









तहलका न्यूज,बीकानेर। स्व. महाराजा डॉ करणीसिंह व स्व.राजमाता सुशीला कुमारी की वसीयत से ऐस्टेट के एडमिनिस्ट्रेशन की बाबत् लम्बित वाद में न्यायायालय अपर जिला न्यायाधीश, संख्या 3,बीकानेर ने राज्यश्री कुमारी के निवेदन पर स्थगन आदेश दिया है।
राजमाता सुशीला कुमारी के देहान्त के पश्चात सुश्री सिद्धि कुमारी ने न्यायालय जिला न्यायाधीश संख्या 3, बीकानेर में एक वाद संख्या 46/2023 (सीआईएस 53/2023) अपनी भुआ प्रिंसेस राज्यश्री कुमारी व प्रिंसेस मधुलिका कुमारी वगैरह के खिलाफ दायर किया था जिसमें सिद्धि कुमारी द्वारा यह उल्लेखित किया गया कि महाराजा डॉ करणीसिंह एवं राजमाता सुशीला कुमारी की वसीयत में वर्णित सम्पतियों पर नियन्त्रण एवं कब्जा महाराजा डॉ करणीसिंह की वसीयत के अनुसार एडमिनिस्ट्रेशन नियुक्त होने के नाते प्रतिवादीगण अर्थात राज्यश्री कुमारी के कब्जे व नियन्त्रण में है तथा प्रतिवादीगण द्वारा करणीसिंह की वसीयत के विरुद्ध आचरण किए जाने के आधार पर महाराजा करणीसिंह की वसीयत में वर्णित सम्पतियों की बाबत उन्हे एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया जाकर राज्यश्री कुमारी से उक्त सम्पतियों,हिसाब किताब का नियन्त्रण व कब्जा दिलाया जाए।
उक्त वाद में राज्यश्री कुमारी द्वारा एक अस्थायी निषेधाज्ञा प्रर्थना पत्र इस आधार पर पेश किया कि मूल वाद में सिद्धि कुमारी द्वारा माना है कि समस्त सम्पतियों एवं हिसाब किताब का नियन्त्रण एवं कब्जा बहैसियत एडमिनिस्ट्रेटर प्रतिवादी यानी राज्यश्री कुमारी के पास हैं तथा सिद्धि कुमारी अवैध रूप से उक्त सम्पतियों को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास कर रही हैं एवं एडमिनिस्ट्रेटर राज्यश्री कुमारी को एडमिनिस्ट्रेशन करने में बाधा उप्तन करके सम्पतियों को खुर्द-बुर्द करने की धमकिया दे रही हैं।उक्त प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय एडीजे 3,बीकानेर द्वारा राज्यश्री कुमारी के एडमिनिस्ट्रेटर होने तथा सम्पतियों पर कब्जा एवं हिसाब किताब का नियन्त्रण होने के तथ्य को सही मानते हुए राज्यश्री के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए महाराजा डॉ करणीसिंह की वसीयत में वर्णित तमात चल-अचल सम्पतियों की बाबत रहन,बय,मुन्तकिल, हस्तान्तरित करने से रोकने बाबत उभय पक्षकारान के विरुद्ध अस्थाई निषेधाज्ञा आदेश जारी किया।
मूल वाद की वादिनी सिद्धि कुमारी ने भी अपने वाद में उक्त सम्पतियों का एडमिनिस्ट्रेटर महाराजा डॉ करणीसिंह की वसीयत के अनुसार राजमाता सुशीला कुमारी,महाराज अरविन्दसिंहजी, राजसिंहजी डूंगरपुर, नरीमन मानेकशा तथा राज्यश्री कुमारी का होना स्वीकार किया तथा सम्पतियों का कब्जा एडमिन्स्ट्रेटर में निहित होना स्वीकार किया।ज्ञातव्य हैं कि महाराजा डॉ करणीसिंह जी की वसीयत के उक्त सभी एडमिनिस्ट्रेटरान में से राज्यश्री कुमारी अकेली जिंदा एडमिनिस्ट्रेटर रही है।प्रिंसेस राज्यश्री कुमारी जी के उक्त प्रार्थना पत्र पर न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की विस्तृत बहस सुनने व पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के पश्चात निष्कर्ष निकाला कि हस्तगत प्रकरण निस्तारण हेतु न्यायालय निम्नलिखित तीन बिन्दूओं पर विचार करके सभी बिन्दूओं को राज्यश्री कुमारी के पक्ष में होना निश्चित पाया है।राज्यश्री कुमारी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अस्थाई निषेधाज्ञा अन्तर्गत आदेश 39 नियम 1 व 2 एवं धारा 151 सी.पी.सी. स्वीकार कर अभय पक्षों को ताफैसला मूलवाद इस आशय की अस्थाई निषेधाज्ञा से वर्जित किया जाता हैं कि वे वादपत्र में वर्णित महाराजा करणीसिंह जी की वसीयत दिनांक 26.06.1986 में वर्णित तमाम जायदाद चल-अचल संपतियों को मूलवाद के लंबनकाल के दौरान खुर्द-बुर्द,रहन, विकय हस्तांतरण नही करेंगे।”