तहलका न्यूज़,राजस्थान । इस बार गर्मी का असर कम देखने को मिला। कारण हैं, मार्च से लेकर मई तक बन रहे अलग-अलग वेदर सिस्टम। दो से तीन दिन की गर्मी के बाद अचानक आंधी और बारिश का दौर शुरू होता रहा है।बार-बार बदल रहे मौसम से इस बार नौतपा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बन गई है कि इस बार गर्मी रिकॉर्ड तोड़ेगी या अब तक चले आ रहे मौसम के ट्रेंड में ये नौतपा भी बारिश में धुल जाएगा।ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस बार भी नौतपा 25 मई की रात 8.59 बजे शुरू होगा और 2 जून तक जारी रहेगा।इन नौ दिनों में गर्मी कैसी रहेगी? इस सवाल पर ज्योतिष और साइंटिस्ट दोनों के अलग-अलग मत हैं। ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार दावा किया जा रहा है कि नौतपा आग उगलेगा। वहीं, साइंटिस्ट का कहना है कि इस बार भी नौतपा पहले की तरह इतना असर नहीं दिखाएगा।जून की गर्मी में चलने वाले बाड़मेर के रेतीले झरने। इस बार आंधी के कारण मई में ही चलने लगे।
पढ़ें- क्या हैं नौतपा का सच
ज्योतिष क्यों कह रहे सूरज आग उगलेगा?
ज्योतिषाचार्य हरीनारायण व्यास मन्नासा का मानना है कि नौतपा को इस बार कमजोर मानना भूल होगी। इस बार भी 25 मई की शाम सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। ऐसे में सूर्य का असर बढ़ेगा। पारा 25 मई से बढ़ेगा जो 2 जून तक बढ़ता ही चला जाएगा। इस बार नौतपा का असर कम नहीं होगा। पिछले साल 2022 में भी नौतपा में बारिश नहीं हुई थी।
वैज्ञानिक क्यों कह रहे कम होगा असर
पिछले दिनों आई आंधी और पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम बदला है। पिछले कुछ सालों में क्लाइमेट में बदलाव आया है। ऐसे में आने वाले दिनों में नौतपा वैसा नहीं होने वाला जैसा हमेशा होता है। ये चिंता का विषय है क्योंकि नौतपा नहीं तपता है तो मानसून भी अच्छा नहीं होता।अब तक मई में बारिश, आंधी और तेज गर्मी तीनों का एहसास हो चुका है।
गर्मी पड़ी तो 6 जिलों में टूटेगा रिकॉर्ड
दावा किया जा रहा है कि इस बार नौतपा अपना पूरा असर दिखाएगा। ये भी बताया जा रहा है कि यदि ऐसा हुआ तो हो सकता है प्रदेश के 6 जिलों में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ेगी। बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर और चूरू में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ेगी। इस दौरान तापमान 50 डिग्री तक भी छू सकता है।
पूर्वी राजस्थान में भी दिखेगा असर
वैसे तो पश्चिमी राजस्थान में ही सूर्य का पारा चढ़ता है लेकिन नोतपा के दौरान पूर्वी राजस्थान भी आग की भट्टी हो जाता है। लेकिन, इस बार जयपुर के अलावा सीकर, कोटा, बारां, बूंदी, करौली, बाड़मेर में भी तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है। जयपुर के आसपास के जिलों में भी गर्मी का प्रकोप बना रह सकता है।रविवार को बाड़मेर में झुलसाने वाली गर्मी रही। राहत के लिए लोग जूस का सहारा लेते हुए नजर आए।
क्या होता है नौतपा
ज्योतिष के अनुसार: ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि जब सूर्य घूमते हुए मध्य भाग के ऊपर आ जाता है और जब ये कर्क रेखा के पास पहुंचता है तो सूर्य की किरण 90 डिग्री पर सीधे पृथ्वी पर पड़ती है। इसी को नौतपा कहते हैं। अगर इस दौरान बारिश होती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहते हैं। नौतपा का गलना मानसून के लिए सही नहीं है। नौतपा के दिनों में बारिश होती है तो मानसून खराब रहता है।
साइंस के अनुसार: सूर्य और पृथ्वी दोनों एक दूसरे के सामने आ जाते हैं। सूर्य की किरणें सीधे तौर पर पृथ्वी पर पड़ती है। चांद से आने वाली ठंडक को जगह नहीं मिलती और सूर्य की किरणों धरती को तपा देती है। ये ही नौतपा होता है।जैसलमेर में भीषण गर्मी के बीच सड़कों पर सन्नाटा परसा रहा।
पिछले साल खूब तपा, मानसून भी रिकार्ड
पिछले साल की बात की जाए तो 2022 में भी नौतपा 25 मई से शुरू हुआ था और इस दौरान गर्मी का असर काफी तेज था। इसी का परिणाम रहा कि मानसून में औसत से ज्यादा बारिश हुई। पश्चिमी राजस्थान में सामान्यतया 283 एमएम बारिश होती है लेकिन पिछले साल ये आंकड़ा 448 मिलीमीटर पहुंच गया था। इसी तरह पूर्वी राजस्थान में 626 एमएम बारिश होती है, जिसकी तुलना में गत वर्ष 780MM बारिश हो गई।
पिछले साल नौतपा में राजस्थान तपता रहा, जिसका परिणाम ये रहा कि बारिश जमकर हुई। पिछली बार नौतपा शुरुआती दिनों में कमजोर रहा लेकिन अंतिम दिनों में तेज गर्मी पड़ी। इसी का असर है कि मानसून अच्छा रहा। पश्चिमी राजस्थान में 25 मई 22 से 2 जून 22 तक तापमान का ग्राफ 41.6 डिग्री से 45.4 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ा। अंतिम तीन दिन 44 से 45 डिग्री तक पारा रहा।
नौतपा यानी आम लोगों के लिए अलर्ट
नौतपा आम आदमी के लिए भी 25 मई से अलर्ट है। आम दिनों में भी जब तापमान चालीस डिग्री सेल्सियस से अधिक हो तो बाहर निकलने से पहले गर्मी से बचने का पूरा इंतजाम करना चाहिए। नौतपा के नौ दिनों में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। लू से बचने के लिए सभी इंतजाम करने के बाद ही बाहर निकलना चाहिए। किसानों के लिए भी मौसम विभाग अलर्ट जारी करता है।बीकानेर में भीषण गर्मी से बचने के लिए रविवार को दो युवक एक ही गमछे का इस्तेमाल करते दिखे।
नौतपा काे लेकर ये भी धार्मिक मान्यता
शास्त्रों में उल्लेख, बीमारी से मुक्ति मिलती है
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस दौरान इंफेक्टेड बीमारियों में कमी आती है। इसका कारण है कि नौतपा में तापमान 45 डिग्री से ज्यादा होने से हवा में फैलने वाले वायरस तापमान के कारण खत्म हो जाते हैं।
वहीं एक पक्ष ये भी है कि चंद्रदेव रोहिणी नक्षत्र के मालिक हैं और मौसम में ठंडक के कारक भी है। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में मूवमेंट करता है तो उसका भी इफेक्ट्स ले लेता है। ऐसे में ठंडक नहीं मिल पाती है।
जब से ज्योतिष, तब से नौतपा
माना जाता है कि जब से ज्योतिष गणना शुरू हुई है, तब से नौतपा का जिक्र हुआ है। तब भी लोग मानते थे कि साल में नौ दिन ऐसे आते हैं, जब बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है। तपन बढ़ने के कारण भारी परेशानी होती है। खासकर मैदानी इलाकों में लोगों के लिए जीना दूभर हो जाता है।
कुंडली में सूर्य कमजोर तो नौतपा उत्सव
ज्योतिषी हरिनारायण व्यास मन्नासा का कहना है कि अगर किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर है तो उसे नाौतपा को उत्सव के रूप में लेना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को 25 मई से 2 जून तक लगातार सूर्य उपासना करनी चाहिए। नौतपा के दौरान सूर्य मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है। ये ही वो समय है जब सूर्यदेव हमारे सबसे नजदीक होते हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर हैं, उनके लिए ये अवसर के रूप में है।