तहलका न्यूज,बीकानेर। देश में अक्षय ऊर्जा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2004 से प्रतिवर्ष 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है। एमजीएसयू के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने इस विषय पर एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि इस अवसर पर थार मरुस्थल में सोलर प्लांट और विंड मिल से होने वाले दुष्प्रभावों पर चिंतन करने की महत्ती आवश्यकता है।डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. मेघना शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि सेमिनार में प्रो. छंगाणी ने चिंता व्यक्त की कि ग्रीन एनर्जी के नाम पर थार मरुस्थल में सोलर प्लांट द्वारा खेजड़ी, रोहिड़ा, केर, बेर, जाल आदि स्थानीय प्रजातियों के पेड़ कटना स्थानीय जलश्रोतो का दोहन, पॉलिनेशन करने वाले कीट पतंगों, मधुमक्खियों, तितलियों, पक्षियों , सरीश्रपो के आवास मिटाना। तथा प्रतिदिन पवन चक्कियों के पंखों से गोडावण, गिद्धों जैसे कई संकटग्रस्त प्रजातियों के कटने से थार की समृद्ध जैवविविधता के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।एक दिवसीय सेमिनार का संचालन करते हुए सह अधिष्ठाता डॉ. प्रभु दान चारण ने बताया कि आज गोचरों, ओरण आदि की सुरक्षा सामाजिक दायित्व की श्रेणी में आता है।अंत में धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. मेघना शर्मा ने दिया। सेमिनार में विद्यार्थियों के अतिरिक्त संकाय सदस्य डॉ. अनिल कुमार दुलार, डॉ. संतोष कंवर शेखावत, मानकेशव सैनी व अतिथि संकाय सदस्य डॉ. मुकेश हर्ष, डॉ. गोपाल व्यास, रिंकू जोशी, तुल्छा राम, भंवर कडेला आदि शामिल हुए।