अपनी वाजिब मांगों को लेकर मंत्रालयिक कार्मिक अडिग
तहलका न्यूज,बीकानेर। राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेशव्यापी आह्वान के तहत प्रदेश के विभिन्न विभागों सहित राजस्व विभाग के कर्मचारी भी विगत 28 दिनों से सामूहिक अवकाश पर चल रहे है। वर्तमान परिस्थितियों को लेकर राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारियों की बैठक सोमवार को कर्मचारी मैदान में आयोजित की गई। बैठक में सामूहिक रूप से निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा कार्मिकों की मांगों को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। बैठक में राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष अशोकसिंह गौड ने बताया कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण अन्य विभागों के साथ साथ जिला कलेक्ट्रेट, सभी उपखण्ड अधिकारी, तहसील, जिला रसद अधिकारी, अतिरिक्त जिला कलक्टर, कोषाधिकारी सहित अन्य कार्यालयों में कामकाज ठप पड़ा है। राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे महंगाई राहत शिविरों पर भी इसका असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विगत करीब तीस वर्षो से मंत्रालयिक कार्मिकों की मांगे लंबित चल रही है, परन्तु सरकार कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रही है। वरिष्ठ कर्मचारी नेता मनीष शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की वादा खिलाफी के खिलाफ मंत्रालयिक महासंघ के आह्वान पर जयपुर के शिप्रा पथ, मानसरोवर मैदान में महापडा़व चल रहा है। जिसमें हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी आंधी तुफान-गर्मी की परवाह किए बगैर डटे हुए है। कर्मचारी इस बार आर पार की लड़ाई लडऩे के मूड में है। कर्मचारी नेता मनीष जोशी ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगे स्वीकार नहीं कर लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मांगों पर शीघ्र निर्णय ले ताकि आमजन को परेशानी नहीं हो। संघ के संजय पुरोहित ने कहा कि कार्मिकों की हड़ताल के कारण राजस्व विभाग के सभी काम बंद पड़े है, रजिस्ट्रियां नहीं हो रही है, विभिन्न प्रमाण पत्र नहीं बन रहे है। राजस्व विभाग व पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में काम ठप होने से जहां सरकार को करोडों का नुकसान हो रहा है, वहीं आमजन को परेशान होना पड़ रहा है। हड़ताल के बाजवूद सरकार गंभीर नहीं है, इससे लोगों में रोष व्याप्त है। बैठक में नरेन्द्र चौधरी, मनोज व्यास, लीलाधर बोहरा, हनुमान आचार्य, नंदलाल सैन, अजीतसिंह, नितिनसिंह, पवन चौहान, राहुल अरोडा, श्रीगोपाल सुथार, ललित मोदी, ब्रह्मदत शर्मा, सतपाल सिंह, सुनील विश्नोई, मनीष श्रीमाली, लोकेश मखीजा, दुष्यंत सिंह, सुरेश विश्नोई, मो. ईस्माइल, रामलाल माली, नटवर व्यास, वर्षा देवड़ा, रोहित बिस्सा, किशन देवड़ा, पवन छींपा, मुरलीधर, प्रेम कुमार, मनोज पंवार आदि उपस्थित हुए और आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया।