तहलका न्यूज,बीकानेर। बीकानेर के पूर्व राजघराने के संपत्ति विवाद को लेकर महाराजा गंगासिंह ट्रस्ट की अध्यक्षता राज्यश्री कुमारी ने प्रेस वार्ता कर बीकानेर पूर्व की विधायक व राजघराने की सदस्य सिद्धि कुमारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने पद और पावर का दुरुपयोग कर अनैतिक रूप से ट्रस्ट की गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रही हैं। उन्हें एक व्यक्ति के द्वारा मिसगाइड किया जा रहा है। अनभिज्ञता के चलते उनके द्वारा ट्रस्ट में नई ट्रस्टियों को लेने की हरकत भी गलत रही। उन्होंने क हा कि जब से उनकी माता सुशीला देवी का निधन हुआ है, तब से सिद्धि कुमारी उन्हें परेशान कर रही हैं। उनके खिलाफ पुलिस थानों में झूठे मामले तक दर्ज करा दिए। जूनियर स्टाफ के खिलाफ भी मामले दर्ज करा दिए। इतना ही नहीं जूनागढ़ और लालगढ़ के आगे बाउंसर खड़े कर दिए हैं ताकि हम अंदर नहीं जा सकें। राज्यश्री कुमारी ने कहा कि मेरे पिता ने मुझे जो जिम्मेदारी दी है। उसका बखूबी निर्वहन कर रही हूं।
पुलिस-प्रशासन का दबाव
राज्यश्री कुमारी ने कहा विधायक सिद्विकुमारी ने हमें परेशान ही किया। पुलिस को हमारे खिलाफ गलत इस्तेमाल करना। हम पोलिटिक्ल नहीं है। ऐसे में उन्होंने अपने पद का दुरपयोग कर दबाव बनाया। झूठे मुकदमें दर्ज करवाएं। न्यायिक प्रक्रिया को भी बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसको लेकर हमने संभागीय आयुक्त,आईजी,कलक्टर व एसपी को ज्ञापन दिए। लेकिन इन सब ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया। जो इस बात की ओर इंगित करता है कि ये सब कितने दबाव में है।
न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास
राज्यश्री कुमारी ने कहा कि हमें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है। देवस्थान विभाग की ओर से जारी आदेश इस बात का प्रमाण है। हम हमारी जो भी प्रोपट्री है। उनमें ऑर्डरली,लीगली और पिस फुल तरीके से वापस जाएंगे।
ये दिया है देवस्थान विभाग ने आदेश
देवस्थान विभाग का अब दिया गया आदेश अब देवस्थान विभाग के आयुक्त वासुदेव मालावत ने मुंबई हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पुराने आदेश को बदल दिया है। बदले फैसले में कहा कि मुंबई हाईकोर्ट के फैसले में स्पष्ट है कि परिवार का वरिष्ठ सदस्य ही इन ट्रस्टों का सर्वेसर्वा होगा। वरिष्ठ सदस्य सिद्धि कुमारी नहीं बल्कि राज्यश्री कुमारी है। इस आधार पर राज्यश्री कुमारी,मुधलिका कुमारी,हनुवंत सिंह और रीमा हूजा को वापस ट्रस्टी मान लिया है। गौरतलब रहे कि देवस्थान विभाग का पहले का आदेश विधायक सिद्धि कुमारी ने राजपरिवार के संबधित ट्रस्टों में राज्यश्री कुमारी,मुधलिका कुमारी,हनुवंत सिंह और रीमा हूजा को ट्रस्टी हटा दिया था। इसके बाद अपने पक्ष के संजय शर्मा,धीरज भोजक,मनीष शर्मा,मदन सि ंह को ट्रस्टी बनाया था। देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त ने 27 मई 2024 को इस पर मुहर लगा दी थी।फैसले में सिद्धि कुमारी को परिवार का वरिष्ठ सदस्य माना गया था और वर्किंग ट्रस्टी हनुवंत सिंह के हस्ताक्षर को फर्जी माना गया था। राजमाता सुशीला कुमारी की वसीयत से पुराने ट्रस्टी को हटाकर नए ट्रस्टी स्वीकार कर लिए थे। इस आदेश के खिलाफ हनुवंत सिंह ने देवस्थान विभाग उदयपुर के आयुक्त के सामने अपील दायर की थी।
5 ट्रस्ट पर दोनों का अपना-अपना दावा
दरअसल, पूर्व राजघराने की बेशकीमती संपत्ति को लेकर राज्यश्री कुमारी (बुआ) और सिद्धि कुमारी (भतीजी) आमने-सामने हैं। दोनों के बीच परिवार के ट्रस्टों को लेकर भी विवाद है। महाराजा करणी सिंह (राज्यश्री कुमारी के पिता) के समय और इसके बाद कुछ ट्रस्ट महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट, महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, करणी सिंह फाउंडेशन, करणी चैरिटेबल ट्रस्ट और महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट का गठन किया गया था। इन पांचों ट्रस्ट को पहले करणी सिंह की बेटी राज्यश्री कुमारी ही देखती थीं।
राजमाता के निधन के बाद बढ़ा विवाद
राजमाता सुशीला कुमारी के निधन के बाद बुआ- भतीजी के बीच विवाद बढ़ गया। इसके बाद देवस्थान विभाग के एक आदेश ने राजघराने के विवाद को बढ़ा दिया। इस आदेश में देवस्थान विभाग के उदयपुर मुख्यालय ने सिद्धि कुमारी को ट्रस्ट का अधिकार दे दिया। राज्यश्री ने इस आदेश को लेकर अदालत में केस दायर किया था। उधर,सिद्धि कुमारी ने पूरे ट्रस्ट को ही बदल दिया। अब सभी पांच ट्रस्ट विवादित हो गए हैं। इन ट्रस्टों पर राज्यश्री और सिद्धि कुमारी के अपने-अपने दावे हैं। दोनों ने अपने-अपने समर्थकों को इसमें शामिल किया है।