तहलका न्यूज,बीकानेर। जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम मंदिर प्रतिष्ठा कार्यक्रम एक राजनीतिक कार्यक्रम था। अभी जो हो गया,उसे भूल जाएं। जब राम मंदिर निर्माण कार्य में तीन वर्ष लगेगा। तब मंदिर पूरी तरह से निर्मित होगा। शिखर बनेगा तो कलश चढ़ेगा,ध्वजारोहण होगा। वहां शिखर पर देवी देवताओं की मूर्तियां लगेगी वहां प्रतिष्ठा होगी। राम मंदिर की प्रतिष्ठा देश के सनातनी हिन्दुओं की जनआकांक्षा है। वो पूरा हो रहा है। निर्माण कार्य प्रगति पर है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह बात बीकानेर प्रवास के दौरान पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। शंकराचार्य ने कहा कि अब तो सच्चाई प्रमाणित हो भी गई है कि अयोध्या में राम मंदिर का पूर्ण निर्माण नहीं हुआ है। राम मंदिर में अब तक 40 प्रतिशत निर्माण कार्य हुआ है।जगदगुरू ने कहा कि राम मंदिर निर्माण करवाने वालों से क्यों नहीं पूछा जा रहा है। बार बार शंकराचार्य से लाखों प्रश्न पूछे जा रहे है। इसको लेकर उन्होंने सिर्फ प्रधानमंत्री को ही जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ वो अकेले ही वहां गये और पूजा अर्चना करवाई। केवल उन्हीं को मीडिया ने दिखाया। उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष में धर्म के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के चुनाव लडऩे का घोर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि धर्म राजनीति का विषय नहीं है। उन्होंने राजनीतिक दलों पर जमकर कटाक्ष किया,उन्होने गौ हत्या को लेकर भी इसका अंदरूनी तौर पर सपोर्ट करने वाली राजनीतिक पार्टियों का बहिष्कार करने का आव्हान जनता से करते हुए कहा कि जो राजनीतिक पार्टी व प्रत्याशी यह संकल्प दे कि सता में आने के बाद गौ हत्या बंद करने को लेकर कानून पारित करेगें। उसी को वोट देंगे। साथ ही उन्होंने गौ माता की राष्ट्रीय माता भी घोषित करने की मांग उठाई हैं। गौहत्या रोकने के लिए आयोजित संकल्प यात्रा में हिस्सा लेने आए जगद्गुरु शंकराचार्य ने गौ हत्यारी पार्टियों को जो जनता हिंदू जनता को वोट देगी वो भी पाप के भागीदारी होंगे।
मतदान से जोड़ा गौ माता का मुद्दा
ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गौ माता का मुद्दा इसलिये मतदान से जोड़ा गया है कि अब हमारा सरकारों से मोहभंग हो चुका है। हम जान गए हैं कि कोई भी सरकार और किसी भी नाम से आए और कोई भेष चोला धारण कर आए, वह गाय की हत्या करवाएगी। इसलिए हमने नेताओं और पार्टियों से मोहभंग कर लिया है। अब हम मतदाताओं को संकल्पित करा रहे हैं। यदि 33 करोड़ लोग गाय के लिए संकल्प करें तो गोरक्षा हो जाएगी। आजादी के बाद से ही पूर्वज गाय की हत्या पर रोक लगाने की मांग करते रहे।लेकिन 75 साल में केन्द्र में आई किसी भी सरकार ने गोहत्या पर रोक की मांग को पूरा नहीं किया।गाय को राष्टीय पशु घोषित नहीं करने के कारण अब सरकारों से मोहभंग हो चुका है। इस अभियान को सभी जगह समर्थन मिल रहा है।
पाखंडी होने का लग रहा आरोप
उन्होंने कहा कि गौ माता को पशु सूची से हटाकर उसे अलग सूची दर्ज करने की मांग करते हुए राष्ट्र माता का दर्जा देने की बात कही। गौ संसद का आयोजन के जरिये गौ माता की बात को आगे बढ़ा रहे है। शंकराचार्य ने कहा कि हमारे पर गौ रक्षा कर गौमाता की हत्या कर मांस बेचने के पाखंडी आरोप लग रहे है। इस कलंक को मिटाने के लिये गौ संकल्प यात्रा कर रहे है। इसके तहत 14 जून को 36 प्रदेशों के प्रमुखों की बैठक हरिद्वार में होगी। 24,25,26 जुलाई को गौ संसद का शपथ ग्रहण समारोह होगा। देश के संसदीय क्षेत्रों के सदस्य वहां शपथ लेंगे। वहां चर्चा कर संसद को अवगत करवाएंगे। सित -अक्टुबर सभी प्रदेशों में गौ सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे। 7,8,9 नवम्बर को दिल्ली में संसद होगी। जिसमें दस लाख से ज्यादा लोग एकत्रित होकर भारत पर लगे इस कलंक को मिटाने का संकल्प लेंगे।
संकल्प लेने वाली पार्टी को ही देंगे वोट
शंकराचार्य ने कहा कि गौमाता के नाम पर दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने वोट लेकर सता हासिल की है। कांग्रेस का चुनाव चिन्ह भी दो बछड़ों की जोड़ी रहा। तो भाजपा ने भी गौ माता का नारा देकर सता हासिल की। लेकिन सता प्राप्ति के बाद किसी भी राजनीतिक पार्टी ने गौ हत्या के लिये कानून नहीं बनाया। न ही गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिया। इसलिये इस दफा हम हिन्दुओं को स ंकल्पित कर रहे है। उन्होंने कहा कि भारत में वहीं दल सता में आएगा। जो शपथ पत्र देगा कि सत्ता में आए तो सबसे पहला काम गौ हत्या के कलंक को मिटाएंगे। हमें चुनाव की जल्दी नहीं है। 76 पार्टियों ने शपथ पत्र दिया है। एक पार्टी बदली दूसरी बदली। सभी ने कहा गौ हत्या बंद करेंगें। लेकिन किसी ने गौ हत्या बंद नहीं की सभी ने भरोसा तोड़ा। इसलिये अब हम शपथ पत्र ले रहे है।
खुद को धमकियां मिलने की कही बात
धर्म के नाम पर राजनीति पर पूछे गये सवाल का जबाब देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में दोनों को एक साथ करना उनका मूल भाव छोड़ देना होता है। हिन्दु सता स्थापित क रना हिन्दु होने का प्रमाण नहीं है। पिछले दस वर्षों से ऐसा ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। धर्म की बात धर्माचार्य को तो जगत कल्याण की बात राजनीतिक हस्तियों को या दलों को करना चाहिए। अगर सनातन धर्म का नाम लेकर राजनीतिक लाभ अर्जित किया जा रहा है तो यह धर्म के लिहाज से बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। धर्म की रक्षा के लिए धर्माचार्य हैं तो समाज की रक्षा के लिए राजनीतिजज्ञों को काम करना चाहिए।उन्होंने कहा कि हमें धमकियां मिलती रहती है। हमारे पीछे लोग छोड़ दिए गये है। हम उनका सामना भी कर रहे है। मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूं। पर यह सच भी है। हमें धमकियां मिल रही है।
मेरे खिलाफ हो रहा है दुष्प्रचार
राम मंदिर के अधूरे निर्माण पर अपनी प्रतिक्रिया के बाद मुझ पर अनेक आरोप लगे। मेरे खिलाफ यह प्रचार किया गया कि वे एनएसयूआई के पदाधिकारी रहे है। इस वजह से ऐसी बातें कर रहे है। जबकि हकीकत यह है कि एनएसयूआई से मेरा कभी संबंध नहीं रहा। एबीवीपी से जरूर संबंध रहा। एबीवीपी के पैनल से छात्र संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़कर अध्यक्ष बने थे। ये के वल आरोप है और हमारे खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है।