तहलका न्यूज,बीकानेर। बीकानेर की राजनीति में इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप का दौर फुलफॉर्म में है। स्थानीय विधायक जेठानंद व्यास आरोप लगाकर पूर्व मंत्री डॉ बी डी क ल्ला को बेनकाब करने का दावा करते है। डॉ कल्ला फट से अपने तरकश से प्रत्यारोपों के तीर चलाकर विधायक को सबूत पेश करने का चैलेंज करते है। इन आरोपों-प्रत्यारोपों के आक्रमण का जनता लुत्फ उठा रही है। टीवी सीरियल अनुपमा और भाग्य लक्ष्मी की टीआरपी भी इन आरोपों-प्रत्यारोपों में छिपे तथाकथित खुलासों से डाउन हो रही है। न्यूज चैनल वाले भी सस्पेंस,ड्रामा, थ्रिलर की तरह इसे टेलीकास्ट करते है कि पाठक बड़े से बड़े सीरियल की कुर्बानी तक करने को तैयार हो जाते है ं।प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने अपने गति के सिद्धांत में यह बताया था कि प्रत्येक क्रिया के बराबर उतनी ही प्रतिक्रिया विपरीत दिशा में होती है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि आज-कल बीकानेर की राजनीति में राजनेता इसी न्यूटनी सिद्धांत के कायल होकर अपने आरोपों-प्रत्यारोपों की रणनीति बना रहे हैं। किसके आरोपों में कितना दम है और कौन कितने दम से प्रत्यारोप देकर दूसरे का दम निकाल लेता है। यानी जनता को अब एक-दूसरे की असलियत पता करने में सहूलियत हो गई है। पहले के जमाने में आरोप-प्रत्यारोप जुबानी जमा-खर्चे की तरह होते थे। एक ने बमबास्टिक आरोप मारा, तो दूसरे ने उसे वैसे ही झाड़ दिया, जैसे कुर्ते पर धूल पड़ गई हो। लेकिन जब से गुप्त कैमरों,सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व सूचना के अधिकार का जमाना आया है, तब से आरोप बाकायदा सबूत समेत लगाए जाते हैं। कोई स्टिंग ऑपरेशन कर रहा है, तो कोई इंटरनेट से ही जन्म-कुंडली पता कर रहा होता है। रही-सही कसर आरटीआई,यानी कि सूचना के अधिकार ने पूरी कर दी है। आरोप ही नहीं,प्रत्यारोप भी हाइटेक हो गया है।लगता है, आरोप-प्रत्यारोप अब एक स्टेटस सिंबल बन गया है। कोई भी नेता बहुत बड़ा या स्तरीय तब तक नहीं कहलाता, जब तक कि उस पर कोई आरोप न लगा हो। न ही समाज ऐसे लोगों को स्वीकार करता है,जो अपने पर लगे आरोप के बदले प्रत्यारोप लगाने से चूक जाते हैं। अब मीडिया भी उन्हीं लोगों के आगे-पीछे कैमरा लिए भागा करता है,जो इस आरोप-प्रत्यारोप के स्पेशल ट्रीटमेंट में विश्वास करते हैं। फिलहाल बीकानेर की राजनीति में अभी कुछ ऐसा ही चल रहा है। ऐसे में विकास व समस्याएं दूर की खीर साबित हो रही है।
क्या डॉ कल्ला हार कर भी है इतने पावरफुल,बना चर्चा का विषय
जब इस माहौल को लेकर लोगों की नब्ज टटोलने तहलका की टीम निकली तो लोग चटकारे लगाते नजर आएं। पाटों से लेकर चाय की थड़ी तक व्यास और कल्ला के आरोप प्रत्यारोपों की ही चर्चा थी। कोई यह कहता नजर आ रहा था कि विधानसभा में जेठानंद व्यास का भाषण तो यह दर्शाता है कि डॉ बी डी कल्ला चुनाव हारने के बाद भी पावरफुल है। जिसका बिजली कंपनी सहित अनेक विभागों में इतनी पकड़ है कि विधायक जी को बदनाम करने से बाज नहीं आ रहे है। वहीं चाय की थड़ी पर बैठे एक युवक ने तपाक से जबाब दिया कि विधायक को जीते दस माह हो रहे है। क्या वे अब तक अपनी सरकार होने के बाद भी पकड़ नहीं बना पाएं तो क्या राजनीति करेंगे। खैर सोशल मीडिया पर भी दोनों के समर्थक एक दूसरे के आरोपों का जबाब देने में पीछे नहीं है।