बोहरा ने बताया कि दीपावली लक्ष्मी पूजन के मुहूर्त के लिए ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध स्थिति का मुहूर्त श्रेष्ठ होता है। सायंकाल सूर्यास्त के बाद तत्काल प्रदोष काल प्रारंभ होता है जो कि रात्रिमान का प्रथम 1/5 समय होता है,उसमें अमावस्या का कम से कम 24 मिनट स्पर्श होना अनिवार्य है। साथ ही स्वाति नक्षत्र की उपलब्धता ।पंडित बोहरा ने बताया कि इसके साथ ही यदि दोनों दिन प्रदोष में अमावस्या की उपस्थिति हो तो दूसरे दिन की उपस्थिति वाले दिन लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रानुसार श्रेष्ठ होता है। लक्ष्मी पूजन से पूर्व निम्न कृत्य प्रात: स्नानादि से निवृत हो देवपूजन, अपराह्न मे पार्वण श्राद्ध व प्रदोष में दीपदान कर लक्ष्मी पूजन करने का शास्त्र वचन है । शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि यदि दो दिन प्रदोषकाल में अमावस्या की व्याप्ति हो तो बाद वाले दिन की अमावस्या की उपस्थिति को लेना चाहिए ।उन्होंने बताया कि अमावस्या 31.10.2024 को सायंकाल 15:52 से प्रारंभ होकर 01.11.2024 को सायं पश्चात् 18:17 बजे तक है। स्वाति नक्षत्र 31.10.24/01.11.2024 की मध्य रात्रि 12:45 से प्रारंभ होकर 01.11.2024/ 02.11.2024 की मध्यरात्रि पश्चात् 03:31 बजे तक है। भारत में 01.11.2024 को सबसे पहले सूर्यास्त अरुणाचल में सायं 5 बजे से पूर्व व सबसे अंतिम द्वारका में सायं 05:52 बजे होगा । 31.10.2024 को प्रदोषकाल में चित्रा नक्षत्र विद्यमान रहेगा जो कि मृदुसंज्ञक व मध्यलोचन नक्षत्र है तथा देवी पूजन में वर्जित किया गया है।इस प्रकार 01.11.2024 को लक्ष्मी पूजा के लिए सभी अनिवार्य विहित सबसे ज्यादा स्थितियां 01.11.24 को उपलब्ध है । 01.11.2024 को सम्पूर्ण भारत में प्रदोष काल में 24 मिनट से अधिक समय अमावस्या व स्वाति नक्षत्र उपलब्ध रहेगा ।इस प्रकार सम्पूर्ण भारत में लक्ष्मी पूजा का 01.11.2024 को सूर्यास्त से लेकर 06:17 बजे तक का समय सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त है ।
उकेरेंगे मांडणे, बनेंगे पगलिए
दीपावली पर पारंपरिक रुप से घर-घर में सफेद और लाल मिट्टी से पारंपरिक मांडणे चित्रित किए जाएंगे। लक्ष्मी पूजन स्थलों पर मांडणे चित्रित कर उन पर लकड़ी की चौकी लगाकर मां लक्ष्मी को स्थापित कर पूजन किया जाएगा। वहीं घर के मुख्य द्वार से पूजन स्थल, विभिन्न कमरों, रसोई आदि तक मां लक्ष्मी के आगमन प्रतीक रुप में मिट्टी से पगलिए बनाएं जाएंगे। वहीं कई घरों में प्रिंटेड मांडणे और पगलिए भी लगाए जाएंगे।
घर-घर बन रहे पकवान
लक्ष्मी पूजन के लिए घरों में पारंपरिक रुप से पकवान भी तैयार किए जा रहे है। घर परिवार की महिलाएं सामूहिक रुप से आटा,मैदा, गुड,चीनी,सौंफ,अजवायन,घी,चीनी चासनी आदि से विविध पकवान बनाने में जुटी हुई है। वहीं बाजारों से तैयार मिठाईया,नमकीन,भुजिया आदि की खरीदारी भी चल रही है।
पूजन सामग्री की खरीदारी
लक्ष्मी पूजन के लिए पूजन सामग्री की खरीदारी का क्रम चला। लोगों ने लक्ष्मी पूजन के लिए लक्ष्मीजी का पाना,चीनी से बने मखाणा,महल-माळिया,ज्वार फूली,क ाचर,बेर,मतीरा,सीताफल,सिंघाड़ा,मिट्टी से बनी हटड़ी,कुलड़, छोटे व बड़े दीपक,रुई,कुकुं,रोळी,सुपारी,इत्र,कपूर,पुष्प मालाएं इत्यादि पूजन सामग्री की खरीदारी की। विभिन्न बाजारों में पूजन सामग्री की दुकानों पर सुबह से रात तक खरीदारों की भीड़ लगी रही।पंचांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराड़ू ने बताया कि धर्म शास्त्रीय मर्यादा (मान्यता) के अनुसार समुन्द्र मंथन के समय में देवी लक्ष्मी उत्पन्न हुई थी,जिसने भगवान विष्णु का वरण किया,धन-धान्य,सुख-समृद्धि के लिए इस दिन दीपमालाओं से घर मंदिर रोशन करने की परम्परा है। देवी महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। साथ भगवान गणेश,क ुबेर,लेखनी का पूजन भी होता है।
गोवर्धन पूजा
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजन होगा। इस दिन मथुरा इत्यादि में गोवर्धन गिरी (पर्वत) का पूजन किया जाता है। वहीं घरों के आगे मिट्टी से रंगोली से उकेर कर गोवर्धन भगवान का पूजन करने का महत्व है। कई मंदिरों और घरों में इसी दिन गोबर का पर्वत उकेर कर उसका पूजन कर कई तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। पुष्टिमार्गी मंदिरों में अन्नकूट मनोरथ होते हैं।
यम द्वितीया
गोवर्धन पूजन के अगले दिन यम द्वितीया मनाई जाएगी। जिसे भैया दूज भी कहते हैं। इस दिन बहिनें भाइयों के माथे पर तिलक करती है, उन्हें मिठाई खिलाती है, वहीं भाई उपहार देते हैं। इस दिन यमुना नदी में यम द्वितीय स्नान का महत्व है। जिसमें बहिन- भाई स्नान करते हैं।