तहलका न्यूज,बीकानेर। 30 साल पहले जो बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म में क्लास में बैठकर खूब मस्ती करते थे,आज वो जवानी की दहलीज पार कर चुके हैं और अपने-अपने कामों और फैमिली में व्यस्त हो चुके हैं। ये बच्चे अब इंजीनियर ,बिजनेसमैन,टीचर,डॉक्टर,सीए,ज्योतिषाचार्य आदि बन चुके हैं।इनमें से कुछ विदेश में भी सेटल हो चुके हैं,लेकिन इनके मन में आज भी अपने स्कूल की यादें ताजा हैं,जिन यादों ने इन्हें 30 साल बाद फिर मिला दिया। नत्थूसर गेट बाहर स्थित राजस्थान बाल मंदिर स्कूल से 1994-95 में पासआउट ये बच्चे रविवार को 30 साल बाद दोबारा अपने स्कूल में इकट्‌ठे हुए और स्कूल टाइम की यादें ताजा कीं। स्कूल के ओनर रमेश व्यास व सुरेश कुमार से मिल गदगद हो उठे और कक्षाकक्ष में बैठ उनकी सीख को रिवाइज किया। इससे पहले इससे पहले शनिवार को जयपुर रोड स्थित नारायणवन में मिलन समारोह हुआ। जहां पुराने साथियों ने अपनी यादों को ताजा किया।

टीचर्स की बदौलत हासिल किया हर मुकाम
एम्स में ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ अरविन्द गहलोत और दुबई से आएं सीए सुरेन्द्र मोहता ने कहा कि आज वे जिस मुकाम पर हैं,वह सब इसी स्कूल की टीचर्स की बदौलत है। वे स्कूल टीचर्स का ऋ ण कभी नहीं चुका पाएंगे। सूरत के कपड़ा व्यवसायी करण कुमार खत्री,जयपुर से अमित मून्दड़ा,धीरज पुरोहित,चैन्नई से जयश्री रंगा,मुंबई से अमित थानवी,उर्मिला मल्ल,कलकता से अमित व्यास,दिल्ली से मनीष सुथार,मनमोहन राठी,गौरीशंकर सुथार ने भी अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि यहां आकर जैसे लग रहा है 30 वर्ष को एक दिन में जी लिया। पुराने दोस्तों से मिलकर इतनी खुशी मिली जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। करीब एक घंटे की इस क्लास के बाद जब जाने का समय आया तो किसी का वहां से जाने का मन नहीं था।

गुरुजनों का किया सम्मान
दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन गोविन्द पैलेस में गुरूजनों का सम्मान किया गया। इस बैच स्कूल के प्राचार्य रमेश व्यास,सुरेश व्यास,रामप्रसार साख्य,सत्यनारायण व्यास,गोपाल व्यास,भवानीशंकर मारू,मोहनलाल खत्री,गोपाल रांकावत,खेमचंद पुरोहित,श्रीमति सरोज स्वामी के साथ गुरू माताओं का भी सम्मान किया गया। सम्मान स्वरूप चांदी का सिक्का,शॉल,श्रीफल,उपरना के साथ डॉ राकेश किराडू के द्वारा बनाएं गये शिक्षकगणों के पोट्रेट भेंटकर अभिनंदन किया गया।

पुराने दिनों में चले गए छात्र
30 साल बाद पुराने छात्र मिले तो इन्हें देखकर जरा भी ये नहीं लग रहा था कि ये उम्रदराज हो चुके हैं। कोई बच्चों के जैसा उछल रहा था,तो कोई मस्ती के मूड में था।एक दूसरे से मिलकर इन्होंने अपने पुराने दिनों को याद किया। इस दौरान उन्होंने एक दूसरे के प्रति वही दोस्ताना व्यवहार किया जो बरसों पहले किया करते थे। ये सारा नजारा अद्भुत था। खुशी के माहौल का आक र्षण इतना ज्यादा था कि आसपास मौजूद लोग जो उस वक्त के नहीं थे वे भी इसमें शामिल हो गए।

इन्होंने बनाया था प्लान ?
स्कूल के पुराने छात्रों को एक जगह इक_ा करने के लिए स्कूल के ही पुराने छात्रों ने प्लान बनाया था। बीकानेर के साथी दिवाकर व्यास,प्रेम रंगा,गोवर्धन हर्ष,जेठमल सुथार,संजय राठी,राकेश किराडू,श्याम ओझा,विनोद लखोटिया,रमेश पुरोहित,प्रभा बिस्सा,आशा पुरोहित,दिनेश चौहान,महेश अग्रवाल,अमित सोनी,गौरीशंकर पुरी,दशरथ पुरी,सुधा हर्ष,तारा पुरोहित की पहल से इस कार्यक्रम की योजना बनाई गई। सभी छात्रों को खोजने में चार से पांच माह का समय लग गया। पहले स्थानीय विद्यार्थियों से संपर्क साधा गया। फिर एक वाट्सएप ग्रुप बनाकर एक दूसरे से संपर्क साधा गया। एक दूसरे से बातचीत में सभी छात्र इस प्रोग्राम में शामिल होने को लेकर काफी उत्साहित थे। आपस में पुराने दोस्तों से मिलने के बाद सभी को अपने पुराने दिन याद आ गए। ये सभी पुरानी ऊर्जा से भर गए। जिसकी बदौलत दो दिन का कार्यक्रम तय किया गया।