

जयपुर।बीकानेर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा विकसित जोड़बीड़ आवासीय योजना में 2008 से आवंटित प्लॉटों पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर प्रभावित आवंटियों ने आज राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन में संविधान के अनुच्छेद 21 के उल्लंघन और मानवाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए तत्काल हस्तक्षेप कर जांच और कार्रवाई की मांग की गई है।ज्ञापन के अनुसार,योजना के विभिन्न चरणों (2008, 2011, 2017 और 2025) में कुल 5438 आवासीय प्लॉट आवंटित किए गए,लेकिन 17 वर्ष बीतने के बाद भी कॉलोनी में पानी,बिजली,सड़क,सीवरेज और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।आवंटी अपनी बचत से प्लॉट खरीद चुके हैं,लेकिन सुविधाओं के बिना घर बनाना असंभव है।परिणामस्वरूप,कॉलोनी वीरान पड़ी है और एक भी मकान नहीं बना।यहां पशु कारकस डिस्पोजल साइट नजदीक होने से दुर्गंध और स्वास्थ्य जोखिम बने हुए हैं।आवंटियों ने बताया कि उन्होंने बीडीए आयुक्त,जिला कलेक्टर,लोक शिकायत पोर्टल और सीपीग्राम्स पर कई शिकायतें दर्ज कराईं,लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर भी जवाब नहीं मिला।ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, 1985;फ्रांसिस कोराली मुलिन बनाम दिल्ली प्रशासन,1981 आदि) का हवाला देते हुए कहा गया कि जीवन का अधिकार सम्मानजनक जीवन के लिए बुनियादी सुविधाओं को शामिल करता है।आयोग से मांग की गई कि एक विशेष टीम गठित कर 1 माह में जांच रिपोर्ट सौंपी जाए,बीडीए को 1 माह में सुविधाएं पूरी करने के निर्देश दिए जाएं,स्वास्थ्य जोखिम की जांच हो और आवंटियों को सुनवाई का अवसर मिले। आवंटियों ने कहा कि यह निम्न-मध्यम वर्ग के सपनों का शोषण है, जो सामाजिक असमानता को बढ़ावा दे रहा है।

