तहलका न्यूज,बीकानेर। संस्कृति मंत्रालय भरत सरकार के सीरियर फैलो व सस्टिर निवेदिता कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ रीतेश व्यास की पुस्तक भवन वास्तु और हवेली स्थापत्य का लोकार्पण रविवार शाम होटल भंवर निवास में हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्ष और वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यसातय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो बी एल भादानी थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह कृति प्रारम्भ है अंत नहीं। अभी बीकानेर के भवनों पर काम होना काफी बाकी है। लेकिन डाॅ रीतेश ने जो शुरूआत की है वह तारीफ के काबिल है। उन्होंने कहा कि रीतेश ने हवेलियों को उन पक्षों को उजागर करने की पूरी कोशिश की है जो अब तक अनछुए थे। पत्थर की बारीक नक्काशी के साथ-साथ लकड़ी के कारीगरी को भी बखूबी प्रकाश में लाने का प्रयास किया है। प्रो भादानी ने कहा कि हवेली भारतीय शब्दावली से निकला शब्द नहीं है यह फारसी का शब्द है। फौज के अस्थाई निवास को भी हवेली कहा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही काम होन चाहिए जो धरोहर संरक्षण के दृृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त आर्टिस्ट महावीर स्वामी थे। उन्होंने बीकानेर की चित्रशैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी हवेलियों को चार चांद लगाने में यहां के चित्रकारों का भी भरपूर योगदान रहा। उन्होने कहा कि न केवल उस्ता बल्कि चूनगर समुदाय ने भी कलम से काम किया और रीतेश व्यास ने उस कलाकारी को अपनी पुस्तक में स्थान दिया यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह कृति हवेली स्थापत्य के क्षेत्र में मील के पत्थर के रूप में स्थापित होगी ऐसा मेरा मानना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इनटेक बीकानेर चेप्टर के कन्वीनर पृथ्वीराज रतनू थे। रतनू ने धरोहर संरक्षण पर जो देते हुए कहा कि वर्तमान दौर में हवेलियां क्षीण हो रही है जो हमारे शहर की पहचान थी वो खो रही है। इसे बचाना जरूरी है अन्यथा यहां आने वाले लोगों की संख्या में कमी आ जाएगी। हवेलियों को माफियाओं से बचाना होगा। उन्होंने कहा रीतेश जी हमारे इनटेक के लाइफ मैम्बर है और उन्होंने न केवल हवेलियों पर ही बात कही है बल्कि उतर रही हवेलियों पर भी पीड़ा जाहिर की है। यह कृति देश में पर्यटन के क्षेत्र में भी अपना विशेष स्थान बनाएगी। उन्होंने कहा कि हम इस पुस्तक के माध्यम से बीकानेर में हवेलियों को बचाने का काम कर सकते हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में लेखक डाॅ रीजेश व्यास ने स्लाइड प्रजेन्टेशन के माध्यम से विगत पांच वर्षों में किए गए काम को दिखाया। उन्होंने कहा के बीकानेर की हवेलियां इतनी नायाब हैं कि इनको करीब से देखकर उन कारीगरों के प्रति सम्मान बढ गया जिन्होंने इनको बनाया। एक पीड़ा भी है कि अब ये उतर रही हैं। उपध्यानचंद कोचर साब ने शहर को हजार हवेलियों का कहा था लेकिन अब ये शहर उतरती हवेलियों की शहर हो गया है। व्यास ने बताया।इस पुस्तक में तत्कालीन कारीगरों के औजारों व कलाकारों द्वारा नक्काशी करने से पहले बनाई गई ड्रॉइंग को भी शामिल किया है। अंत में डॉ व्यास ने इस पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग करने के लिए भंवर निवास के संरक्षक सुनील रामपुरिया हार्दिक आभार जताया।
कार्यक्रम में पिछली चार पीढी से लकडी की कार्विंग काम कर रहे दीन जी बरडवा का सम्मान किया।गया। उन्होंने भी लकडी व पत्थर के काम की बारिकियों से अवगत कराया और कहा कि उस दौर के कलाकरों ने अपना सौ प्रतिशत दिया तभी ये नायाब इमारते बन सकी। अंत में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुलसचिव डॉ बिट्ठल बिस्सा ने डॉ व्यास को बधाई दी, सभी अतिथियों का आभार व धन्यवाद ग्यापित किया और कहा कि इस कृति से पूरे विश्व में बीकानेर की हवेलियों की ख्याति बढेगी। ऐसी विभूतियों से इस पुस्तक का विमोचन होना गौरव की बात है। सभी अतिथियों का शॉल, बुके व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। रामपुरिया कॉलेज के प्राचार्य डॉ पंकज जैन व रामपुरिया लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनंत जोशी ने भी पुस्तक प्रकाशन पर बात रखी। कार्यक्रम में पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ चतुर्भुज व्यास, जोशी आइस क्रीम के ओम जोशी, जोधपुर से राजकुमार दुग्गड, हाईकोर्ट एडवोकेट अविनाश व्यास,पुरातत्व विभाग के शंकर हर्ष, राजस्थानी साहित्य अकादमी के सचिव शरद केवलिया,डॉ मुकेश हर्ष,डॉ शिव कुमार व्यास,डॉ गोपाल कृष्ण व्यास,लॉ अधिकारी कन्हैया लाल जोशी,दामोदर तंवर,योगेन्द्र पुरोगित,डॉ गिरीराज पारीक,डॉ अमित व्यास,महेन्द्र पंचारिया,डॉ मो फारूक चौहान,डॉ तेजकरन चौहान,मुकेश व्यास,विकास व्यास,धर्मेश व्यास,सुशीला व्यास,शीला व्यास,डॉ मेघना व्यास, सुषमा व्यास, मिनाक्षी जोशी, सुनीता जोशी, मिनाक्षी किराडू व अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ रीतेश व्यास ने किया।